मेनस्ट्रीम सिनेमा को खराब मानती थी किरण राव
फिल्ममेकर किरण राव का कहना है कि पहले उनका मानना था कि क्लासिक फिल्म ही सबकुछ है। वे मेनस्ट्रीम सिनेमा को 'बैड सिनेमा' के तौर पर देखती थीं। वे कहती हैं, 'यह भी संयोग ही था जब मैं फिल्म स्कूल से लौटी ही थी तभी 'मामी' की शुरूआत हुई। मैं
मुंबई। फिल्ममेकर किरण राव का कहना है कि पहले उनका मानना था कि क्लासिक फिल्म ही सबकुछ है। वे मेनस्ट्रीम सिनेमा को 'बैड सिनेमा' के तौर पर देखती थीं।
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वे कहती हैं, 'यह भी संयोग ही था जब मैं फिल्म स्कूल से लौटी ही थी तभी 'मामी' की शुरूआत हुई। मैं क्लासिक फिल्म स्कूल के अभिमान में थी इसलिए सोचती थी कि मेनस्ट्रीम सिनेमा 'बैड सिनेमा' के बराबर है।
यह बात उन्होंने 17वें मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज फिल्म फेस्टिवल की प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता था कि मैं यहां अपनी फिल्में नहीं बना सकती हूं। बात अगर 90 के दशक की करें जाए तो मेनस्ट्रीम सिनेमा 'बैड सिनेमा' के जैसा ही था।'
'मामी' फिल्म फेस्टिवल 29 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच आयोजित होगा। इसमें कमर्शियल और आर्ट सिनेमा दोनों का मेल देखने को मिलेगा। इस दौरान दोनों ही तरह की फिल्में समान रूप से अच्छा प्रदर्शन कर पा रही है। 'मामी' इस तालमेल में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।