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'सरबजीत' को बहन दलबीर ने बनाया हीरो, जानिए संघर्ष की दास्‍तां

रणदीप हुडा और ऐश्वर्या राय बच्चन स्टारर फिल्म 'सरबजीत' रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी भारतीय किसान सरबजीत की जिंदगी पर आधारित है, जिसमें उनका किरदार रणदीप निभा रहे हैं।

By Suchi SinhaEdited By: Published: Thu, 19 May 2016 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2016 09:43 AM (IST)
'सरबजीत' को बहन दलबीर ने बनाया हीरो, जानिए संघर्ष की दास्‍तां

नई दिल्ली(सुचि सिन्हा)। पाकिस्तान की जेल में ना जाने कितने सरबजीत सिंह ने दम तोड़ दिया है, लेकिन हिंदुस्तान में एक ऐसा सरबजीत सिंह भी पैदा हुआ, जो अपनी मौत के बाद हीरो बन गया। आज उनकी जिंदगी पर फिल्म 'सरबजीत' रिलीज हो रही है, जिसमें उनकी भूमिका रणदीप हुडा निभा रहे हैं। सरबजीत की कहानी जितनी मार्मिक है, अंत उतना ही दर्दनाक। उनकी कहानी को हूूबहू पर्दे पर उतारने का निर्देशक उमंग कुमार ने बहुत प्रयास किया है।

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भाई के लिए दलबीर कौर ने लड़ी लंबी लड़ाई

सरबजीत भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाते, अगर उनकी बहन दलबीर कौर उन्हें इंसाफ दिलाने की लंबी लड़ाई नहीं लड़ती। फिल्म में दलबीर की भूमिका ऐश्वर्या राय बच्चन निभा रही हैं। शूटिंग के दौरान कई मौके पर ऐश्वर्या की आंखेंं नम हो गईं। सरबजीत की दर्द भरी कहानी और बहन दलबीर की लंबी लड़ाई उन्हें कई मौके पर भावुक कर गई। पहली बार ऐश्वर्या किसी फिल्म में उम्रदराज महिला का किरदार निभा रही हैं। जब उन्हें इस फिल्म का ऑफर मिला, तो उन्होंने सोचने में जरा भी देरी नहीं लगाई। फौरन बस हां कर दिया।

सरबजीत के मौत की खबर ने तोड़ दी बहन की उम्मीद

सरबजीत के नाम से आज हर कोई वाकिफ है। दलबीर ने अपने भाई को हिंदुस्तान का एक ऐसा हीरो बना दिया कि उन पर फिल्म बन गई। 2 मई 2013 की रात इस बहन के लिए बेहद मनहूस रही, जब खबर आई कि पाकिस्तान के अस्पताल में सरबजीत ने दम तोड़ दिया। भाई के लंबे उम्र की दुआ मांगने वाली बहन के जीने का जैसे मकसद ही जैसे खत्म हो गया। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कुछ कैदियों ने उन पर हमला कर दिया, जिसकी वजह से सरबजीत का ब्रेन डेड हो गया। सरबजीत के मौत की खबर से पूरे देश में मातम छा गया। पंजाब सरकार ने तो इसके लिए तीन दिन का अवकाश तक घोषित कर दिया। अपने उपर आतंकवादी होने का दाग लिए सरबजीत तो इस दुनिया से रुख्सत हो गए, लेकिन दलबीर ने सरबजीत को आज घर-घर में हीरो बना दिया।

एक गलती ने बदल दी सरबजीत की जिंदगी

सरबजीत की एक गलती ने पूरे परिवार को बिखेर कर रख दिया। शराब के नशे में उन्होंने सरहद पार करने की गुस्ताखी क्या कर दी। मामूली से किसान सरबजीत पर पाकिस्तान ने आतंकवादी का ठप्पा लगा दिया। पाकिस्तान की कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी, हालांकि कूटनीतिक दबाव के बाद उनकी फांसी अनिश्चितकाल तक के लिए टल गई। मौत से पहले ये भी खबर आई थी कि सरबजीत को जेल से रिहा किया जा रहा है। परिवार वालों ने खूब खुशियां मनाई, लेकिन यह खबर अफवाह साबित हुई।

भावुक करने वाला सरबजीत का खत

सरबजीत ने जेल से अपने परिवार वालों को ये भावुक खत लिखा, 'मुझे पिछले दो तीन महीनों से खाने में कुछ मिलाकर दिया जा रहा है। इसे खाने से मेरा शरीर गलता जा रहा है। मेरे बाएं हाथ में बहुत दर्द हो रहा है और दाहिना पैर लगातार कमजोर होता जा रहा है। खाना जहर जैसा है। इसे ना तो खाना संभव है, ना खाने के बाद पचाना संभव है। जब भी मेरा दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है और मैं जेल अधिकारियों से दर्द की दवा मांगता हूं, वो मेरा मजाक उड़ाते हैं। मुझे पागल ठहराने की पूरी कोशिश की जाती है। मुझे एकांत कोठरी में डाल दिया गया है और मेरे लिए रिहाई का एक दिन भी इंतजार करना मुश्किल हो गया है।'

कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी को पाक ने बनाया आतंकवादी

सरबजीत कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद ,खेल और पढ़ाई का बलिदान कर छोटी सी उम्र में परिवार की जिम्मेदारी संभाल ली। घर की माली हालत ठीक नहीं थी, तो किसान के बेटे सरबजीत ने किसानी करना शुरू कर दिया। परिवार की जर्जर गाड़ी जैसे-तैसे चलने लगी। वो दिन भी आया जब सरबजीत की शादी हुई उनकी पत्नी बनीं सुखप्रीत कौर, जिनका फिल्म में किरदार रिचा चड्ढा निभा रही हैं। सरबजीत की दो बेटियां पूनमदीप और स्वप्नदीप हैं।

रणदीप हुडा में दलबीर को दिखा 'सरबजीत'

बहन की आंखेंं सरबजीत को याद कर आज भी नम हो जाती हैं। फिल्म में सरबजीत का किरदार निभाने वाले रणदीप हुडा में उन्हें अपना भाई नजर आता है। वो कहती हैं मौत के बाद रणदीप मुझे कंधा देंगे। उनका मानना है कि रणदीप ने इस किरदार के साथ इंसाफ किया है। रणदीप को गले लगाकर उन्होंने कई बार आंसू भी बहाए।

भाई को इंसाफ दिलाते-दिलाते दलबीर कब जवानी से बुढ़ापे की ओर पहुंच गईं, उन्हें पता ही नहीं चला। दलबीर ने तो भाई के लिए अपनी शादी शुदा जिंदगी तक को ताक पर रख दिया। दलबीर की ये लड़ाई पाकिस्तान के नापाक इरादों पर करारा वार है, उन्होंने सोचा था की इस आर-पार की जंग के बाद पाकिस्तान की सोच में सुधार आ जाएगा, लेकिन ऐसा हो ना सका। आज भी पाकिस्तान की जेल में ना जाने कितने सरबजीत बंद हैंं। संघर्ष विराम का आए दिन उल्लंघन हो ही रहा है।


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