'दीवार' के लिए अमिताभ नहीं थे पहली च्वाइस, इस सुपरस्टार को लेना चाहते थे यश चोपड़ा
दीवार के पोस्टरों पर अमिताभ बच्चन का लुक काफ़ी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें वो ख़ाकी पैंट और नीली डेनिम शर्ट पहने हुए नज़र आते हैं।
मुंबई। अमिताभ बच्चन ने लगभग 5 दशक के करियर में एक से एक बेहतरीन फ़िल्में दी हैं, जिनमें कई सुपर हिट हुईं। यह फ़िल्में अमिताभ की बेमिसाल अदाकारी का नमूना हैं और वक़्त के सफ़र में मील का पत्थर बन चुकी हैं। ऐसी ही एक फ़िल्म है- 'दीवार'। यश चोपड़ा निर्देशित यह कालजयी फ़िल्म अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच कई झकझोरने वाले दृश्यों और संवादों के लिए भी विख्यात है।
'दीवार' 1975 में 24 जनवरी को रिलीज़ हुई थी। मुंबई के आइकॉनिक मिनर्वा थिएटर में फ़िल्म कई हफ़्तों तक हाउसफुल चली थी। बॉक्स ऑफ़िस पर इसे सुपर हिट घोषित किया गया था। 1975 की यह चौथी सबसे अधिक कमाने वाली फ़िल्म बनी। सात फ़िल्मफेयर पुरस्कारों से भी फ़िल्म को नवाज़ा गया था। 'दीवार' की कथा, पटकथा और संवाद उस दौर की सुपर हिट जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखे थे । इस फ़िल्म ने अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन की इमेज को और मजबूती दी थी। फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ शशि कपूर, परवीन बाबी, नीतू सिंह और निरूपा राय ने मुख्य किरदार निभाये थे। दीवार से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां यहां पेश हैं-
1. दर्ज़ी की मिस्टेक के चलते मिला आइकॉनिक लुक
'दीवार' के पोस्टरों पर अमिताभ बच्चन का लुक काफ़ी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें वो ख़ाकी पैंट और नीली डेनिम शर्ट पहने हुए नज़र आते हैं। बटन खुले हैं और कमर पर शर्ट को गांठ लगाकर बांधा हुआ है। कंधे पर रस्सी लटकी है। अमिताभ बच्चन ने एक बातचीत में बताया था कि यह लुक किसी ने डिज़ाइन नहीं किया था, बल्कि दर्ज़ी की एक ग़ल्ती की वजह से उन्हें मिला था। दरअसल, अमिताभ की शर्ट की लम्बाई काफ़ी अधिक हो गयी थी, जिसकी वजह से उसे कमर पर रोकने के लिए उसमें गांठ लगानी पड़ी।
'दीवार' में शूटिंग के समय अमिताभ ने और भी इनपुट दिये थे। मसलन, पिता की चिता जलाने वाले सीन में अमिताभ ने सलाह दी कि वो दायें के बजाए बायें हाथ से आग लगाएंगे, ताकि 'मेरा बाप चोर है' वाला टैटू कैमरे में दिख सके। बताया जाता है कि फ़िल्म की अधिकांश शूटिंग रात में की गयी थी, क्योंकि अमिताभ उस वक़्त रमेश सिप्पी की फ़िल्म 'शोले' की शूटिंग भी कर रहे थे।
2. विजय को ऐसे मिली 'मां निरूपा राय और भाई शशि कपूर
फ़िल्म के बारे में एक और दिलचस्प कहानी है। दीवार की कहानी जब निर्देशक यश चोपड़ा के पास पहुंची तो वो इसमें विजय और रवि के किरदारों के लिए राजेश खन्ना और नवीन निश्चल को लेना चाहते थे, लेकिन सलीम-जावेद के ज़हन में अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी थी। इन दोनों को ध्यान में रखकर ही फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखी गया थी। शुत्रघ्न ने यह फ़िल्म इसलिए ठुकरा दी थी, क्योंकि शुरुआत में राजेश खन्ना का नाम लीड रोल के लिए रेस में था और शॉट गन की समीकरण उस वक़्त काका से बिगड़ी हुई थी।
विजय और रवि की मां सुमित्रा देवी के रोल में सबसे पहले वैजयंतीमाला को कंसीडर किया गया था, मगर उन्होंने फ़िल्म इसलिए छोड़ दी थी, क्योंकि राजेश खन्ना फ़िल्म से निकल चुके थे। वहीं, नवीन निश्चल के फ़िल्म छोड़ने का भी यही कारण था। वो अमिताभ के साथ सेकंड लीड रोल नहीं करना चाहते थे। आख़िरकार शशि कपूर रवि के रोल के लिए फाइनल हुए। दिलचस्प बात यह है कि शशि, अमिताभ से 4 साल बड़े थे, मगर फ़िल्म में उनके छोटे भाई बने। 'दीवार' के समय अमिताभ की उम्र सिर्फ़ 33 साल थी, जबकि शशि 37 के हो चुके थे।
