जब खाना खाने के लिए स्टूडियो के चक्कर लगाते थे मनोज वाजपेयी
जब भी किसी स्टूडियो में वो जाते बातचीत के दौरान उनसे मिलने वाला शख्स उन्हें यह कह देता कि खाना खा कर जाना।
मुंबई। मनोज वाजपेयी आज शोहरत के जिस मुकाम पर पहुंचे हैं उनके मुताबिक उसमें उनकी मेहनत तो है लेकिन स्ट्रगल के दौरान मुफ्त में मिले खाने की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। एक जमाने में मनोज सिर्फ खाने के चक्कर में स्टूडियो जाया करते थे।
अपने स्ट्रगल के दौर को याद करते हुए मनोज वाजपेयी ने जागरण डॉट कॉम से कहा कि "शुरुवाती दिनों का स्ट्रगल बहुत मुश्किल था। न रहने की कोई ढंग की जगह थी ना खाने का ठिकाना। किसी के घर ब्रश करना और किसी के घर सोना। रही बात खाने की तो सुबह का नाश्ता नसीब ही नहीं होता था। बस हर रोज यही चिंता होती थी कि आज दोपहर का खाना कहां मिलेगा।" मनोज बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए एक तरीका निकाला था वो किसी ऐसे स्टूडियो में जाया करते थे जहां कोई प्रोडक्शन का पहचान वाला व्यक्ति हो। ऐसा होने पर वो खाने के लिए जरूर पूछता था। जब भी किसी स्टूडियो में वो जाते बातचीत के दौरान उनसे मिलने वाला शख्स उन्हें यह कह देता कि खाना खा कर जाना। मनोज के मुताबिक वे सभी शायद समझ जाते होंगे कि मैं भूखा हूं।
ये भी पढ़ें: कभी निराश होकर मुंबई तक छोड़ने का मन बना चुके थे मनोज वाजपेयी, 'इनके' रोकने से रुके
शाहरुख़ ख़ान के साथ ही अपने करियर की शुरुआत करने वाले मनोज आज एक बेहतरीन अभिनेता हैं जबकि शाहरुख़ बॉलीवुड के सुपरस्टार। इस तुलना पर मनोज बताते हैं "मैं और शाहरुख़ एक दूसरे को तब से जानते हैं जब हम जवान हो रहें थे। जो शाह रुख़ ने सोचा वो उनको मिला और जो मैंने सोचा वो मुझे मिला है।