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दासदेव के म्यूजिक कंपोजर विपिन पटवा ने बताया सुधीर मिश्रा को क्यों नहीं चाहिए था सुपरहिट गीत

सुधीर मिश्रा निर्देशित फिल्म दासदेव सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी हैं। पढ़िए इस फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक देने वाले यंग म्यूजिक कंपोजर विपिन पटवा से खास बातचीत -

By Rahul soniEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 03:45 AM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 03:45 AM (IST)
दासदेव के म्यूजिक कंपोजर विपिन पटवा ने बताया सुधीर मिश्रा को क्यों नहीं चाहिए था सुपरहिट गीत
दासदेव के म्यूजिक कंपोजर विपिन पटवा ने बताया सुधीर मिश्रा को क्यों नहीं चाहिए था सुपरहिट गीत

मुंबई। बॉलीवुड फिल्मों में संगीत का अहम स्थान रहा है। चाहे कॉमर्शियल फिल्में हो या फिर डार्क सिनेमा। अगर शास्त्रीय संगीत और पाश्चात्य दोनों संगीत का अच्छा ज्ञान है तो किसी भी प्रकार की फिल्म में संगीत देना आसान हो जाता है। एेसा ही कुछ कर रहे हैं यंग म्यूजिक कंपोजर विपिन पटवा।

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उत्तरप्रदेश के रहने वाले विपिन मुंबई में कई सालों से अलग-अलग फिल्मों में संगीत दे रहे हैं। एेसी ही एक प्रसिद्ध फिल्म मशहूर निर्देशक की 'दासदेव' है जो पिछले महीने 27 अप्रैल को रिलीज हुई है। इस फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक देने के साथ कई गीतों का म्यूजिक कंपोजिशन विपिन ने ही किया है। जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत में विपिन पटवा ने फिल्म दासदेव के साथ संगीत को लेकर अपने सफर और सिनेमा में संगीत के बारे में चर्चा की।

क्रिएटिव सेटिस्फेक्शन जरूरी

विपिन ने फिल्म दासदेव को लेकर बताया है कि, मैं जिस जगह से आता हूं, जेएनयू वहां पर सुधीर मिश्रा की अलग इमेज है। जब पढ़ाई कर थे तब फिल्म 'हजारों ख्वाइशे एेसी' देखी तब ही तय कर लिया था कि सुधीर मिश्रा की फिल्म में काम जरूर करना है। बहुत बड़े डायरेक्टर हैं। पिक्चर चले न चले लेकिन सुधीर मिश्रा के साथ काम करना था। यह एक सपने जैसा था। क्योंकि एक गुणी आदमी के साथ काम करने पर क्रिएटिव सेटिसफेक्शन  रहता है। फिल्म अच्छी है या नहीं यह कमेंट हम नहीं कर सकते। वे अच्छे डायरेक्टर हैं। बड़े डायरेक्टर के साथ बहुत सारी बाते सीखने को मिलती हैं।

नहीं चाहिए था सुपरहिट गाना

विपिन ने बताया कि अमूमन फिल्मों में गाने इस चीज को देखते हुए रखे जाते हैं कि वे सुपरहिट हों तो फिल्म का प्रमोशन ज्यादा हो सके। लेकिन दासदेव को लेकर बात कुछ और थी। सुधीर मिश्रा को तो सुपरहिट गाना चाहिए ही नहीं था। दरअसल, मैंने उनसे मेरे स्टूडियो आने का अाग्रह किया। एक दिन वो आए और मेरा काम देखकर बोले कि मुझे म्यूजिक का सेंस है। इसके बाद उन्होंने मुझे मौका दिया। खास बात यह है कि, सुधीर मिश्रा ने मुझे फिल्म की मुताबि  सिच्वेशन दी और कहा कि इस पर कुछ करके दिखाओ। तो मैंने गाना बनाकर सुनाया। उनका साफ तौर पर कहना था कि हिट नहीं लेकिन कुछ अलग गाना चाहिए। एेसी बात हो कि गाने की सिच्वेशन को देखकर धड़कन बढ़ जाए। गाने में यह नजर आए कि अगर धड़कने बढ़ जाती है तो क्या होगा। मैंने सूदिंग गाना बनाकर दिया। तो मैंने डिमांड को देखते हुए 6 गाने बनाए। सुधीर मिश्रा ने पहला गाना सुना और उसे फाइनल कर दिया जिसे प्रसिद्ध गायक आतिफ असलम ने आवाज दी है। गाने के बोल हैं 'सहमी है धड़कन'। पहला गाना फाइनल होने के बाद उन्होंने बाकी पांच गाने नहीं सुने। और उन्होंने कहा कि मैंने यह नहीं कहा था कि तुम टैलेंटेड नहीं हो। जब उन्होंने मुझे यह कहा तो मुझे सुकून मिला। इसके साथ फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी दिया।