3. हाजी मस्तान पर आधारित था अमिताभ का किरदार
सत्तर के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया डॉन हाजी मस्तान के इर्द-गिर्द घूमती थी। उस दौर की गैंगस्टर फ़िल्मों में कहीं ना कहीं उनका अक्स रहता था। 'दीवार' में भी अमिताभ का कैरेक्टर विजय हाजी मस्तान पर ही आधारित दिखाया गया था। डॉक पर काम करने वाले मजदूर भाई को वक़्त और ज़माने की ठोकरें अंडरवर्ल्ड में धकेल देती हैं। वहीं, दूसरा भाई मुफ़लिसी और गुरबत की मार पर भी ईमानदारी का रास्ता नहीं छोड़ता और पुलिस अफ़सर बन जाता है। इन दोनों का ऑनस्क्रीन टकराव ही 'दीवार' की हाइलाइट है और कई यादगार सींस निकले हैं।
4. मंदिर वाला सीन करने से पहले 11 घंटे की थी रिहर्सल
'दीवार' में अमिताभ का मंदिर वाला सीन काफ़ी लोकप्रिय हुआ, जिसमें वो भगवान शिव के मंदिर में जाते हैं और कहते हैं- आज ख़ुश तो बहुत होगे तुम...। यह सीन आज भी कल्ट माना जाता है। मगर, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस सीन को करने से पहले अमिताभ ने 11 घंटे रिहर्सल की थी। अमिताभ के मुताबिक यह फ़िल्म का सबसे मुश्किल सीन था, जिसके बारे में उन्होंने सलीम-जावेद को पहले ही कह दिया था।
जिस दिन सीन शूट होना था, सुबह 11 बजे तैयारी करने के बाद यश चोपड़ा ने अमिताभ को बुलाया, मगर बच्चन तैयार नहीं थे और वक़्त मांगा। इसके बाद वो अपने कमरे में चले गये और रात 10 बजे तक आईने के सामने रिहर्सल करते रहे, मगर संतुष्टि नहीं मिली। आख़िरकार यश चोपड़ा उन्हें लेने गये और वैसे ही सीन शूट करने को कहा। अमिताभ ने सीन शूट तो कर लिया, मगर अंदर से उन्हें ठीक नहीं लग रहा था। फ़िल्म की रिलीज़ के बाद इस सीन ने तहलका मचा दिया था और हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक सींस में शामिल हो गयी।
5. दिलीप कुमार की फ़िल्म से प्रेरित थी बच्चन की दीवार
दीवार की थीम दिलीप कुमार की 1961 में आयी 'गंगा जमना' से प्रेरित थी, जो दो भाइयों की कहानी थी। बड़ा भाई हालात का शिकार होकर डाकू बन जाता है, जबकि छोटा भाई पुलिस अफ़सर। फ़र्ज़ के हाथों मजबूर छोटा भाई आख़िरकार बड़े भाई को ख़त्म कर देता है। इस फ़िल्म में वैजयंतीमाला फ़ीमेल लीड रोल में थीं, जिन्हें बाद में दीवार के लिए एप्रोच किया गया था, जिसकी कहानी ऊपर बतायी जा चुकी है। हालांकि सलीम-जावेद ने 'गंगा जमना' के साथ महबूब ख़ान की 'मदर इंडिया' को भी दीवार की प्रेरणा बताया था।
हांगकांग में बना दीवार का रीमेक
'दीवार' बहुत बड़ी सफलता बनी और दक्षिण भारतीय भाषाओं के अलावा हांगकांग में इसे रीमेक किया गया था। तेलुगु में Magaadu, तमिल में Thee और मलयालम में Nathi Muthal Nathi Vare शीर्षक से इसके रीमेक अगले कुछ सालों तक आते रहे। मगर, सबसे दिलचस्प बात तब हुई, जब शॉ ब्रदर्स स्टूडियो ने इसे 'द ब्रदर्स' के नाम से हांगकांग में रीमेक किया। इस फ़िल्म ने जॉन वू की फ़िल्म 'अ बेटर टूमॉरो' को प्रेरित किया। 1994 में 'दीवार' से प्रेरित 'आतिश' आयी, जिसमें संजय दत्त, आदित्य पंचोली, अतुल अग्निहोत्री और करिश्मा कपूर ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं।
...एक और दीवार
अमिताभ बच्चन 2004 में एक बार फिर 'दीवार' में नज़र आये, जिसे मिलन लूथरिया ने डायरेक्ट किया था, मगर इसकी कहानी अलग थी। मिलन ने इस फ़िल्म के ज़रिए पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय युद्धबंदियों का मुद्दा उठाया था। हालांकि फ़िल्म 1963 की हॉलीवुड फ़िल्म 'द ग्रेट एस्केप' से प्रेरित थी। इस 'दीवार' में अमिताभ के साथ संजय दत्त और अक्षय खन्ना मुख्य भूमिकाओं में थे।