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जीरो का बउआ सिंह किस तरह कृष और बाकी सुपरहीरो से अलग है...यहां पढ़ें

आनंद कहते हैं कि मैं जब भी कोई सुपरहीरो वाली फिल्में अपने यहां बनते देखता था तो मुझे लगता था कि बहुत ही अच्छा है, इंटरेस्टिंग है। लेकिन वे कहानी मुझे अपनी सी नहीं लगती थी। उधारी जैसी लगती थी।

By Shikha SharmaEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 10:45 AM (IST)
जीरो का बउआ सिंह किस तरह कृष और बाकी सुपरहीरो से अलग है...यहां पढ़ें
जीरो का बउआ सिंह किस तरह कृष और बाकी सुपरहीरो से अलग है...यहां पढ़ें

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। आनंद एल राय का मानना है कि यह सच है कि बॉलीवुड की सुपरहीरो वाली फिल्में पसंद की जाती रही हैं। लेकिन उन्होंने अपनी फिल्म 'जीरो' के हीरो बउआ सिंह को जान बूझ कर सुपरहीरो बनाने की कोशिश नहीं की है। इसके बावजूद कि फिल्म में स्पेशल इफेक्ट्स हैं। आनंद का कहना है कि यह एक इमोशनल फिल्म है। आनंद का अब तक की हिंदी फिल्मों में दिखाये गये सुपरहीरो फिल्मों को लेकर अलग ख्याल है।

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जागरण डॉट कॉम से बातचीत के दौरान आनंद ने फिल्म के कांसेप्ट को लेकर बात करते हुए कहा कि उनको इस फिल्म के बारे में पांच साल पहले आइडिया आया था। उस वक्त हमारे यहां कृष और सुपरहीरो वाली फिल्में वर्क करनी शुरू हुई। लेकिन आनंद कहते हैं कि मैं जब भी कोई सुपरहीरो वाली फिल्में अपने यहां बनते देखता था तो मुझे लगता था कि बहुत ही अच्छा है, इंटरेस्टिंग है। लेकिन वे कहानी मुझे अपनी सी नहीं लगती थी। उधारी जैसी लगती थी। 250 वीं मंजिल पर खड़ा इंसान जो हाथ ऊपर करेगा और उड़ जायेगा। वह मेरा नहीं लगेगा। अपनापन नहीं है।

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आनंद कहते हैं कि एक वजह ऐसा भी है कि शायद हम सुपरहीरो के लिए तैयार नहीं हैं, जैसे हम हैं... हम देखने के लिए तैयार हैं, महसूस करने के लिए तैयार नहीं हैं। मुझे लगा कि कद में हम अभी छोटे हैं, तो जो वो आइडिया था कि हम कद में अभी छोटे हैं। फिर तो यह वक्त सही है कि एक वर्टिकली चैलेंज्ड इंसान की कहानी दिखाने के लिए। वो मेरा अपना सा लगेगा। मेरा अपना जो सुपरहीरो है। वही ये जीरो है। तो, मेरे जेहन में वहां से बात आयी थी। आनंद कहते हैं कि मैं अपनी इस फिल्म जीरो को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट तो नहीं कहूंगा। मगर मेरा बहुत मन था कि इस तरह की फिल्म बनाऊं। हालांकि लोग इसे वीएफएक्स फिल्म बोल रहे हैं। लेकिन मेरे लिए यह इमोशनल और पर्सनल फिल्म है। मेरी सोच थी कि वीएफक्स का इस्तेमाल फिल्म में इमोशनल जेनेरेट करने के लिए होना चाहिए। चीजें खूबसूरत दिखाने के लिए नहीं होना चाहिए बल्कि महसूस कराने के लिए होना चाहिए। आनंद का कहना है कि मेरे लिए भी यह जरूरी था कि मैं जिस तरह की फिल्में अब तक बनाता आया हूं तो मैं खुद भी खुद को आगे लेकर जाऊं। खुद को डिस्कवर करूं।  मैंने काफी सीखा है इस मेकिंग के दौरान कि हाइट और इमोशन का भी आपस में लेना-देना होता है। यह बात इस फिल्म के दौरान मेरे जेहन में घर कर गयी। जब कोई 4 फीट कुछ इंच वाला इंसान कुछ बोले और 5 फीट 10 इंच वाला इंसान बोले। सोच कर देखियेगा। दोनों में फर्क हो जाता है और हम अलग तरह से उसको तवज्जो देते हैं। बता दें कि आनंद की यह फिल्म 21 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है।


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