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Jagjit Singh Death Anniversary: जगजीत सिंह की ये ग़ज़लें... कभी भी पुरानी नहीं हो सकती

Jagjit Singh Death Anniversary जगजीत सिंह ने अपने जीवन में 150 से ज्यादा ग़ज़लें गाई हैं लेकिन कई ग़ज़ल ऐसी हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

By Mohit PareekEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 11:53 AM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 11:53 AM (IST)
Jagjit Singh Death Anniversary: जगजीत सिंह की ये ग़ज़लें... कभी भी पुरानी नहीं हो सकती
Jagjit Singh Death Anniversary: जगजीत सिंह की ये ग़ज़लें... कभी भी पुरानी नहीं हो सकती

नई दिल्ली, जेएनएन। 8 साल पहले आज ही के दिन ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उस के बाद से वो रुहानी आवाज हमेशा के लिए हमसे दूर चली गईं और बच गई वो यादें, जो आज भी हमारे दिल और दिमाग में जिंदा है। हालांकि, भले हो वो इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनके गाए हुए गाने, ग़ज़ल अमर हैं, जो हमें उस शख्सियत की याद दिलाते रहते हैं। 10 अक्टूबर 2011 को ही जगजीत सिंह का ब्रेन हेमरेज की वजह से निधन हो गया था। उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...

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जगजीत का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई राजस्थान और फिर जालंधर से की। वे 1965 में मुंबई आ गए थे। उन्हें संगीत उनके पिता से ही विरासत में मिला और बाद में उनकी शादी भी ग़ज़ल गायिका चित्रा से हुई। जगजीत-चित्रा ने साथ में कई ग़ज़लें गाईं। जगजीत सिंह की एक नहीं कई ऐसी गजलें हैं, जिन्हें आज भी बड़े अदब के साथ सुना जाता है।

उनकी पहली एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' (1976) हिट रही और उसके बाद उन्होंने स्टेज पर अपनी गायकी से सबको हैरान कर दिया। वो दिल के अजीज बन गए और उनके 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो', 'तुमको देखा तो ये ख्याल आया, 'होश वालों को', 'होठों से छू लो तुम', 'ये दौलत भी ले लो', 'चिठ्ठी न कोई संदेश', 'वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी' जैसी ग़ज़लें हमेशा के लिए हिट हो गईं।

हालांकि उनके बेटे की 1990 में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। कहा जाता है कि इकलौते बेटे की असमय मौत ने चित्रा को पूरी तरह तोड़ दिया था और उन्होंने गायकी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। उसके बाद से उनकी गायकी में वो दर्द भी दिखाई देने लगा। हिंदी, उर्दू, पंजाबी, भोजपुरी सहित कई जबानों में गाने वाले जगजीत सिंह को साल 2003 में भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मभूषण से नवाजा गया। वहीं साल 2011 में उन्होंने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया।


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