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क्लासिक फ़िल्म 'मदर इंडिया' का यह गाना सैकड़ों बार सुन चुके होंगे, क्या आप पकड़ पाए इतनी बड़ी ग़लती?

25 अक्टूबर 1957 को रिलीज़ हुई मदर इंडिया में नर्गिस सुनील दत्त और राजकुमार ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं जबकि राज कुमार एक ख़ास भूमिका में थे। उन्होंने नर्गिस के किरदार राधा के पति शामू की भूमिका निभायी थी।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 11:38 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:39 PM (IST)
Nargis and Raaj Kumar in Mother India. Photo- Screenshot

नई दिल्ली, जेएनएन। मदर इंडिया भारतीय सिनेमा की ना सिर्फ़ आइकॉनिक फ़िल्म है, बल्कि यह देश की आत्मा की झलक दिखाती है। महबूब ख़ान निर्देशित मदर इंडिया आस्कर अवॉर्ड के लिए जाने वाली पहली भारतीय फ़िल्म भी है। क्या आप यक़ीन कर पाएंगे कि हर तरह से मुकम्मल इस फ़िल्म के एक गाने को शूट करते वक़्त निर्देशक महबूब ख़ान एक बड़ी ग़लती कर बैठे थे, जिसे संगीतकार नौशाद ने तो पकड़ लिया, मगर दर्शक इस चूक को नहीं पकड़ सके। 

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25 अक्टूबर 1957 को रिलीज़ हुई मदर इंडिया में नर्गिस, सुनील दत्त और राजकुमार ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं, जबकि राज कुमार एक ख़ास भूमिका में थे। उन्होंने नर्गिस के किरदार राधा के पति शामू की भूमिका निभायी थी। फ़िल्म में नर्गिस और राज कुमार पर एक गाना दुख भरे दिन बीते रे भैया फ़िल्माया गया था। इस गाने में नौशाद साहब ने हिंदी सिनेमा के दिग्गज गायक मन्ना डे, मोहम्मद रफ़ी, शमशाद बेगम और आशा भोसले की आवाज़ों का इस्तेमाल किया था। यह गाना हिंदी सिनेमा के बेहद लोकप्रिय गीतों में शामिल है और इस गाने के साथ जुड़ी यह भूल भी दिलचस्प है। 

क्या थी वो बड़ी सुरीली चूक?

इसकी चर्चा नौशाद साहब के बेटे राजू नौशाद ने एक इंटरव्यू के दौरान की थी। सदाबहार फनकार नाम के यू-ट्यूब चैनल को दिये इंटरव्यू में राजू नौशाद इस चूक के बारे में बताते हैं कि दुख के दिन बीते रे भैया गाने की शूटिंग के बाद जब महबूब ख़ान ने नौशाद साहब को रश फुटेज दिखाया तो उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया।

दरअसल, एक ही शॉट में एक किरदार पर दो अलग-अलग गायकों की आवाज़ सुनायी देती है। फ्रेम में राजकुमार हैं, मगर गाने की एक पंक्ति के आधे हिस्से में मन्ना डे की आवाज़ है तो दूसरी आधे हिस्से में मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ है। इसी तरह जब राधा फ्रेम में है तो आधी पंक्ति में शमशाद बेगम और दूसरी आधी पंक्ति में आशा भोसले की आवाज़ है। आम तौर पर एक किरदार के लिए किसी एक गायक की आवाज़ का इस्तेमाल ही किया जाता है।

गाने की चूक पर भारी जज़्बात

इंटरव्यू में राजू बताते हैं कि जब नौशाद साहब ने महबूब ख़ान का ध्यान इस ओर दिलाया तो वो परेशान हो गये। उन्होंने कहा कि बहुत पैसा और समय ख़र्च हुआ है, वो दोबारा शूट नहीं कर सकते। तब नौशाद साहब ने कहा कि इस गाने में इतने जज़्बात हैं कि किसी का ध्यान इस चूक पर नहीं जाएगा और वैसा हुआ भी। फ़िल्म रिलीज़ हुई और गाना सुपरहिट रहा। एक ही किरदार पर दो अलग-अलग आवाज़ों पर किसी का ध्यान नहीं गया। 


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