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'अर्द्धसत्य' से लेकर 'सत्यमेव जयते' तक... जारी है भ्रष्टाचार से बॉलीवुड की जंग

इस विषय पर विशुद्ध मसाला फ़िल्में बनी हैं, तो इसी विषय पर कुछ कलात्मक फ़िल्में भी आयी हैं। अब जॉन अब्राहम 'सत्यमेव जयते' लेकर आ रहे हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 05:38 PM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2018 09:25 AM (IST)
'अर्द्धसत्य' से लेकर 'सत्यमेव जयते' तक... जारी है भ्रष्टाचार से बॉलीवुड की जंग
'अर्द्धसत्य' से लेकर 'सत्यमेव जयते' तक... जारी है भ्रष्टाचार से बॉलीवुड की जंग

मुंबई। भ्रष्टाचार का रोग देश में काफ़ी पुराना है और उतनी ही पुरानी है फ़िल्मों में भ्रष्टाचार से लड़ने की कहानी। फ़िल्ममेकर वक़्त और मांग के हिसाब से इन कहानियों को अपने-अपने तरीक़ों से पर्दे पर पेश करते रहे हैं। भ्रष्टाचार ऐसा विषय है, जो फ़िल्ममेकर्स को ट्रीटमेंट की आज़ादी देता है।

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इस विषय पर विशुद्ध मसाला फ़िल्में बनी हैं, तो इसी विषय पर कुछ कलात्मक फ़िल्में भी आयी हैं। अब जॉन अब्राहम 'सत्यमेव जयते' लेकर आ रहे हैं। मिलाप ज़वेरी के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में जॉन का किरदार अपने पिता की मौत का बदला लेता हुआ दिखायी देगी, जो सिस्टम के भ्रष्टाचार का शिकार बने। फ़िल्म में मनोज बाजपेयी पुलिस अफ़सर का किरदार निभा रहे हैं। फ़िल्म से आयशा शर्मा डेब्यू कर रही हैं। सत्यमेव जयते 15 अगस्त पर रिलीज़ हो रही है।

सत्यमेव जयते के बहाने ऐसी फ़िल्मों पर नज़र डालते हैं, जो भ्रष्टाचार की थीम पर आधारित रही हैं और जिनमें नायक भ्रष्टाचार से लड़ता हुआ नज़र आता है। इसी साल रिलीज़ हुई नीरज पांडेय की 'अय्यारी' में रक्षा और सियासी क्षेत्रों में होने वाले भ्रष्टाचार को उठाया गया था। मनोज बाजपेयी और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने मुख्य भूमिकाएं निभायीं। दोनों मिलिट्री इंटेलीजेंस के अफ़सरों की भूमिका में थे।

 

कृष निर्देशित 'गब्बर इज़ बैक' में अक्षय कुमार का किरदार गब्बर भ्रष्ट अफ़सरों के शिकार पर निकलता है। कपिल शर्मा के साथ कॉमेडी शो करते रहे सुनील ग्रोवर ने इस फ़िल्म में पुलिस ऑफ़िसर का संजीदा किरदार निभाया था। श्रुति हासन फ़ीमेल लीड रोल में नज़र आयीं, जबकि करीना कपूर ने मेहमान भूमिका अदा की।

रेंसिल डिसिल्वा निर्देशित 'उंगली' की कहानी चार युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भ्रष्टाचार से आज़िज़ आकर इससे लड़ने के लिए उंगली गैंग बना लेते हैं। इमरान हाशमी, रणदीप हुड्डा, अंगद बेदी और नील भूपालम ने फ़िल्म में लीड रोल्स प्ले किये। संजय दत्त पुलिस अफ़सर के किरदार में थे, जो इस गैंग के पीछे है। हालांकि फ़िल्म कोई प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं हुई थी।

अगर भ्रष्टाचार पर बनने वाली प्रभावशाली फ़िल्मों की बात करें तो सदी बदलने के बाद राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'रंग दे बसंती' सबसे अहम फ़िल्म है। इसकी कहानी फ़ाइटर प्लेंस की ख़रीद में हुए रक्षा घोटाले से प्रेरित थी। एयरफोर्स पायलट बने आर माधवन की क्रैश में मौत हो जाती है और इसके लिए ज़िम्मेदार भ्रष्टाचारियों से बदला लेने के लिए चार दोस्त सिर पर कफ़न बांधकर निकलते हैं। 'रंग दे बसंती' का स्क्रीनप्ले इस तरह लिखा गया था कि इन किरदारों को क्रांतिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रेशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह, अशफ़ाक़ उल्ला खां और शिवराम राजगुरु के साथ बुना गया था। आमिर ख़ान, सिद्धार्थ, कुणाल कपूर, शरमन जोशी, अतुल कुलकर्णी, आर माधवन और सोहा अली ख़ान ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं।

एस शंकर निर्देशित 'नायक' राजनीतिक भ्रष्टाचार पर बनी बेहद असरदार फ़िल्म है। फ़िल्म में अनिल कपूर, अमरीश पुरी, परेश रावल और रानी मुखर्जी ने मुख्य किरदार निभाये। अमरीश पुरी मुख्यमंत्री के किरदार में थे, जबकि अनिल कपूर एक टीवी जर्नलिस्ट के रोल में दिखे। सीएम की चुनौती स्वीकार करने के बाद अनिल कपूर 24 घंटे के लिए सीएम बन जाते हैं। इन 24 घंटों में वो किस तरह राजनीतिक भ्रष्टाचार से लड़ते हैं, वही नायक की कहानी का अहम हिस्सा है।

 

20वीं सदी के आख़िरी दौर में रिलीज़ हुई 'हिंदुस्तानी' तमिल फ़िल्म इंडियन का हिंदी डब वर्ज़न थी, मगर इस फ़िल्म ने हिंदी दर्शकों को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित किया था। शंकर निर्देशित फ़िल्म में कमल हासन ने डबल रोल निभाये थे। उनका एक किरदार 70 साल के क्रांतिकारी का था, जिसने आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था, मगर मौजूदा समाज में फैला भ्रष्टाचार उसे फिर से लड़ने के लिए मजबूर कर देता है। दूसरा किरदार बेटे का था, जो ख़ुद भ्रष्टाचार में लिप्त होता है।

इन फ़िल्मों के अतिरिक्त अस्सी के दशक में आयीं गोविंद निहलानी की 'अर्द्ध-सत्य' और कुंदन शाह की 'जाने भी दो यारों' भी भ्रष्टाचार पर बनी उल्लेखनीय फ़िल्में हैं। 'अर्द्ध-सत्य' सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार के बीच फंसे एक ईमानदार पुलिस ऑफ़िसर (ओम पुरी) की कसमसाहट को दर्शाती है। वहीं, 'जाने भी दो यारों' के ज़रिए कुंदन शाह ने हल्के-फुल्के ढंग से राजनीति, प्रशासन और मीडिया में फैले भ्रष्टाचार पर तंज कसा था। नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी, ओम पुरी, पंकज कपूर और सतीश शाह ने मुख्य किरदार निभाये थे।


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