Sunny Deol के चुनाव ने Dharmendra को दिया ऐसा दर्द, छलक उठता है बार-बार
Dharmendra not happy with Sunny Deol election सनी देओल का राजनीति में आना पूर्वनियोजित नहीं था। इलेक्शन के दौरान ही बीजेपी ने उन्हें गुरुदासपुर से लड़ने के लिए उतारा।
मुंबई। लोक सभा चुनाव 2019 निपट चुके हैं और 23 मई को नतीजे आने वाले हैं। चुनाव में सनी देओल ने पंजाब की गुरुदासपुर लोक सभा सीट से बीजेपी के टिकट पर ताल ठोकी है, मगर सनी का चुनाव लड़ना धर्मेंद्र को ऐसा दर्द दे गया है, जिसकी टीस बार-बार उठती है। धर्मेंद्र इस दर्द को भूल नहीं पा रहे।
धर्मेंद्र का यह दर्द है, कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ के ख़िलाफ़ सनी देओल का चुनाव लड़ना। सुनील जाखड़ लोकप्रिय नेता स्वर्गीय बलराम जाखड़ के बेटे हैं। धर्मेंद्र जाखड़ परिवार के बेहद क़रीब रहे हैं। इसीलिए सुनील के ख़िलाफ़ सनी का चुनाव लड़ना धर्मेंद्र को अब भी खल रहा है। धर्मेंद्र ने शेर के अंदाज़ में ट्वीट करके अपना हाले-दिल यूं कहा है, ''सगों से रिश्ते इक ज़माने से... तोड़ गयी पलों में... कम्बख़्त सियासत... बरक़रार है, बरक़रार रहेगी मोहब्बत मेरी मोहब्बत से... जाखड़ के नाम।'' ध्यान दें कि लाइन के अंत में धर्मेंद्र ने लिखा है- जाखड़ के नाम। अल्फ़ाज़ बता रहे हैं कि धर्मेंद्र को यह बात कितने गहरे तक चुभ रही है कि सनी, सुनील के ख़िलाफ़ चुनाव लड़े हैं।
Sagon se rishte .......ikk zamane se......tod gayi.......palon main............kambakht siyasat ye...........barqrar hai ......barqrar rahe gi......mohabbt meri............................... mohabbt se ............Jakhad ke naam......... pic.twitter.com/IYzWdVtYD5— Dharmendra Deol (@aapkadharam) May 21, 2019
धर्मेंद्र जब चुनाव प्रचार के लिए गुरुदासपुर गये थे, तब भी उन्होंने यह बात कही थी कि उन्हें अगर पहले पता होता कि गुरुदासपुर से सुनील जाखड़ खड़े हैं, तो कभी सनी को वहां से चुनाव नहीं लड़ने देते। सुनील को उन्होंने अपने बेटे की तरह बताया था। गुरुदासपुर से स्वर्गीय एक्टर विनोद खन्ना बीजेपी के सांसद थे। उनकी मौत के बाद उप चुनाव में यह सीट सुनील जाखड़ ने कांग्रेस के टिकट पर जीत ली और अब सनी बीजेपी के टिकट पर उनके सामने हैं।
सनी देओल का राजनीति में आना पूर्वनियोजित नहीं था। इलेक्शन के दौरान ही बीजेपी ने उन्हें गुरुदासपुर से लड़ने के लिए मनाया और उतारा। बलराम जाखड़ से अपनी नज़दीकियों के चलते धर्मेंद्र ख़ुद पंजाब से कभी चुनाव नहीं लड़ पाये। बीकानेर से वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। राजस्थान में धर्मेंद्र ने कुछ सीटों पर लड़ने से इसीलिए मना कर दिया था, क्योंकि बलराम जाखड़ वहां से इलेक्शन लड़ रहे थे। बलराम जाखड़ को धर्मेंद्र अपने बड़े भाई की तरह मानते थे।
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