Move to Jagran APP

नवाज़ नहीं थे ठाकरे के लिए पहली पसंद, कास्टिंग डायरेक्टर रोहन मपुसकर से जानिए क्या है कास्टिंग

रोहन मपुसकर थ्री एडियड्स, हाफ टिक, वेंटीलेटर, सचिन अ बिलियन ड्रीम्स, फरारी की सवारी और ठाकरे सहित कई फिल्मों में कास्टिंग कर चुके हैं।

By Rahul soniEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 01:10 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 02:43 PM (IST)
नवाज़ नहीं थे ठाकरे के लिए पहली पसंद, कास्टिंग डायरेक्टर रोहन मपुसकर से जानिए क्या है कास्टिंग

मुंबई। फिल्ममेकिंग में बहुत सारे अलग-अलग क्रिएटिव वर्क होते हैं जिनके बिना फिल्म का पूरा होना संभव नहीं है। इसमें से एक है कास्टिंग। कास्टिंग डायरेक्टर का मुख्य काम होता है कैरेक्टर के मुताबिक किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाने वाले अभिनेता का सही चुनाव करना। इसके लिए सबसे जरूरी होता है ऑब्जर्वेशन। साथ ही डायरेक्टर की जरुरत के मुताबिक एक्टर का चुनाव। यह कहना है मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर रोहन मपुसकर का जिन्होंने कई बड़ी फिल्मों में बतौर कास्टिंग डायरेक्शन का काम किया है। हाल ही में आई बाला साहेब ठाकरे के जीवन पर बनी फिल्म ठाकरे में भी रोहन मपुसकर कास्टिंग डायरेक्टर रहे। जागरण डॉट कॉम से विशेष बातचीत में रोहन ने फिल्मों में कास्टिंग को लेकर जानकारी दी। पढ़िए पूरी बातचीत - 

loksabha election banner

फिल्म ठाकरे की कास्टिंग के बारे में रोहन बताते हैं कि, डायरेक्टर अभिजीत पानसे ने कास्टिंग को लेकर फ्री हैंड दे रखा था और कहा था कि जरूरी नहीं है कि कोई प्रसिद्ध चेहरा चाहिए। दरअसल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम पहले इस फिल्म के तय नहीं था। उनका नाम संजय राउत ने सुझाया था क्योंकि उन्होंने फ्रीकी अली फिल्म में नवाज को देखा था। नवाजुद्दीन से इसको लेकर बातचीत की गई तो वे तैयार हो गए। शुरुआत में उनसे फिल्म ठाकरे के सीन पढ़वाए गए थे। कई बार लुक टेस्ट भी हुए थे।

ऑब्ज़र्वेशन है अहम बात

रोहन बताते हैं कि, कास्टिंग का मतलब है किसी किरदार के लिए सही अभिनेता और अभिनेत्री का चुनाव का करना जो उसे बड़े परदे पर बेहतरीन तरीके से निभा सके। रोहन ने बताया कि, कास्टिंग में कैरेक्टर को सुनकर, समझ कर फिर एक्टर की पर्सनॉलिटी के ऊपर विचार किया जाता है। इसके बाद डायरेक्टर की फिल्म में किरदार को लेकर क्या जरुरत है और अभिनेता कौन है यह सब देखकर फाइनल कास्टिंग की जाती है। यहां पर सबसे अहम बात होती है ऑब्ज़र्वेशन की। अलग-अलग स्ट्रेटजी बनाकर कास्टिंग की जाती है जिसमें कई एक्सपीरिमेंट्स किए जाते हैं।

कास्टिंग के कारण फिल्मों में नहीं होती देरी

क्या कास्टिंग के कारण फिल्मों में देरी होती है के सवाल पर रोहन ने यह साफ किया है कास्टिंग के कारण कभी भी फिल्म में देरी नहीं होती है। रोहन ने बताया कि, कास्टिंग को लेकर एक निर्धारित समय होता है जिसमें एक्टर्स का चुनाव कर लिया जाता है। निर्धारित समय के अंदर की कास्टिंग को पूरा किया जाता है। हां, कभी-कभी जरूर कास्टिंग में समय लगता है के लेकिन उससे फिल्म की रिलीज पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि कास्टिंग तो फिल्म शुरू होने से पहले ही हो जाती है।

