मशहूर सिनेमेटोग्राफर मूर्ति का निधन
भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म 'कागज के फूल' का फिल्मांकन करने वाले मशहूर सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति का सोमवार को यहां पर अपने आवास में निधन हो गया। वह
भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म 'कागज के फूल' का फिल्मांकन करने वाले मशहूर सिनेमेटोग्राफर वी. के. मूर्ति का सोमवार को यहां पर अपने आवास में निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। उनके परिवार में उनकी एक बेटी छाया है।
मूर्ति की भतीजी नलिनी वासुदेव ने बताया कि उन्हें उम्र संबंधी समस्याएं थीं। चार दशक से भी ज्यादा समय तक बालीवुड में काम करने वाले मूर्ति ने कैमरे पर अपने हुनर के जरिए कई फिल्मों को अलग पहचान दी। मशहूर निर्माता-निर्देशक गुरु दत्त की तमाम फिल्मों खासकर 'कागज के फूल', 'साहिब बीबी और गुलाम' व 'प्यासा' में उनके कैमरा वर्क को खूब सराहा गया। कागज के फूल और साहिब बीबी और गुलाम के लिए उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। मूर्ति द्वारा फिल्माया 'चौदहवीं का चांद हो..' गीत सिनेमेटोग्राफी की मिसाल बन गया। उन्हें वर्ष 2008 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। वर्ष 1969 में शुरू हुए भारतीय सिनेमा के इस सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाले वह पहले सिनेमेटोग्राफर थे।
श्याम बेनेगल के मशहूर टीवी धारावाहिक 'भारत एक खोज' और 1993 में सबसे प्रशंसित कन्नड़ फिल्मों में से एक 'हूवा हन्नू' को भी उन्होंने अपने कैमरावर्क के जरिए जीवंत बनाया। 1923 में मैसूर में जन्मे मूर्ति को वर्ष 2005 में आइफा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था। उन्होंने बेंगलूर स्थित एस.जे. पालीटेक्निक के पहले बैच (1943-46) के साथ सिनेमेटोग्राफी में डिप्लोमा हासिल किया था। छात्र जीवन के दौरान गांधी जी से प्रेरित होकर वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहे। इसके चलते 1943 में उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।