'बेगम जान' तो बन गईं विद्या बालन, मगर सताता रहा ये डर
बेगम जान देश के विभाजन की बैकग्राउंड पर बनी एक ऐसे घर की कहानी है, जो दो देशों की प्रस्तावित सीमा पर स्थित है। बॉर्डर लाइन इसी घर के भीतर से होकर जानी है।
मुंबई। केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड यानि सेंसर बोर्ड आजकल जिस शिद्दत से अपनी धारदार कैंची तैयार लिए बैठा रहता है, कि कब मौक़ा मिले और फ़िल्म की रील कुतर दें, उसके मद्देनज़र विद्या बालन को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि बेगम जान को सेंसर बोर्ड से क्लीयरेंस मिल जाएगी।
बेगम जान देश के विभाजन की बैकग्राउंड पर बनी एक ऐसे घर की कहानी है, जो दो देशों की प्रस्तावित सीमा पर स्थित है। बॉर्डर लाइन इसी घर के भीतर से होकर जानी है। इस घर एक कोठा होता है, जिसकी मालकिन बेगम जान है। फ़िल्म का सब्जेक्ट काफी बोल्ड है, जिसके चलते विद्या के किरदार को गाली-गलौज करते हुए दिखाया गया है। भाषा के अलावा फ़िल्म के दृश्यों में भी बोल्डनेस देखने को मिलती है। हाल के कुछ अर्से से सेंसर बोर्ड के मिज़ाज को देखते हुए विद्या को डर था कि फ़िल्म सीबीएफसी में जाकर अटक जाएगी, लेकिन उन्हें यक़ीन था कि महेश भट्ट इसके लिए सेंसर बोर्ड से भी टकरा जाएंगे।
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विद्या ने एक कार्यक्रम में बताया- ''जब ये फ़िल्म मुझे ऑफ़र की गई थी, तो मुझे इस बात की फ़िक्र थी कि ये विवादित हो सकती है। लेकिन मुझे ये भी यक़ीन था कि अगर ज़रूरत पड़ी तो प्रोड्यूसर महेश भट्ट और डायरेक्टर श्रीजीत मुखर्जी सेंसर बोर्ड से लड़ जाएंगे। मुझे हैरानी हुई कि फ़िल्म को सेंसर बोर्ड ने बिना किसी कट के पास कर दिया। इसके विजुअल काफी स्ट्रांग हैं।''
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बेगम जान अगले महीने रिलीज़ हो रही है। ये बंगला फ़िल्म राजकहिनी का हिंदी रीमेक है, जिसे श्रीजीत ने ही डायरेक्ट किया था। श्रीजीत का ये हिंदी फ़िल्म डेब्यू भी है। बेगम जान में गौहर ख़ान, मिष्टी, पल्लवी शारदा, इला अरूण, चंकी पांडे, विवेक मुशरान, आशीष विद्यार्थी और रजित कपूर मुख्य किरदारों में दिखाई देंगे।