'मैं बेकार की चीजों में नहीं पड़ता हूं.... मैं अपना काम करता हूं', किच्चा सुदीप ने जानें आखिर ऐसा क्यों कहा
जिम्मेदारी सिर्फ नाम से नहीं आती है। जिम्मेदारी यह होती है कि मेरी फिल्म ठीक तरीके से और रिलीज तारीख पर रिलीज हो। मैं यह जिम्मेदारी जरूर लेता हूं कि फिल्म में वह सब न दिखाया जाए जो देखना लोग पसंद न करें।
प्रियंका सिंह। कन्नड़ फिल्मों के अभिनेता किच्चा सुदीप तमिल, तेलुगू फिल्मों के साथ ही हिंदी फिल्मों में भी सक्रिय हैं। मक्खी और दबंग 3 फिल्मों में काम कर चुके किच्चा सुदीप की थ्रीडी फिल्म विक्रांत रोणा 28 जुलाई को रिलीज हो गई है। सुदीप का कहना है कि विजुअल इफेक्ट्स (वीएफएक्स) के लिए फिल्म को वक्त देना पड़ता है।
आपने कहा था कि आप स्टारडम में यकीन नहीं करते हैं, लेकिन उसे हल्के में भी नहीं लेना चाहिए…
हां, स्टारडम में मैं यकीन नहीं करता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की मैं इसको हल्के में लेता हूं या इतनी गंभीरता से ले लेता हूं कि इसके नशे में डूबा रहूं। ऐसे बर्ताव नहीं करता हूं कि ओ पता नहीं मैं क्या बन गया हूं। मैं जैसा हूं, वैसा ही रहता हूं। स्टारडम का मतलब जमीन से जुड़े रहना और पहले से ज्यादा विनम्र होना है। लेकिन वहीं इसे इतना भी हल्के में नहीं लेना चाहिए कि अरे मैं तो स्टार हूं, तो कुछ भी करूं, फिल्म चलेगी। कोई और आपकी जगह लेने के लिए हमेशा तैयार है, जो आपको हटाकर स्टार बन सकता है। स्टारडम को नहीं सिनेमा को गंभीरता से लें।
लेकिन क्या यह संभव है, क्योंकि आपने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से बाहर दूसरी इंडस्ट्री में बॉक्स ऑफिस पर नंबर्स कमाए हैं?
हां, क्योंकि मैं बेकार की चीजों में नहीं पड़ता हूं। मैं अपना काम करता हूं और अपने काम को बात करने देता हूं। मैं कोशिश में रहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा फिल्में बनाऊं, जो मुझे एक्साइट करे। जो फिल्में मुझे ही उत्साहित नहीं करती हैं, वह किसी और को क्या करेंगी। मैं जिस भी भाषा में फिल्म करूं, एक वक्त पर एक ही फिल्म करता हूं। बाकी वक्त में मैं अपने दूसरे काम करता हूं, जैसे- मुझे खाना पकाना पसंद है, कुछ लिखता रहता हूं, म्यूजिक बनाता हूं, क्रिएटिव काम करता रहता हूं। मैं अपनी जिदंगी के करीब रहना ज्यादा पसंद करता हूं। सिनेमा मेरी जिंदगी का हिस्सा है, जिंदगी नहीं। यह मेरा पेशा है, लेकिन उसका मतलब यह नहीं की कि अलग तरीके से बर्ताव करूं, जो मैं नहीं हूं।
किच्चा और बादशाह नाम आपको आपके फैंस ने दिया है। आप अपने नाम के आगे इन्हें जोड़ते हैं। क्या इसे लेकर जिम्मेदारी महसूस होती है?
जिम्मेदारी सिर्फ नाम से नहीं आती है। जिम्मेदारी यह होती है कि मेरी फिल्म ठीक तरीके से और रिलीज तारीख पर रिलीज हो। मैं यह जिम्मेदारी जरूर लेता हूं कि फिल्म में वह सब न दिखाया जाए, जो देखना लोग पसंद न करें। मेरी फिल्में बड़ों के साथ बच्चे भी देखते हैं। ऐसे में मैं कई चीजों का ख्याल रखता हूं। मैं यह नहीं कहता हूं कि क्राइम या रोमांस फिल्मों में मत दिखाओ। दिखाने के भी दो-तीन तरीके होते हैं। जहां क्राइम या रोमांटिक सीन देखते हुए आपको आंखें न बंद करनी पड़े। इस तरह की जिम्मेदारियां हैं, जो बतौर एक्टर मैं लेता हूं कि इस सीन को फलां तरीके से शूट करो या महिलाओं को फलां तरीके से मत दिखाओ, क्राइम में उतना रक्त मत दिखाओ। बादशाह और किच्चा यह सब मेरे नाम हैं। (अपनी पत्नी की ओर इशारा करते हुए) यह मुझे कभी डी बोलती है, दीपू बुलाती है, गुस्से में होती है तो नाम से ही नहीं बुलाती है। उसका मतलब यह नहीं है कि आपकी पहचान बदल जाती है। प्यार से कुछ भी बुलाओ, सब चलता है।
विक्रांत रोणा फिल्म के वीएफएक्स को लेकर चर्चाएं हैं। भारतीय फिल्मों का वीएफएक्स क्या अब हॉलीवुड फिल्मों से मुकाबला करने के लिए तैयार हो रहा है?
फिल्म का वीएफएक्स कैसा होगा यह इस पर निर्भर करता है कि आप उसे कितना वक्त दे रहे हैं। एक फिल्म अगर रिलीज के लिए तैयार है और आप उसे रिलीज न करें, तो हर एक महीने का काफी ब्याज लगता है। वीएफएक्स फिल्म की शूटिंग पूरी होने के बाद किया जाता है। तब तक आप जो करोड़ों रूपये खर्च कर चुके होते हैं, उस पर ब्याज लगता है। वीएफएक्स करने में अगर एक महीने लगते हैं और अगर बजट 100 करोड़ हैं, तो अंदाजा लगाइए उसका तीन प्रतिशत ब्याज कितना होगा। तीन-चार महीने लग गए तो यह खर्च और बढ़ जाता है। यह फिल्म के बजट के अलावा होने वाला खर्च है, जिसे करने के लिए निर्माता को निर्णय लेना पड़ता है। अगर कोई निर्माता रुककर यह कहता है कि फिल्म को अच्छा बनाते हैं, तभी वीएफएक्स अच्छा बनता है। वीएफएक्स टीम ने अच्छा काम किया है, लेकिन वह जादूगर तो नहीं हैं। उन्हें वक्त चाहिए होता है।
आपने कहा कि इसे सिर्फ मसाला एंटरटेनमेंट फिल्म न समझा जाए। यह कंटेंट वाली फिल्म है। इस वक्त बॉक्स ऑफिस पर कौन सी फिल्म कैसे चलेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। आपकी क्या उम्मीदें हैं?
हमारा भी यही कोशिश है कि इस फिल्म के जरिए हम दर्शकों का मनोरंजन करें। हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारी फिल्म सबसे अलग है, लेकिन अच्छी फिल्म है, पैसे ऐसे ही नहीं लगाए हैं। कोई भी निर्माता हिंदी, तेलुगू या तमिल दर्शकों को सिर्फ खुश करने के लिए बजट नहीं लगाएगा। यह सिर्फ बजट की वजह से अच्छी फिल्म नहीं है। इसमें बहुत मेहनत लगी है। कंटेंट अलग है। इमोशनल फिल्म है, जो अंत में छूएगी।