अंगूठी और समंदर का खामोश अफसाना, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी
ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा खुल्लम खुल्ला में लिखा है कि जब वो लोग बॉबी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो डिंपल ने उस अंगूठी को उनकी अंगुली से निकालकर अपनी अंगुली में पहन लिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्मी सितारों की अधूरी प्रेम कहानियों के कई किस्से और गॉसिप रहे हैं। कुछ ऐसे ही किस्से बयां कर रहे हैं अनंत विजय...
कुछ दिनों पहले जब ऋषि कपूर का निधन हुआ था तो ऋषि कपूर के पुराने इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुए। कपिल शर्मा के शो में ऋषि और नीतू सिंह वाला एपिसोड भी खूब चला। उस एपिसोड में जब ऋषि कपूर की प्रेमिकाओं की बात हो रही थी तो कपिल शर्मा ने नीतू सिंह से एक अंगूठी के बारे में पूछा, जब नीतू सिंह ने कहा कि वो उनके पास है तो ऋषि ने कहा कि छोड़ो वो किस्सा यार वो किसी के पास नहीं है वो तो समंदर में है। दरअसल ये बात हो रही थी ऋषि कपूर की उस अंगूठी के बारे में जो उन्हें उनकी पहली प्रेमिका यासमीन मेहता ने अपने प्रेम की निशानी के तौर पर दी थी। ये एक बेहद साधारण अंगूठी थी, लेकिन उस पर एक खास तरह का चिन्ह बना हुआ था।
ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में लिखा है कि जब वो लोग 'बॉबी' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो डिंपल ने उस अंगूठी को उनकी अंगुली से निकालकर अपनी अंगुली में पहन लिया था। फिर डिंपल ने उसको लौटाया नहीं। 'बॉबी' फिल्म की शूटिंग के दौरान ही राजेश खन्ना ने डिंपल को देखा और उनको अपना दिल दे बैठे। जब राजेश खन्ना ने डिंपल को प्रपोज करने के लिए उनका हाथ अपने हाथ में लिया तो उनको वो अंगूठी दिखाई दी जो डिंपल ने ऋषि की अंगुली से उतारकर पहन ली थी। राजेश खन्ना को डिंपल की खूबसूरत अंगुली में वो अंगूठी नहीं भायी और उन्होंने डिंपल के हाथ से उस अंगूठी को उतारकर जूहू के अपने घर के नजदीक समंदर में उछाल दिया। ऋषि कपूर और यासमीन के प्यार की निशानी जो डिंपल की अंगुली में चमकती थी वो समंदर के आगोश में समा गई।
उस वक्त फिल्मी गॉसिप छापने वाली पत्रिकाओं में छपा भी था, राजेश खन्ना ने ऋषि कपूर की अंगूठी समंदर में फेंकी, लेकिन ऋषि ने साफ तौर पर कहा कि उनको डिंपल से कभी प्यार नहीं था, न ही उनको प्रति आकर्षित थे। हां उन्होंने इतना जरूर माना कि वो डिंपल को लेकर थोड़े पजेसिव थे। बॉलीवुड सितारों की अंगूठी, उनकी मोहब्बत और समंदर का ये रोमांटिक जिक्र पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले देव आनंद ने भी अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में भी किया है।
देव आनंद और सुरैया का प्रेम परवान चढ़ रहा था, लेकिन सुरैया की नानी को ये पसंद नहीं आ रहा था और उन्होंने साफ तौर पर सुरैया को ये संदेश दे दिया था कि अगर ये प्रेम सबंध आगे बढ़ा तो या तो सुरैया रहेगी या उनकी नानी, लेकिन सुरैया की मां अपनी बेटी और देव आनंद के प्यार के पक्ष में थीं। जब सुरैया के प्यार पर पहरा लगा था तो उनकी मां ने ही देव आनंद और सुरैया को रात साढ़े ग्यारह बजे के बाद अपने अपार्टमेंट की छत पर मिलने का इंतजाम किया था। देव आनंद ने आत्मकथा में बेहद रोचक तरीके से इस मुलाकात का उल्लेख किया है। उसी मुलाकात में सुरैया ने देव आनंद से प्रेम का इजहार किया था।
देव आनंद इतने खुश थे कि उन्होंने अगले ही दिन मुंबई के झवेरी बाजार से सुरैया के लिए एक बेहद खूबसूरत अंगूठी खरीदी। अब समस्या ये थी कि सुरैया तक अंगूठी पहुंचे कैसे। देव आनंद फोन करें तो सुरैया की नानी उठाएं और ये फोन रख दें। अचानक देव आनंद को अपने सिनेमेटोग्राफर मित्र दिवेचा याद आए। दिवेचा पहले भी देव आनंद और सुरैया के बीच प्रेम पत्रों के आदान-प्रदान का माध्यम बन चुके थे। जब दिवेचा को देव आनंद ने फोन किया तो उन्होंने पूछा कि क्या फिर से प्रेम पत्र पहुंचाना है। इस पर देव आनंद ने बेहद खुशी के साथ
कहा था कि नहीं, इस बार इंगेजमेंट रिंग पहुंचाना है। फिर दिवेचा ने देव आनंद की वो अंगूठी सुरैया तक पहुंचा दी। अब देव आनंद खुशी के साथ ये मानकर बैठे थे कि उनकी इंगेजमेंट हो गई लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
सुरैया की नानी और उनके रिश्तेदारों ने मिलकर सुरैया पर इतना दबाव बनाया कि वो देव आनंद से संबंध तोडऩे पर राजी हो गईं। सुरैया एक दिन देव आनंद की अंगूठी लेकर समंदर के किनारे पहुंची। उसे अपनी अंगुली से उतारा और आखिरी बार देखा, देव आनंद के साथ के अपने प्यार को याद किया और फिर अंगूठी को सागर की लहरों पर उछाल दिया। लहरों ने देव आनंद और सुरैया के प्यार की निशानी को आगोश में ले लिया और शांत हो गया।