Kabir Singh Box Office: भावुक हुए Shahid Kapoor, माना Kabir Singh में ख़ामियां हैं मगर... पढ़िए पूरा नोट
Kabir Singh is not flawless says Shahid Kapoor कबीर सिंह एक एग्रेसिव लव स्टोरी है जिसमें शाहिद कपूर ने एक जीनियस मेडिकल स्टूडेंट और सर्जन का किरदार निभाया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Shahid Kapoor writes heartfelt note as Kabir Singh roars at box office: शाहिद कपूर की ताज़ा रिलीज़ फ़िल्म कबीर सिंह बॉक्स ऑफ़िस पर गदर मचाये हुए है। रिलीज़ के दो हफ़्तों बाद भी फ़िल्म की रफ़्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। रिलीज़ के 14 दिनों में फ़िल्म 213 करोड़ रुपये से अधिक बटोर चुकी है और अभी भी मजबूती के साथ सिनेमाघरों में डटी हुई है।
शाहिद ने अपने करियर में इतनी बड़ी व्यक्तिगत कामयाबी नहीं देखी है। ज़ाहिर है ख़ुश तो होंगे ही। इसी ख़ुशी को अपने फ़ैस के साथ बांटते हुए शाहिद ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कबीर सिंह दोषपूर्ण किरदार है, मगर मुझे पसंद है।
कबीर सिंह एक एग्रेसिव लव स्टोरी है, जिसमें शाहिद कपूर ने एक जीनियस मेडिकल स्टूडेंट और सर्जन का किरदार निभाया है। तेलुगु फ़िल्म अर्जुन रेड्डी की इस रीमेक को संदीप रेड्डी वंगा ने डायरेक्ट किया है, जो मूल फ़िल्म के निर्देशक भी हैं। फ़िल्म को नारीविरोधी बताते हुए इसका काफ़ी विरोध भी किया गया। तमाम दिक्कतों के बावजूद जनता ने कबीर सिंह को ख़ूब प्यार दिया। शाहिद ने अपने नोट में अपने किरदार की ख़ामियों के बारे में लिखा है और लोगों का शुक्रिया अदा किया है कि उन्होंने उसे समझा।
शाहिद लिखते हैं- ''आपने जितना प्यार दिया है, उसे बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। उसे समझने, माफ़ करने और प्यार करने के लिए आपका दिल से शुक्रिया। हम सब अलग-थलग पड़ जाते हैं। और हम सभी को अपने दोषों से ऊपर उठना पड़ता है। बेहतरी के लिए। समझदार बनने के लिए। दयालु बनने के लिए। उसमें दोष हैं तो हम सब में भी हैं। आप उसे जज मत कीजिए, उसे समझने की कोशिश कीजिए। मैंने कभी इतना कृतज्ञ महसूस नहीं किया। मैंने इससे अधिक दोषपूर्ण किरदार कभी नहीं निभाया। यह मेरा सबसे पसंदीदा है।''
शाहिद ने आगे लिखा- ''वाकई, भारतीय सिनेमा और दर्शक काफ़ी आगे निकल आये हैं। साहसी रास्ते चुनने के लिए बधाई। इस मैच्योरिटी और इंसानियत को और बढ़ावा मिले। आपने मुझे उड़ने के लिए पंख दे दिये हैं। सिर्फ़ इसलिए नहीं कि स्टारडम से दब जाऊं, बल्कि इसलिए भी कलाकार होने के नाते मिलने वाली नफ़रत को स्वीकार कर सकूं। सिनेमा जीवन का दर्पण है। अपूर्णता में भी एक पूर्णता होती है और यही ख़ूबसूरती और मान जीवन के लिए चुनौती होती है। शुक्रिया। बारम्बार। आप सब इस कहानी के नायक हैं।''