Move to Jagran APP

दरअसल: G गैंग का सरगना, मुंबई पुलिस और अपराध का 'सेक्रेड गेम्स'

G गैंग का सरगना गणेश गायतुंडे और पुलिस अधिकारी सरताज सिंह की भिडंत की इस कहानी में मुंबई हर रंग में नज़र आती है।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 03:54 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 03:40 PM (IST)
दरअसल: G गैंग का सरगना, मुंबई पुलिस और अपराध का 'सेक्रेड गेम्स'
दरअसल: G गैंग का सरगना, मुंबई पुलिस और अपराध का 'सेक्रेड गेम्स'

-अजय ब्रह्मात्मज

loksabha election banner

पहले ओरिजिनल इंडियन कंटेंट के तौर पर कल से नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ उपलब्ध होगा। यह सीरीज विराम चन्द्र के इसी नाम के अंग्रेजी उपन्यास पर आधारित है। नेटफ्लिक्स ने यह किताब चुन ली थी। पुलिस और गैंगस्टर की लुकाछिपी और धड़पकड़ की इस कहानी का शहर मुंबई है। क्राइम और थ्रिलर के उस्ताद निर्देशक अनुराग कश्यप अपने दोस्त विक्रमादित्य मोटवानी के साथ इसका निर्देशन करेंगे। इस सीरीज के लीड राइटर वरुण ग्रोवर हैं, उनके साथ स्मिता सिंह और वसंत नाथ भी जुड़े हैं। सीरीज में सैफ अली खान और नवाज़ुद्दीन सिद्दकी मुख्य भूमिकाओं में हैं। उनके साथ राधिका आप्टे एक अहम् किरदार निभा रही हैं।

G गैंग का सरगना गणेश गायतुंडे और पुलिस अधिकारी सरताज सिंह की भिडंत की इस कहानी में मुंबई हर रंग में नज़र आती है। उपन्यास में अपराध के साथ प्रेम कहानी, विस्थापन, शहर में आये व्यक्तियों की महत्वाकांक्षा, ज़िन्दगी और मौत की परते हैं। यह वह दौर था जब अख़बारों के पहले पन्ने पर एनकाउंटर और शूट आउट की ख़बरें रहती थीं। बाबरी मस्जिद ढहने के बाद मुंबई में हुए दंगों और बम विस्फोट ने नागरिकों को दहला दिया था.। दहशत के माहौल में अंडरवर्ल्ड और पुलिस विभाग दोनों एक्टिव थे। शहर में हिंसा का तांडव था। सभी खौफ में रहते थे। विक्रम चंद्रा ने इसी दौर को उपन्यास में रखा है।

नेटफ्लिक्स को अपने मिजाज के मुताबिक यह उपन्यास पसंद आया। अब मुंबई की यह कहानी एक साथ कई देशों में पहुंचेगी। पलट कर देखें तो मुबई में एक्टिव अपराध की दुनिया दशकों से हिंदी फिल्मकारों को लुभाती रही है। देव आनद के ज़माने में उस दुनिया के सरगना के एन सिंह हुआ करते थे।

बाद में अजित और दूसरे कलाकार आये। ये हीरो की मोहब्बत और ज़िन्दगी में मुसीबत बन कर खड़े होते थे। उसे गुमराह करते थे। गलत रास्तों पर ले जाते थे। हीरो की पैरेलल भूमिका में होने पर भी लम्बे समय तक वे खलनायक ही रहे। उनके महिमामंडन की कोशिश नहीं हुई।

 

नौवें दशक में ये निगेटिव ब्लैक किरदार ग्रे होने लगे। उन्हें अलग शेड में दिखाया जाने लगा। उनके प्रति सहानुभूति बरती जाने लगी। वे हीरो पर हावी होकर उसे मात भी देने लगे। धीरे-धीरे हिंदी फिल्मों ने अपराधियों की गैरकानूनी दुनिया में रमना शुरू कर दिया। उनका पारिवारिक और मानवीय चेहरा भी दिखाया जाने लगा।दर्शकों ने भी इन्हें पसंद किया।

हौसला इतना बढ़ा कि रामगोपाल वर्मा ने ‘सत्या और ‘कंपनी’ जैसी फिल्मों में अपराधियों को मुख्य किरदार दिए। हैदराबाद से मुंबई आने के बाद रामगोपाल वर्मा ने पहले ‘रंगीला’ बनायी, लेकिन जल्दी ही ‘दौड़’ से उन्होंने राह बदली और ‘सत्या’ से खुद के साथ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कामयाबी का फार्मूला दे दिया।

इसमें थ्रिल और एक्शन के साथ अपराध और अंडरवर्ल्ड की रोचक व रोमांचक दुनिया थी। रामगोपाल वर्मा ने गहरे रिसर्च से अपनी कहानियों और किरदारों को चुना। पुलिस अधिकारीयों और अंडरवर्ल्ड के अपराधियों के किस्सों और अनुभवों को उन्होंने फिल्म का रूप दिया। उनकी कामयाबी की नक़ल में दूसरे फिल्मकारों ने भी अंडरवर्ल्ड की कहानियां चुनीं, लेकिन उनके पास रामू की नज़र नहीं थी। याद करें तो रामू की ‘सत्या’ के लेखन से जुड़े अनुराग कश्यप ने अपराध और अंडरवर्ल्ड की दुनिया और उसकी मानसिकता को खूब अच्छी तरह समझा और साधा। हम उनकी फिल्मों में रामू की संगत का असर देखते हैं।

अनुराग कश्यप की पहली फिल्म ‘पांच’ से लेकर ‘मुक्काबाज़’ तक में अपराध की दुनिया किसी न किसी रूप-रंग में मौजूद रहती ही है। उनकी ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ इस जोनर की खास फिल्म है। ऐसी कहानियों में उनका मन रमता है। उनके सृजन की बारीकियां निखरती हैं। अपराध की दुनिया की असरदार कहानियों के लिए जे पी दत्ता की ‘हथियार’ और विधु विनोद चोपड़ा की ‘परिंदा’ को नहीं भूला जा सकता।

इन दोनों फिल्मों में हिंसा और अपराध को प्रभावशाली तरीके से परदे आर पेश किया गया था। खास कर विधु विनोद चोपड़ा की कहानी और नाना पाटेकर के अभिनय ने एक अपराधी की क्रूरता के लिए नाटकीयता या हाई पिच ड्रामा का इस्तेमाल नहीं किया था। नाना के परदे पर आते ही सिहरन सी होती है।

बाद के फिल्मकारों में रामगोपाल वर्मा और अनुराग कश्यप ही हिंसा और अपराध के चित्रण में उस इंटेंसिटी को छू पाए। फिल्मों में समय की सीमा रहती है। उम्मीद है कि अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ में इस जोनर को नयी ऊंचाई देंगे। उनके पास फ़िलहाल आठ घंटे का समय है। G गैंग और सरताज सिंह आमने-सामने हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.