Happy Birthday Ajit Khan: 'मोना डार्लिंग' जैसे कई डायलॉग से फेमस हुए अजीत खान, जानें उनके बारे में एक दिलचस्प किस्सा
अजीत ने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है जिनमें से ज्यादातर वो विलेन ही थे। लेकिन सही मायने में उन्हें पहचान मिली फिल्म कालीचरण से।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में कुछ स्टार्स ऐसे हैं जो अपने दमदार डायलॉग के चलते याद किए जाते हैं। ऐसा ही डायलॉग था-'कि सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है।' इस डायलॉग ने एक्टर अजीत को आज भी लोगों के जहन में जिंदा रखा है। ये डायलॉग साल 1976 में रिलीज हुई फिल्म कालीचरण का है। इस डायलॉग को बोलने वाले एक्टर अजीत खान का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 27 जनवरी, 1992 में हुआ था। अजीत खान उस दौर में हीरो और विलेन बराबर की टक्कर दिया करते थे। अजीत जब पैदा हुए तो उनके माता पिता ने उनका नाम हामिद अली खान रखा था। लेकिन जब वे बॉलीवुड की दुनिया में आए तो एक अजीत खान के नाम से आए।
हिंदी सिनेमा में अजीत के एक नहीं बल्कि कई ऐसे डायलॉग हैं जो हिट हुए थे। उनमें से एक था 'मोना डार्लिंग', 'लिली डोंट बी सिली' और 'लॉयन' जैसे डॉयलॉग जुबां पर आज भी आ जाते हैं। अजीत को बचपन से ही एक्टर बनने का शौक था। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए अजीत घर से भागकर मुंबई आ गए थे। बता दें कि उनपर एक्टिंग का जुनून इस तरह से सवार था कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपनी किताबें तक बेच डाली थी। इसके बाद अजीत ने अपने फिल्मी करियर की शरुआत साल 1940 में की थी। इसके बाद कुछ समय तक उन्होंने बतौर हीरो फिल्मों में काम किया, लेकिन वो फ्लॉप रहे। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाना शुरू कर दिया।
अजीत की एक्टिंग को हीरो से ज्यादा विलेन के तोर पर सराहा गया। अजीत ने विलेन और उसके किरदार की ऐसी परिभाषा और लुक गढ़ा जो हमेशा के लिए हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है। अजीत जब मुंबई आए थे तब उस वक्त उनके पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं था। ऐसे में वह सीमेंट की बनी पाइपों में रहना शुरू कर दिया। उन दिनों लोकल एरिया के गुंडे उन पाइपों में रहने वाले लोगों से भी हफ्ता वसूली करते थे और जो भी पैसे देता उसे ही उन पाइपों में रहने की इजाजत मिलती। वहीं जिनके पास पैसे नहीं होते थे उन्हें गुंडे पीटकर निकाल देते थे। एक दिन अजीत को इस बात पर गुस्सा आया और उन्होंने गुंडों को पीट दिया। इसके बाद वहां के लोग उनकी इज्जत करने लगे।
आपको बता दें कि अजीत ने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिनमें से ज्यादातर वो विलेन ही थे। लेकिन सही मायने में उन्हें पहचान मिली फिल्म 'कालीचरण' से। इसके अलावा उन्होंने 'नास्तिक', 'मुगल ए आजम', 'नया दौर' और 'मिलन' जैसी फिल्मों को अजीत ने अपने किरदार से सजाया। इसके बाद 22 अक्टूबर, 1998 में अजीत ने हैदराबाद में अंतिम सांस ली।