दरअसल: अक्षय कुमार की इस फ़िल्म के लिए जब प्रियंका चोपड़ा को सुनने पड़े थे ताने...
अँधेरी पश्चिम में स्थित फिल्मालय स्टूडियो में सुनील दर्शन ने ‘अंदाज' की दोनों हीरोइनों लारा दत्ता और प्रियंका चोपड़ा से मिलवाने के लिए मीडिया को बुला रखा था।
-अजय ब्रह्मात्मज
मुंबई के मानसून का ही महीना था। यही जुलाई का महीना, जब मुंबई में कई दिनों तक मूसलाधार बारिश होती है। शहर अस्त-व्यस्त और त्रस्त हो जाता है। दो दिनों से बारिश थमी नहीं थी। पंद्रह दिनों की मशक्कत के बाद प्रियंका चोपड़ा की पीआर मैनेजर अदिति का फ़ोन आया था कि आप फिल्मसिटी के फ्लोर नंबर 16 पर आ जाओ।
प्रियंका तरुण मनसुखानी की फिल्म ‘दोस्ताना' की शूटिंग कर रही हैं। यह दस साल पहले 2008 की बात है। बारिश के दिनों में फिल्मसिटी जाना आज भी गड्ढों भरा सफ़र होता है, तब तो और भी हिचकोले खाने पड़ते थे। खुद ड्राइव कर के जाना मुमकिन नहीं था,क्योंकि बारिश में बने नए गड्ढे गंदले पानी से ढके रहते हैं। आप कहीं भी फँस सकते हैं। मुंबई की बदहाली की क्या बात करें?
मैं तो इसी बात से खुश था कि प्रियंका का टाइम मिला है… बहरहाल, फिल्मसिटी का फ्लोर नंबर 16 रंग-रोगन से नयी चमक बिखेर रहा था। कुछ महीने पहले इसी फ्लोर पर संजय लीला भंसाली की ‘ब्लैक' की शूटिंग के दरम्यान आग लगी थी। फिलहाल ‘दोस्ताना’ का सेट लगा था। पहुँचते ही अदिति ने बताया कि समय की किल्लत हो गयी है। प्रियंका सिर्फ 15 मिनट ही बात कर पाएंगी। वह मुझे मंज़ूर नहीं था। फिर उसने सुझाया कि आप ग्रुप इंटरव्यू में भी बैठ जायें, सवाल तो एक जैसे ही होते हैं। वह तरीका मुझे और भी नामंजूर था। बात प्रियंका तक पहुंची और उन्होंने ही रास्ता निकाला। वह अकेले बात करने के लिए राज़ी हो गयीं, लेकिन वक़्त 15 मिनट मुक़र्रर हुआ।
यह अलग बात है कि हमेशा की तरह संक्षिप्त मुलाक़ात लंबी होकर 45 मिनट चली। दरअसल, प्रियंका से पहली मुलाक़ात सुनील दर्शन की राज कँवर निर्देशित ‘अंदाज' के सेट पर हुई थी। तभी से हर मुलाक़ात में उनका आदर और समय मिलता रहा है। वह पूरे मनोयोग से बात करती हैं और हिंदी जानती हैं। उनसे अंग्रेजी या अंग्रेजी बहुल हिंदी में सवाल नहीं पूछने पड़ते।
अँधेरी पश्चिम में स्थित फिल्मालय स्टूडियो में सुनील दर्शन ने ‘अंदाज' की दोनों हीरोइनों लारा दत्ता और प्रियंका चोपड़ा से मिलवाने के लिए मीडिया को बुला रखा था। उस दिन दो-दो शॉट के बीच में प्रियंका से कम और उनके माता-पिता मधु चोपड़ा और अशोक चोपड़ा से अधिक बातें हुईं। दोनों अपनी बेटी के भविष्य को सँवारने के लिए मुंबई आ गए थे। वे अनुभवी पत्रकारों से आश्वासन चाह रहे थे कि उनकी बेटी का फ़िल्मी करियर परवान चढ़ेगा या नहीं?
बाहर से आये किसी भी महिला कलाकार के माता-पिता की यह चिंता वाजिब थी, उन्हें बेटी के आत्मविश्वास का अहसास तो था कि वह अपने तई कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसी फिल्म का किस्सा है… साउथ अफ्रीका में शूटिंग चल रही थी। प्रियंका चोपड़ा के ज्यादातर दृश्य वहीँ शूट किये गए थे। एक गाना शूट होना था। उस गाने में प्रियंका को भारतीय शैली का नृत्य करना था। तब प्रियंका ढंग से ठुमके लगाना भी नहीं जानती थीं। डांस डायरेक्टर ने स्टेप समझा दिए। प्रियंका ने कोशिश की, लेकिन कोई न कोई गलती होती रही। 23 रिटेक के बाद डांस डायरेक्टर ने झुंझला कर पैक अप कहा और तंज किया ‘मिस वर्ल्ड होने से एक्टिंग नहीं आ जाती। डांस सीखना पड़ता है।’
संयोग से अगले दिन ही शेड्यूल रद्द करना पड़ा, क्योंकि हीरो अक्षय कुमार को फौरन मुंबई लौटना था। ट्विंकल का प्रसव निकट था। प्रियंका भी लौटीं और उन्होंने मुंबई पहुचते ही भारतीय नृत्य के गुरु पंडित वीरू कृष्णन के यहाँ दाखिला लिया और रोजाना 14 घंटे अभ्यास किया। कहते हैं एक महीने के बाद इसी गाने की शूटिंग के लिए प्रियंका साउथ अफ्रीका पहुंची तो डांस डायरेक्टर उनका साधा नृत्य देख कर दंग रह गए। उन्होंने पूछा,’ऐसा क्या कर लिया?’ आज सारी दुनिया जानती है कि प्रियंका कैसी धुन की पक्की लड़की है? प्रियंका नामुमकिन शब्द में यकीन नहीं करतीं। कल की ‘काली कलूटी' आज सभी की चहेती बनी हुई है।
बेधड़क अंदाज में अपनी जिंदगी जी रही है। अपने हौसले से ही उन्होंने सब हासिल किया है। भारती प्रधान और असीम छाबड़ा ने उनकी जीवनियाँ लिखी हैं। प्रियंका खुद भी लिखने-बताने के लिए राज़ी हुई हैं। उनकी आत्मकथा उनके करियर की तरह करोड़ों लड़कियों के लिए प्रेरणा बनेगी।