कास्टिंग के पैटर्न में आए बदलाव

रोहन ने बताया कि, पहले फिल्मों में कास्टिंग नहीं होती थी। लेकिन पैटर्न बदला है और बिना कास्टिंग के एक्टर्स का चुनाव नहीं किया जाता है जो कि सही भी है। यहां तक की ए लिस्टर्स एक्टर्स को भी ऑडिशन देना होता है। रोहन बताते हैं कि, कई बार तो बड़े एक्टर्स खुद कहते हैं कि उनका ऑडिशन लिया जाए। वे खुद चाहते हैं कि जो किरदार उन्हें दिया गया है उसे निभाने में वे कितना परफेक्ट हैं।

राजू हिरानी का स्टाइल अलग

रोहन ने थ्री इडियट्स फिल्म की कास्टिंग की है। इस फिल्म से जुड़े अपने अनुभव को लेकर वे कहते हैं कि, राज कुमार हिरानी सर का स्टाइल अलग है। वे कभी नहीं कहते कि प्रसिद्ध चेहरा ही चाहिए। वे सिर्फ इतना कहते हैं कि जो किरदार को बेस्ट तरीके से बड़े पर्दे पर निभा सके उसका चुनाव करो। इसके साथ रोहन ने बताया कि, आमिर से पहले यह फिल्म शाहरुख़ को ऑफर हुई थी लेकिन डेट्स की वजह से वे इस फिल्म को नहीं कर पाए थे।

फरारी की सवारी की कास्टिंग थी दिलचस्प

फिल्म फरारी की सवारी की कास्टिंग करने वाले रोहन बताते हैं कि, इस फिल्म के लिए अलग अंदाज में कास्टिंग की गई थी। ए लिस्टर्स और बी लिस्टर्स एक्टर्स के नाम शामिल थे। इसके बाद ऑडियंस से पोल करवाया गया था। शरमन जोशी को 18, आमिर खान को 18, अक्षय कुमार को 12, शाहरुख़ और सलमान को 4 व 5 नंबर मिले थे। यहां पर यह महत्वपूर्ण नहीं था कि कौन कितना बड़ा लीजेंड है लेकिन किरदार के हिसाब से कौन फिट बैठेगा यह देखना था। आखिरकार शरमन जोशी को फाइनल किया गया।

मराठी फिल्म इंडस्ट्री में प्रसिद्ध नाम जरूरी नहीं

रोहन ने बताया कि, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में तो चेहरा महत्वपूर्ण होता है। दर्शक अपने पसंदीदा अभिनेता को देखने सिनेमाघर तक जाते हैं। लेकिन मराठी सिनेमा में तो नाम इतना ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता। रोहन ने फिल्म वेंटीलेटर को लेकर अपने अनुभव के बारे में बताया कि, कास्टिंग के लिए हम प्रसिद्ध नहीं बल्कि नए चेहरे और जो प्रसिद्ध न भी हो उनकी तलाश कर हे थे।

यंगस्टर्स को मैसेज

रोहन ने यंगस्टर्स और कास्टिंग डायरेक्शन फील्ड में आने वाले लोगों कौ मैसेज देते हुए कहा है कि, सबसे पहले किसी कास्टिंग डायरेक्टर को असिस्ट करें। साथ में डायरेक्टर को भी असिस्ट कर सकते हैं क्योंकि डायरेक्टर हमेशा एक्टर के करीब होता है जिसे रोल को लेकर सभी रिक्वायरमेंट्स के बारे में जानकारी होती है। इसलिए यहां पर सीखने को बहुत मिलता है। मौका मिले तो फिल्म के सेट पर असिस्टेंट डायरेक्टर का काम करें।

जब भी ऑडिशन दें तो रखें यह ख्याल

साथ ही रोहन ने बताया कि, जब भी आप ऑडिशन देने जा रहे हो तो यह मत सोचे कि होगा कि नहीं होगा। आप कोशिश करें और आगे क्या होगा इसकी चिंता न करें। क्योंकि अगर हो जाएगा तो आपके पास कॉल आ जाएगा। तो वेबजह उस समय टेंशन में आकर परफॉर्मेंस को बिगाड़ने से कोई मतलब नहीं।

आपको बता दें कि, आशुतोष गोवारिकर की फिल्म पानीपत की कास्टिंग भी रोहन मपुसकर कर रहे हैं। इस फिल्म में अर्जुन कपूर और कृति सनोन अहम किरदार में होंगे। रोहन मपुसकर थ्री एडियड्स, हाफ टिक, वेंटीलेटर, सचिन अ बिलियन ड्रीम्स, फरारी की सवारी और ठाकरे सहित कई फिल्मों में कास्टिंग कर चुके हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.