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रज्जो आज की तवायफ है

नई दिल्ली। बेतौर लेखक विश्वास पाटिल ने क्या काम किया है, इस बारे में जानने के लिए हमें बहुत कुछ देखना-समझना नहीं है। ऐसा इसलिए कि उन्हें साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुके हैं। इन बातों से यह तय हो जाता है कि वे मूल रूप से लेखक हैं। लेकिन उनकी रुचि फिल्म्

By Edited By: Published: Thu, 13 Jun 2013 04:38 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2013 05:49 PM (IST)

नई दिल्ली। बेतौर लेखक विश्वास पाटिल ने क्या काम किया है, इस बारे में जानने के लिए हमें बहुत कुछ देखना-समझना नहीं है। ऐसा इसलिए कि उन्हें साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुके हैं। इन बातों से यह तय हो जाता है कि वे मूल रूप से लेखक हैं। लेकिन उनकी रुचि फिल्मों में भी रही है। वे पहले दो मराठी फिल्में बना चुके हैं और हिंदी में उनकी बनने वाली पहली फिल्म है 'रज्जो'। इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही हैं कंगना रनौत। यह फिल्म एक कहानी पर ही आधारित है। बातचीत में विश्वास पाटिल कहते हैं, 'यह एक शॉर्ट स्टोरी थी, जिसे हमने डेवलप किया है। उसे फिर से लिखा और फिर फिल्म के लिए तैयार किया। इसके संवाद लिखने में मेरा सहयोग किया है अतुल तिवारी ने, जिन्होंने 'विश्वरूपम' की कहानी लिखी थी। अतुल जी ने फिल्म में रोल भी किया है। वे फिल्म में एक बिल्डर की अच्छी भूमिका में हैं।'

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विश्वास पाटिल से बात होती है कि 'रज्जो' है क्या? वे बताते हैं, 'रज्जो एक तवायफ है और रज्जो पुराने जमाने की नहीं, आज की तवायफ है। एक जमाना था, जब तवायफों को राजा-महाराजाओं से सपोर्ट मिलता था। आज तस्वीर बदली हुई है। आज तवायफों की हालत क्या है, वे अब किस तरह से जिंदगी गुजारती हैं, कहानी इसी पर है। इसमें एक कम उम्र लड़के की प्रेम कहानी भी है। एक सफर के दौरान रज्जो से उस लड़के का साथ क्या होता है, एक नई कहानी बन जाती है। फिल्म इसी पर है। इसका बैकग्राउंड मुंबई है। हमने यहीं इसकी शूटिंग की है। फिल्म के कलाकार हैं कंगना रनौत, प्रकाश राज, महेश मांजरेकर, कुलदीप सरीन, उपेंद्र लिमये, जयाप्रदा आदि। रज्जो की भूमिका कंगना ने निभाई है।' अपनी फिल्म को लेकर विश्वास पाटिल को यकीन है कि यह लोगों को अवश्य पसंद आएगी।

विश्वास पाटिल से अगला सवाल होता है कि कंगना को ही आपने रज्जो की भूमिका के लिए क्यों चुना? वे बताते हैं, 'कंगना की खास बात यह है कि वे किसी भी रोल में घुस जाती हैं। वे रोल को पहले मन में बसाती हैं फिर प्ले करती हैं। वे जिद्दी भी हैं। उनका काम के प्रति समर्पण भी मुझे पसंद आया। वे अभिनेत्री कैसी हैं यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। वे बिंदास टाइप की भूमिका कर सकती हैं, यह मुझे पता था और वे इस रोल के लिए मेरी पहली और आखिरी पसंद थीं।' वे आगे कहते हैं, 'देखें तो कंगना को ऐसी भूमिका आज तक नहीं मिली है। वे हमेशा से गंभीर और मॉड गर्ल टाइप की भूमिका में दिखी हैं। वे उन भूमिकाओं के लिए शूट भी करती हैं, लेकिन मैं निश्चिंत हूं कि कंगना रज्जो की भूमिका में भी पसंद की जाएंगी।'

तवायफों की दुनिया पर या उनके प्यार की कहानी को 'पाकीजा', 'मुगल-ए-आजम', 'उमरावजान' आदि कमाल की फिल्मों में लोग देख चुके हैं।

'रज्जो' इनसे कितनी अलग होगी? विश्वास पाटिल जोर देकर कहते हैं, 'यह एकदम अलग कहानी है। मेरी फिल्म को उन फिल्मों से किसी भी तरह जोड़ना सही नहीं होगा। फिर जिन फिल्मों की बात आप कर रहे हैं, ये सब पुराने जमाने की और नवाबों-राजाओं के समय की हैं। मैंने पहले ही कहा है कि 'रज्जो' आज की फिल्म है। इसका उन फिल्मों से कोई लेना-देना नहीं है।'

'रज्जो' चूंकि एक तवायफ की कहानी है तो जाहिर है कि उसमें गीत-संगीत के साथ मुजरे भी होंगे। विश्वास पाटिल बताते हैं, 'जी हैं, फिल्म में पांच मुजरे हैं। गीतों को लिखा है समीर और देव कोहली ने। सभी गीत खूबसूरत हैं। संगीत उत्तम सिंह का है। वे कितने सुरीले हैं यह सभी जानते हैं। कैमरामैन हैं विनोद प्रधान। उन्होंने कई बड़ी और भव्य फिल्मों की कोरियोग्राफी की है। इन सबके होने की वजह से हमारा काम आसान हो गया और हम अच्छी फिल्म बना सके। फिल्म की शूटिंग खत्म हो गई है। अब प्रोडक्शन का काम चल रहा है। हम इसे अगस्त में रिलीज करना चाह रहे हैं।'

विशवास पाटिल

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