पुण्यतिथि विशेष: अगर मैट्रिक की परीक्षा में फेल ना हुए होते राज कपूर...
राज कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म 'इंकलाब' से की थी। बतौर अभिनेता वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म 'नीलकमल' उनकी पहली फिल्म थी।
मुंबई। साल 1985 में राज कपूर निर्देशित अंतिम फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' रिलीज हुई। इसके बाद राज कपूर अपने महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'हिना' के निर्माण में व्यस्त हो गये, लेकिन उनका ये सपना उनकी आंखों के आगे साकार नहीं हुआ। 02 जून 1988 को राज कपूर दुनिया को अलविदा कह गये। आज भारतीय सिनेमा के शो मैन राज कपूर की पुण्यतिथि है।
हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में देने वाले पहले शो मैन राज कपूर बचपन के दिनो से अभिनेता बनना चाहते थे। इसके लिये उन्हें न सिर्फ क्लैपर ब्वॉय बनना पड़ा साथ ही केदार शर्मा का थप्पड़ भी खाना पड़ा था। 14 दिसंबर 1924 को पेशावर(अब पाकिस्तान) में जन्मे राज कपूर जब मैट्रिक की परीक्षा में एक विषय में फेल हो गये। तब अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से उन्होंने कहा, 'मैं पढ़ना नही चाहता। मैं फिल्मों में काम करना चाहता हूं। मैं अभिनेता बनना चाहता हूं। ये सुन पृथ्वीराज कपूर की आंखें खुशी से चमक उठीं।
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राज कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म 'इंकलाब' से की थी। बतौर अभिनेता वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म 'नीलकमल' उनकी पहली फिल्म थी। राज कपूर फिल्मों मे अभिनय के साथ ही कुछ और भी करना चाहते थे। वर्ष 1948 में आर.के.फिल्मस की स्थापना कर 'आग' का निर्माण किया। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म 'आवारा' राज कपूर के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई। फिल्म की सफलता ने राज कपूर को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।
राज कपूर को अपने सिने करियर में मानसम्मान खूब मिला। वर्ष 1971 में राज कपूर पद्मभूषण पुरस्कार और वर्ष 1987 में हिंदी फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब पाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। बतौर अभिनेता उन्हें दो बार, जबकि बतौर निर्देशक उन्हें चार बार पिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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