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कारगिल हीरो Vikram Batra की बायोपिक को मिला नाम, सिद्धार्थ और कियारा करेंगे काम

जे पी दत्ता की एल ओ सी कारगिल में अभिषेक बच्चन ने विक्रम बत्रा का रोल निभाया था l

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 03:31 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 10:27 AM (IST)
कारगिल हीरो Vikram Batra की बायोपिक को मिला नाम, सिद्धार्थ और कियारा करेंगे काम

मुंबई l पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने वाले सैनिकों ने कारगिल युद्ध के दौरान जो पराक्रम दिखाया था उसमें कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम भी गौरव से लिया जाता है l इस वीर सैनिक पर एक फिल्म बनाई जा रही है जिसे शेरशाह का नाम मिला है l  

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करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन इस फिल्म को बनाएगी l कारगिल हीरो के रूप में मशहूर कैप्टन विक्रम बत्रा के इस बायोपिक का निर्देशन विष्णु वर्धन करेंगे और संदीप श्रीवास्तव ने कहानी लिखी है। सिद्धार्थ मल्होत्रा इस फिल्म में लीड रोल निभाएंगे और उनके साथ कियारा आडवाणी लीड रोल में होंगी l ये गुड न्यूज़ के बाद करण के प्रोडक्शन में कियारा की दूसरी फिल्म होगी l उन्होंने कलंक में एक आइटम सॉंग भी किया था l पहले ऐसा कहा गया था कि कैप्टन बत्रा की गर्लफ्रेंड का किरदार निभाने के लिए मेकर्स ने कटरीना कैफ़ को एप्रोच किया है। इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होने वाली है l 

साल 1998 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम मल्होत्रा को अदम्य साहस दिखाने के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। विक्रम बत्रा ने ही कारगिल युद्ध में विजय पाने के बाद दिल मांगे मोर कोड का इस्तेमाल किया था। कैप्टन बत्रा की बहादुरी और युद्ध कौशल के चलते पाकिस्तानी सेना ने उन्हें शेरशाह नाम से कोडवर्ड दिया था, जिसे इस फिल्म का शीर्षक बनाया गया है । जे पी दत्ता की एल ओ सी कारगिल में अभिषेक बच्चन ने विक्रम बत्रा का रोल निभाया था l 

कौन थे विक्रम बत्रा -

हिमाचल प्रदेश के पालनपुर में जन्में विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया। उन्हें 1997 में जम्मू के सोपोर नामक स्थान पर सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली। पहली जून 1999 को विक्रम की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद विक्रम को कैप्टन बना दिया गया।

कारगिल के दौरान विक्रम को श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदारी मिली थी । बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम ने अपने साथी सैनिकों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।  वहां से  रेडियो के जरिए जब ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा तो सेना ही नहीं बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया।

इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें ‘कारगिल का शेर’ कहा गया। कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल वाई.के. जोशी ने विक्रम को शेर शाह उपनाम से नवाजा था। विक्रम ने जान की परवाह न करते हुए अपने साथियों के साथ, जिनमे लेफ्टिनेंट अनुज नैयर भी शामिल थे, कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। 

उसी दौरान एक विस्फोट में उनके कनिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गये थे। जब कैप्टन बत्रा लेफ्टीनेंट नवीन को बचाने के लिए पीछे घसीट रहे थे तभी उनकी की छाती में एक गोली लगी और वो वीरगति को प्राप्त हुये।

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