Irrfan Khan के बेटे बाबिल ने पिता के निधन के बाद बताया सच, कहा- मेरे पिता सिक्स पैक ऐब्स वालों से हार गए
इरफान खान के बड़े बेटे बाबिल सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने पिता को याद कर रहे हैं। इसी बीच बाबिल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपना गुस्सा जाहिर किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार इरफान खान के निधन से आज भी उनका परिवार उबर नहीं पा रहा है। उनके निधन के बाद से ही लगातर इरफान खान के बड़े बेटे बाबिल सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने पिता को याद कर रहे हैं। इसी बीच बाबिल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपना गुस्सा जाहिर किया है। उनका कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर चल रही राजनीतिक बहस उन्हें पसंद नहीं है। लेकिन अब जब एक बार नेपोटिज्म को लेकर जो बहस शुरू हुई है तो बदलाव की उम्मीद भी नजर आ रही हैं। इसी बदलाव के लिए उनके पिता इरफान खान जीवन भर लड़ते रहे थे। बाबिल ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम आकउंट पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिकर अपनी बात कही है।
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बाबिल ने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'आप जानते हैं कि मेरे पिता ने मुझे सिनेमा के छात्र के रूप में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक सिखाया है? इससे पहले कि मैं फिल्म स्कूल जाता, उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि मुझे अपने आप को साबित करना होगा क्योंकि बॉलीवुड जगत में शायद ही कभी सम्मानित होता है। यहां पर अपनी जगह खुद ही बनानी होती है। बॉलीवुड का कोई सम्मान नहीं था, 60 के दशक से 90 के दशक तक भारतीय सिनेमा के बारे में कोई जागरूकता न हाने की वजह से कोई वेल्यू थी। वर्ल्ड सिनेमा में इंडियन सिनेमा के बारे में केवल एक लैक्चर होता है जिसे 'बॉलिवुड ऐंड बेयॉन्ड' कहा जाता है और उसमें भी लोग केवल मजाक बनाते हैं।'
बाबिल ने आगे लिखा, 'यहां तक कि सत्यजीत रे और के.असिफ और भारतीय सिनेमा के बारे में बातचीत करना कठिन था। आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? क्योंकि हमने, भारतीय दर्शकों के रूप में, विकसित होने से इनकार कर दिया। मेरे पिता ने अपने जीवन की शुरुआत बॉलीवुड और अफसोस की विपरीत परिस्थितियों में अभिनय की कला को बुलंद करने की कोशिश की, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर वो कुछ ऐसे सिक्स पैक वाले हंक्स से हार गए जो अपनी फिल्मों में एक लाइन के डायलॉग बोलते हैं और कानूनों के नियमों को धता बताते हैं। और वह भौतिक विज्ञान और वास्तविकता को नकारती फिल्मों से हार जाते थे।'
इसके साथ ही बाबिल ने आगे लिखा, 'यहां फोटोशॉप के द्वारा तैयार किए हुए आइटम सॉन्ग, लिंगभेद और रुढ़िवादी पितृसत्ता का प्रस्तुतीकरण ही बॉलीवुड की प्रकृति बन चुका है। वहीं अब एक परिवर्तन आ रहा है, फिजाओं में एक नई खुशबू है। आज युवा एक नया मुकाम ढूंढ रहा है।'
बाबिल ने लिखा, 'अब सुशांत की मौत को लोगों ने एक पॉलिटिकल मुद्दा बना दिया है लेकिन अगर हम कुछ सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं, तो यही वक्त है इसे अपनाइये।'