Lata Mangeshkar Death: राज्यसभा सांसद रहते लता मंगेशकर ने कभी नहीं ली थी सैलरी, ठुकरा दिया था दिल्ली में मिला आलीशान घर
रविवार को 92 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। भारत रत्न लता जी के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। उनकी मृत्यु के बाद उनसे जुड़ी कई रोचक बातें सामने आ रही हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत की प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर का 6 फरवरी को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। कोरोना के चलते उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लगभग एक महीने तक मौत से लड़ने के बाद आखिरकार आज स्वर कोकिला शांत हो गईं। सरकार की तरफ से भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। गायकी के अलावा लता जी ने राज्यसभा के सांसद के तौर पर भी देश की सेवा की थी। इस दौरान उन्होंने एक भी रुपया वेतन भत्ते के रूप में नहीं लिया था।
लता मंगेशकर साल 1999 से 2005 तक सदन का हिस्सा रही थीं। उन्हें 22 नवंबर, 1999 को राज्यसभा का मनोनीत संसद सदस्य घोषित किया गया था। अपने 6 सालों के कार्यकाल में उन्होंने वेतन के भेजे गए चेक्स को कभी स्वीकार नही किया और हमेशा वापस भेज दिया।
एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा फाइल किए गए आरटीआई के बाद यह पता चला था कि लता मंगेशकर के वेतन से संबंधित मामले में वेतन-लेखा कार्यालय से लता को भेजे गए वेतन के सभी चेक वापस आ गए। इसके अलावा लता मंगेशकर ने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया था। यहां तक के उन्होंने नई दिल्ली में सांसदों को दिया जाने वाला घर भी अस्वीकार कर दिया।
लता मंगेशकर के अलावा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी सांसद रहते हुए कभी न तो वेतन लिया और न ही उन्होंने नई दिल्ली में सांसदों को दिया जाने वाला घर स्वीकार किया। सचिन ने अपना पूरा सांसद वेतन 90 लाख रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया था।
मध्यप्रदेश के छोटे से शहर इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर ने अपनी जादुई आवाज के दम पर देश ही नही विदेश में भी परचम लहराया। उन्हें प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय होने का सम्मान प्राप्त है। 2007 में फ्रांस की सरकार ने उन्हें 'लीजन ऑफ ऑनर के अधिकारी' से सम्मानित किया, जो देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। लता मंगेशकर की उपलब्धियों को गिनना नमुमकिन है।