Move to Jagran APP

आवाज, अभिनय की अनूठी मिसाल थे किशोर दा

बॉलीवुड में किशोर कुमार अपनी तरह के पहले ऐसे इंसान थे, जिन्होंने इस क्षेत्र की हर फील्ड में हाथ आजमाए। वह गायक और अभिनेता होने के साथ-साथ पटकथा लेखक, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, गीतकार भी थे।

By Edited By: Published: Sat, 13 Oct 2012 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2012 10:23 AM (IST)
आवाज, अभिनय की अनूठी मिसाल थे किशोर दा

नई दिल्ली। बॉलीवुड में किशोर कुमार अपनी तरह के पहले ऐसे इंसान थे, जिन्होंने इस क्षेत्र की हर फील्ड में हाथ आजमाए। वह गायक और अभिनेता होने के साथ-साथ पटकथा लेखक, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, गीतकार भी थे। बॉलीवुड के वह ऐसे गायक थे जिन्होंने हिंदी के अलावा बंगाली, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, असमी, भोजपुरी, मराठी, गुजराती भाषा में भी गाने गाए। बॉलीवुड में उनके लिए कहा जाता था कि वह हमेशा नए नए प्रयोग करने को उतारू रहते थे। एक हास्य अभिनेता के रूप में भी उनकी एक अनूठी पहचान थी। इसके बावजूद वह दूसरों की कही बातों को भी मानने से परहेज नहीं करते थे। फिल्म पड़ोसन की शूटिंग के दौरान किशोर कुमार के अभिनय की छटा को और निखारने में महमूद ने अहम भूमिका अदा की थी।

loksabha election banner

किशोर कुमार बॉलीवुड के पहले ऐसे पा‌र्श्व गायक थे जिन्हें गायकी के लिए सबसे ज्यादा बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें आठ बार गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। हिंदी फिल्मों में उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए ही मध्यप्रदेश सरकार ने उनके नाम पर किशोर कुमार पुरस्कार की शुरुआत की। इस पुरस्कार को शुरू करने की एक बड़ी वजह यह भी थी कि उनका जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को हुआ था। 13 अक्टूबर को जब उनके बड़े भाई और बॉलीवुड के दादामुनि अशोक कुमार का जन्मदिन था उसी दिन किशोर कुमार ने 1987 में 58 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। इसके बाद अशोक कुमार ने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। किशोर कुमार यूं भी अशोक कुमार के सबसे चहेते थे।

किशोर कुमार का नाम बॉलीवुड की ओर रुख करने से पहले अभास कुमार गांगुली था। उनके पिता कुंजालाल गांगुली एक वकील थे और एक समृद्ध बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। किशोर कुमार उस दौर के जाने माने अभिनेता कुंदन लाल सहगल के बड़े फैन थे। वह अशोक कुमार की देखा-देखी ही बॉलीवुड में आए तो जरूर लेकिन वह सहगल की तरह ही अपने को इस क्षेत्र में ढालना चाहते थे।

वर्ष 1948 में खेमचंद प्रकाश ने अपनी फिल्म जिद्दी के लिए किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौका दिया। इसके बाद किशोर कुमार को बॉलीवुड में काम मिलना शुरू हो गया और उन्होंने मुंबई को ही अपनी कर्मस्थली बनाने का फैसला किया।

वर्ष 1951 में बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनने वाली फणीमजूमदार की फिल्म आंदोलन में उन्हें बतौर हीरो किरदार निभाने का मौका मिला। हालांकि बॉलीवुड में किशोर और अशोक कुमार के बीच एक बात को लेकर जरूर मतभेद थे। जहां अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर कुमार एक बेहतर अभिनेता बनें, वहीं किशोर गायिकी को अपना मुकाम बनाना चाहते थे। जिस वक्त किशोर कुमार अपने शुरुआती पड़ाव में थे उस वक्त अशोक कुमार बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे। लिहाजा किशोर कुमार को काम मिलने में कोई दिक्कतें नहीं आई।