धर्मा प्रोडक्शन या टी सीरिज के लिए करना चाहते हैं काम 

विपिन बताते हैं कि, मैंने ज्यादातर डार्क फिल्मों में म्यूजिक दिया है। जैसे बॉलीवुड डायरीज, लाल रंग और अब दासदेव। अब कोशिश है कि धर्मा प्रोड्क्शन या फिर टी सीरिज के साथ काम करूं। इसकी मैंने तैयारी कर रखी है। करण जौहर जिस तरह की फिल्में बनाते हैं उसके लिए मैंने पहले से ही कई गीत बना कर तैयार रखे हैं। मतलब मेरी तरफ से पूरी तैयारी है। अब कोशिश है कि कमर्शियल फिल्में ज्यादा कर सकूं।

डार्क फिल्मों की अॉडियंस लिमिटेड

विपिन बताते हैं कि, चूंकि डार्क फिल्मों की अॉडियंस लिमिटेड होती है इसलिए ज्यादतर लोगों को सिच्वेशनल सॉन्ग्स समझ नहीं आते। क्योंकि यह खास तब्के लिए बनाए जाते हैं। हां, अगर लोग ध्यान से सुनेंगे तो समझ जरूर आएगा। आगे विपिन कहते हैं कि, सुधीर मिश्रा जैसे निर्देशक के साथ काम करने का यह फायदा मिलता है कि आपको तोला जाता है कि आपको कितना आता है और आप क्या-क्या कर सकते हैं। जैसे तीन सौ साल पुरानी बुल्लेशाह की पोएट्री को कंपोज किया गया है। एेसा मौका ही नहीं मिलेगा कभी जो यहां पर मिला। यह संगीत के सफर का अलग हिस्सा है। यह क्रिएटिव सेटिस्फेक्शन रहे कि 10 साल बाद भी बोल सकूं कि सुनिए क्योंकि गाना अमर है।

आर्टिस्टिक रिलेशनशिप सबसे ऊपर

आतिफ असलम से बॉन्डिंग के बारे में विपिन बताते हैं कि, किसी भी आर्टिस्ट के साथ काम करने में दिक्कत तब तक रहती है जब तक आप उसे जानते नहीं है। एक बार जान जाते हैं तो बॉन्डिंग डवलप हो जाती है। अातिफ असलम के साथ भी जबरदस्त बॉन्डिंग रही है। हमने दुबई में गाना रिकॉर्ड किया था। विपिन बताते हैं कि, आर्टिस्टिक रिलेशनशिप बाउंड्री से परे है।

जो हिट है वो फिट है

आजकल के गानों में इंग्लिश और हिंदी के कॉम्बीनेशन को लेकर विपिन का कहना है कि, जो हिट है वह फिट है। अगर अॉडियंस ने एक्सेप्ट कर लिया है और उन्हें पसंद आ गया है तो वो हिट सॉन्ग है। सिनेमा की बात करें तो यह डिबेट का सब्जेक्ट हो सकता है। लेकिन अगर बॉलीवुड बॉक्स अॉफिस की कमर्शियल लेवल पर बात करें तो हिट ही फिट है। उदाहरण के लिए मैं भी खुद उत्तरप्रदेश का होने के बावजूद पंजाबी पोएट्री को लेकर सिंगल्स क्रिएट कर रहा हूं। एेसा इसलिए क्योंकि पंजाबी गीतों और संगीत को स्वीकार किया जा रहा है। एेसा अब बॉलीवुड में भी हो रहा है। बशर्ते इस बात का ख्याल रखना है कि हमारा काम औरो से अलग हो।

इंटरनेशनल और इंडियन का फ्यूजन

विपिन बताते हैं कि, मैं इंटरनेशनल म्यूजिक को सुनता हूं। मेरा मन है कि इंडियन और इंटरनेशनल म्यूजिक का कोलेबोरेशन कर सकूं। क्योंकि इंडियन म्यूजिक की मेलोडी बहुत है।

गीतों में विजुअल्स के जरिए जान डालते ये फिल्ममेकर्स

विपिन कहते हैं कि, बॉलीवुड में कुछ फिल्ममेकर्स हैं जो विजुअल्स के जरिए गीतों में जान डाल देते हैं। इसमें करण जौहर, महेश भट्ट और इम्तियाज अली का नाम सबसे ऊपर आता है।

आपको बता दें कि, प्रसिद्ध बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के कालजयी उपन्यास 'देवदास' के जितने रूप फिल्मों पर आए हैं, उतने शायद ही किसी और साहित्यिक रचना के आए होंगे। हिंदी सिनेमा में देवदास को अलग-अलग वक्त और अंदाज में पर्दे पर उतारा जा चुका है। अब देवदास को नए कलेवर में पेश किया है मशहूर निर्देशक सुधीर मिश्रा ने। फिल्म के टाइटल का जुड़ाव वैसे तो 'देवदास' से है लेकिन थोड़ा अलग है। फिल्म का टाइटल 'दासदेव' रखा गया है। 


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