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Irrfan Khan Passed Away: इरफ़ान ख़ान तो चले गए, लेकिन उनके साथ के चार लोग कुछ कह रहे हैं...

Irrfan Khan Passed Away सितारों के समूह में से एक तारा टूट गया तो ये कुछ कह रहे हैं। इरफ़ान चले गए लेकिन ये चार लोग कुछ बहुत कुछ कह रहे हैं।

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 09:24 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 08:28 AM (IST)
Irrfan Khan Passed Away: इरफ़ान ख़ान तो चले गए, लेकिन उनके साथ के चार लोग कुछ कह रहे हैं...
Irrfan Khan Passed Away: इरफ़ान ख़ान तो चले गए, लेकिन उनके साथ के चार लोग कुछ कह रहे हैं...

 नई दिल्ली, जेएनएन।  Irrfan Khan Passed Away:  हिंदी सिनेमा के वर्सेटाइल एक्टर्स में से एक संजय मिश्रा ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि इरफ़ान ख़ान अपने आप एक चलते फिरते नाटक हैं। सीधे शब्दों में कहें, तो शायद इरफ़ान एक्टिंग के जीवंत स्कूल थे। एक और स्कूल है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल (National school of drama)। इस स्कूल से साल 1985-90  के बीच कुछ अदाकार, कलाकार और फ़िल्ममेकर निकले। ये वो अलग किस्म के लोग थे, जिन्होंने भारतीय फ़िल्मों की तस्वीर बदल दी। 

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सिनेमा की भाषा में दो किस्म की फ़िल्म होती हैं। पहला पैरेलल सिनेमा और दूसरा कमर्शियल। कमर्शियल सिनेमा वो है, जिसका अपना एक स्टारडम है। दर्शक स्टार के नाम पर फ़िल्में देख आते हैं। वहीं, एक सिनेमा वो है, जो धीरे-धीरे फेमस होता है। लेकिन यह कालजयी है। ऐसे ही सिनेमा को मुख्य धारा में लाने वाले कुछ कलाकार हैं। उनमें से एक ने फ़िल्म जगत समेत पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया। वो हैं, इरफ़ान ख़ान। 

इरफ़ान के समय में ही नेशलन स्कूल ऑफ़ ड्रामा से संजय मिश्रा,  तिग्मांशु धूलिया और पीयूष मिश्रा जैसे फ़नकार निकले। इन्होंने फ़न के मायने बदल दिये। अब जबकि इस सितारों के समूह में से एक तारा टूट गया, तो ये कुछ कह रहे हैं। इरफ़ान चले गए, लेकिन ये चार लोग कुछ बहुत कुछ कह रहे हैं।

संजय ने मिश्रा ने लिखा, 'मैं दूर से उस अस्पताल को देख रहा हूं, जिसमें कल तक तुम थे,  इतनी सारी खिड़कियां हैं , पता नहीं कौन-सी खिड़की से तुम निकल गए।  इस सफर में बहुत कुछ दिया तुमने, आगे सफर में भी बहुत कुछ पाने की उम्मीद हैं तुमसे , फिर मिलेंगे। मुझे आज भी याद है कि तुमने अपनी नई मारुति 800 की पहली ड्राइव में गाने को कहा था। मैंने गाया- 'नफरत की दुनिया छोड़ के प्यार की दुनिया में।' शायद वह प्यार की दुनिया से आए थे, इसलिए पीयूष मिश्रा को यकीन नहीं हुआ कि इरफ़ान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

 

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अब भी यकीन नहीं हो रहा।

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हासिल जमा यह है कि 'हासिल' से लेकर 'पान सिंह तोमर' तक उम्दा फ़िल्में बनाने वाले तिग्मांशु ने कहा कि दशकों तक कोई अब ऐसा एक्टर नहीं आएगा। भविष्य का पता नहीं, लेकिन अभी कोई नहीं है। नीलेश मिश्रा को दिए अपने हालिया इंटरव्यू में तिग्मांशु ने कहा कि इरफ़ान एक ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने खुद को गढ़ा है। एनएसडी से लेकर हॉलीवुड तक उन्होंने खुद पर काम किया है। 

यह बात सच है, इरफ़ान ने ऐसे कई एक्टर्स के लिए दरवाजे खोले, जो सिर्फ साइड में खड़े थे। लोगों ने उन्हें भी देखा, जो सामाजिक पैमाने पर भले खू़बसूरत ना हों, लेकिन कला में इनसे रश़्क होना आम बात है। पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और ना जाने कितने ऐसे एक्टर हैं, जो बिलकुल ऐसे हैं। उनके लिए भी यह बेचैन करने वाला पल है। 

पंकज लिखते हैं, 'कभी कभी भावनाओं को बता पाना सम्भव नहीं होता , वही हो रहा है इरफ़ान दा।' नवाज़ अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखते हैं, 'साल 2000 में इरफ़ान ख़ान ने एक फ़िल्म निर्देशित की थी- अलविदा। इसमें उन्होंने मुझे कास्ट किया। मैं लकी हूं कि इरफ़ान ख़ान मुझे मैंटॉर और को-स्टार के रूप में मिले। सिनेमा जगत में कोई भी उनके स्पेस को कभी नहीं भर पाएगा। मैंने कभी अपने सबसे बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे उनको सच में अलविदा कहना पड़ेगा।'

इऱफ़ान ने अपने पीछे एक विरासत छोड़ी है। जाते-जाते उस विरासत को संभाल रहे लोग क्या कह रहे हैं पढ़ लीजिए-


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