उनके साथ के कई किस्से बॉलीवुड में बेहद मशहूर हैं। इनमें से एक में जब सलील चौधरी ने उनकी आवाज सुनी तो उन्होंने किशोर को छोटा सा घर होगा बादलों की छांव में दिया था। इससे पहले सलील इस गाने को हेमंत दा से गवाना चाहते थे। किशोर कुमार ने बिमल रॉय की नौकरी 1954 ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म मुसाफिर 1957, न्यू दिल्ली, आशा 1957 हॉफ टिकट 1962, पड़ोसन 1968 चलती का नाम गाड़ी 1958 दूर गगन की छांव में जैसे कई बेहतरीन फिल्मों में जबरदस्त अभिनय की छाप छोड़ी।

किशोर की गायिकी को सफलता से आगे बढ़ाने में जाने माने संगीतकार और गायक एसडी बर्मन का बड़ा हाथ माना जाता है। केएल सहगल की तर्ज पर अपना करियर बनाने की चाह रखने वाले किशोर को उन्होंने ही अपना एक अलग स्टाइल बनाने की सलाह दी थी। उन्होंने ही किशोर एक नया रंग और ढंग दिया। इसके बाद किशोर की जिंदगी काफी हद तक बदल गई। बर्मन दा ने उन्हें कई फिल्मों में मौका दिया। बर्मन दा और किशोर ने बॉलीवुड को गीत-संगीत में जबरदस्त प्रयोग करने का एक आयाम बनाया।

बर्मन दा ने किशोर को मुनीम जी 1954, टैक्सी ड्राइवर 1954, हाउस नंबर 44 1955, फंटूश 1956, पेइंग गेस्ट 1957, गाइड 1965, ज्वैल थीफ 1967, प्रेम पुजारी 1970, तेरे मेरे सपने 1971 जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन गीत गवाए। बॉलीवुड में बर्मन दा किशोर के बेहद करीब थे। जिस वक्त किशोर ने फिल्म मिली के लिए बड़ी सूनी सूनी है गाना गाया उस वक्त बर्मन दा कोमा में थे। शक्ति सामंत कि फिल्म अराधना एसडी बर्मन के संगीत से सजी आखिरी फिल्म थी।

जब कभी भी किशोर से कोई इंटरव्यू लेता था तो वह बर्मन दा के साथ किए काम का जिक्र करना कभी नहीं भूलते थे। इसके लिए उन्हें कभी-कभी बर्मन दा की डांट भी खानी पड़ी थी। वर्ष 1961 में आई झूमरू फिल्म में उन्होंने अभिनय के साथ-साथ इसको डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी किया था। इसके अलावा कई गीत भी गाए थे।

1964 की फिल्म दूर गगन की छांव में बहुत कुछ उनकी जिंदगी से मेल खाती थी। यह फिल्म उनके और उनके बेटे अमित कुमार के प्यार पर आधारित थी। इस फिल्म में मूक-बधिर बेटे का किरदार उनके ही पुत्र अमित कुमार ने निभाया था।

बॉलीवुड के कई अभिनेताओं को उन्होंने अपनी आवाज दी। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेद्र, जितेंद्र, संजीव कुमार, देव आनंद, शशि कपूर, रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, संजय दत्त, सनी देओल, अनिल कपूर, विनोद खन्ना, राकेश रोशन, दिलीप कुमार, प्राण, विनोद मेहरा, चंकी पाडे, कुमार गौरव, गोविंदा और जैकी श्रॉफ शामिल हैं। 1980 के मध्य में उन्होंने अमिताभ को अपनी आवाज देने से मना कर दिया। दरअसल वह अमिताभ के उनकी फिल्म में गेस्ट एपियरेंस न देने से नाराज थे जिसके चलते उन्होंने यह फैसला लिया। इस दशक में उन्होंने तीन फिल्में भी बनाई।

किशोर कुमार की इस दुनिया से विदाई ने कई कलाकारों की आवाज को उनसे छीन लिया। 13 अक्टूबर 1957 को उन्होंने 58 वर्ष की आयु में मुंबई के अपने घर में अंतिम सांस ली। उनके निधन से बॉलीवुड को जबरदस्त झटका लगा।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.