बड़े परदे एक बार फिर से रामायण, जानिये किसने चलाया ये ‘रामबाण’
कमलेश पांडे ने बताया कि जब भारत में सबसे पहले रामराज्य नाम की फिल्म बनी थी तो यही एक मात्र ऐसी फिल्म थी, जो महात्मा गांधी ने देखी थी ।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। फिल्म फ़ना सहित कई फिल्में बना चुके कुणाल कोहली अब नई फिल्म लेकर आ रहे हैं। रामयुग। इसके जरिये रामायण को एक बार फिर से बड़े पर्दे पर लाने की तैयारी हो रही है।
कुणाल ने मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि यह सच है कि रामायण हिंदुस्तान की धरोहर हैं और उसके हर एक किरदार के बारे में और हर एक दृश्य के बारे में लोग जानते हैं। लेकिन फिर भी उनके राम युग में एक नया टेक दिखाया जाएगा। एक अलग दृष्टिकोण दिखाया जाएगा। इस फिल्म के लेखक कमलेश पांडे ने कहा कि रामायण को हर जेनेरेशन को जानना चाहिए। हर जेनेरेशन तक भी ये बात पहुंचनी चाहिए थी इसलिए उन्होंने इसे बनाने का निर्णय लिया है। कुणाल ने इस दौरान कहा है कि इस फिल्म से वह सारे नए चेहरों को लॉन्च करेंगे। उनकी फिल्म के राम और सीता के चेहरे नए होंगे।चूंकि यह बेहद अलग फिल्म होगी। साथ ही वह चाहते हैं कि ऐसे चेहरे लोगों के सामने आएं, जो कि राम सीता के रूप में पहले से स्थापित ना हों।
इस दौरान कमलेश पांडे ने एक दिलचस्प जानकारी यह दी कि जब भारत में सबसे पहले रामराज्य नाम की फिल्म बनी थी तो यही एक मात्र ऐसी फिल्म थी, जिसको महात्मा गांधी ने देखी थी । इस फिल्म का म्यूज़िक साजिद वाज़िद कंपोज करेंगे। ऐसे में जब मीडिया ने यह जानने की कोशिश की कि क्या इसमें कोई चुनौती लगी। इस पर साजिद ने कहा कि मैं एक ही बात जानता हूं कि मैं म्यूजिक बनाता हूं और वहीं मेरा धर्म है और मेरे लिए यह काफी उत्साही प्रोजेक्ट है कि मैं हनुमान जैसे डायनेमिक छवि के लिए म्यूजिक करूंगा।
इसी सवाल के जवाब को आगे बढ़ते हुए और धर्म निरपेक्षता की बात करते हुए कुणाल ने कहा कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री हमेशा से ही काफी धर्मनिरपेक्ष रही है। यहां टैलेंट को बढ़ावा दिया गया है और हर धर्म का सम्मान किया जाता है। कमलेश ने कहा कि जब पहली रामायण बनी थी तो उस वक़्त राम का किरदार एक मुस्लिम ने ही निभाया था। जिन्होंने लक्ष्मण का किरदार निभाया था वह भी मुस्लिम थे। तो ये बातें एक क्रियेटिव फिल्ड में खास महत्व नहीं रखती हैं।
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