24 घंटों के अंदर दुनिया छोड़ गये थे इरफ़ान और ऋषि कपूर, 2020 के लॉकडाउन में इंडस्ट्री को लगा था दोहरा झटका!
इरफ़ान और ऋषि कपूर अलग-अलग वक़्त और धारा के कलाकार थे। सत्तर के दशक में बॉबी से सुपरहिट डेब्यू करने वाले ऋषि ने अपने करियर में अधिकतर रोमांटिक फ़िल्में कीं। वहीं अस्सी के दशक आख़िरी सालों में आयी ऑस्कर नॉमिनेटेड सलाम बॉम्बे से इरफ़ान ने इंडस्ट्री को सलाम किया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2020 में फ़िल्म इंडस्ट्री को दोहरा झटका लगा था, जब सिनेमा के दो दिग्गज इरफ़ान ख़ान और ऋषि कपूर 24 घंटों के अंदर इस दुनिया को अलविदा कह गये थे। कोरोना वायरस पैनडेमिक की वजह से चल रहे लॉकडाउन में इन दोनों सिनेमाई जीनियस का जाना इनके फैंस और इंडस्ट्री के लिए बड़ा सदमा था। 29 अप्रैल की दोपहर इरफ़ान ख़ान को सुपुर्दे-ख़ाक किया गया था और 30 अप्रैल सुबह लगभग 9 बजे ऋषि कपूर के निधन की ख़बर आ गयी थी।
इरफ़ान और ऋषि कपूर अलग-अलग वक़्त और धारा के कलाकार थे। सत्तर के दशक में बॉबी से सुपरहिट डेब्यू करने वाले ऋषि ने अपने करियर में अधिकतर रोमांटिक फ़िल्में कीं। वहीं, अस्सी के दशक आख़िरी सालों में आयी ऑस्कर नॉमिनेटेड सलाम बॉम्बे से इरफ़ान ने इंडस्ट्री को सलाम किया था। दोनों का करियर बिल्कुल अलग रहा, मगर अलग-अलग रास्तों से होते हुए 2013 की फ़िल्म डी-डे में इन दोनों की मुलाक़ात हुई।
दिलचस्प बात यह है कि निखिल आडवाणी निर्देशित फ़िल्म में ऋषि कपूर ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से प्रेरित रोल किया था, जो उन्होंने अपने करियर में कभी नहीं किया। वहीं, इरफ़ान ख़ान रॉ एजेंट बने थे। फ़िल्म में अर्जुन रामपाल, हुमा कुरैशी और श्रुति हासन भी अहम भूमिकाओं में थे।
डी-डे के प्रमोशन के दौरान इरफ़ान ख़ान से जब ऋषि कपूर के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने जवाब दिया था कि मेरे कज़िन उनके बहुत बड़े फैन हैं। हालांकि, मैंने उनकी सभी फ़िल्में देखी हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे अंदर कभी था कि मैं ऋषि कपूर जैसा बन पाऊंगा। वो इतने तरल हैं। उन्होंने अपनी कला को तैयार करने में बहुत काम किया है। वो ऐसे सितारों में शामिल हैं, जो लगातार एक जैसी फ़िल्में करते रहते हैं, मगर फिर भी उनसे कुछ-कुछ नया मिलता रहता है।
डी-डे मोस्ट वॉन्टेड अपराधी को पाकिस्तान से भारत लाने के मिशन पर आधारित थी। यह पहली बार था कि ऋषि कपूर ने पर्दे पर किसी डॉन का किरदार निभाया हो। करियर की इस पारी में ऋषि काफ़ी प्रयोगधर्मी हो गये थे और अपने किरदारों के साथ एक्सपेरिमेंट करने लगे थे।