Akshay Kumar को पहले से नहीं जानते थे 'बेल बॉटम' के डायरेक्टर रंजीत तिवारी, फिर ऐसे बनी फिल्म पर बात
निखिल आडवाणी के असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुके रंजीत तिवारी ने ‘लखनऊ सेंट्रल’ से निर्देशन में कदम रखा था।अब उनके निर्देशन में बनी जासूसी थ्रिलर ‘बेल बाटम’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली यह पहली फिल्म है।
स्मिता श्रीवास्तव, नई दिल्ली। फिल्ममेकर निखिल आडवाणी के असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुके रंजीत तिवारी ने फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ से निर्देशन में कदम रखा था। अब उनके निर्देशन में बनी जासूसी थ्रिलर ‘बेल बाटम’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली यह पहली फिल्म है। अक्षय कुमार, लारा दत्ता, हुमा कुरैशी और वाणी कपूर अभिनीत यह फिल्म सच्ची घटना
से प्रेरित है। रंजीत तिवारी से स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत:
सवाल : आपको जासूसी थ्रिलर जानर की क्या खासियत अच्छी लगती है?
जवाब : इस जॉनर की खासियत है कि फिल्म सही बनती है या कहानी अच्छी होती है तो वह ऑडियंस का अटेंशन पकड़कर रखती है। वो आपको एक दुनिया में ले जाती है जिसमें जाकर आप एंज्वाय करते हो। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई स्पाई थ्रिलर फिल्में बनी हैं। मुझे उन्हें देखने में बहुत आनंद आता है। बहुत सालों से मेरा मन था कि अगर मौका मिले तो एक स्पाई थ्रिलर फिल्म बनाऊं। जब मेरे पास स्क्रिप्ट आई तो मैं बहुत खुश हुआ। बचपन से ही मैं स्पाई थ्रिलर फिल्मों को देखने के अलावा जासूसी किताबें पढ़ता रहा हूं। यह गुमनाम हीरो की कहानी है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लोग हमारे बीच रहते हैं। हमारी सुरक्षा करते हैं, लेकिन हमें पता ही नहीं चलता है। देश में होने वाले आतंकी हमलों या घटनाओं को वो ही रोकते हैं। हम उन्हें कभी देख नहीं पाते हैं। उन्हें कभी श्रेय नहीं मिलता है। वे इतने सेल्फलेस हैं और देश के लिए इतनी शिद्दत से काम करते हैं, यह बहुत बड़ा काम है।
सवाल : ‘बेल बॉटम’ की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब : ‘लखनऊ सेंट्रल’ के लेखक असीम अरोड़ा ने ही ‘बेल बॉटम’ की कहानी लिखी है। वही यह कहानी मेरे पास लेकर आए। यह सच्ची घटना से प्रेरित है। साल 2019 में असीम ने मुझे इसकी कहानी सुनाई। बहुत सारी स्पाई कहानियों के बारे में हम बात करते थे, लेकिन जब यह कहानी सुनी तो लगा कि फिल्म बनानी चाहिए।
सवाल : अक्षय कुमार से आपकी पहली मुलाकात कैसे हुई थी?
जवाब : फिल्म ‘पटियाला हाउस’ के दौरान मैं निखिल आडवाणी का असिस्टेंट था। फिल्म के हीरो अक्षय कुमार थे। तब मैं उन्हें जानता नहीं था। ‘बेल बॉटम’ की कहानी मैंने निखिल को सुनाई थी। उन्होंने अक्षय सर को इस कहानी के बारे में बताया। हम अक्षय सर से मिले। फिर निर्माता वासु भगनानी ने फिल्म को प्रोड्यूस किया।
सवाल : कोविड के दौर में फिल्म बनाने को लेकर क्या चुनौतियां रहीं?
जवाब : तब वर्चुअली हम सब फिल्म पर काम कर रहे थे। सब घर पर थे तो ज्यादा समय मिल गया था। फिल्म के लिए होमवर्क अच्छे से हो गया। इससे चीजें सहज हो गईं। इसमें काफी विजुअल इफेक्ट्स (वीएफएक्स) भी शामिल हैं।
सवाल : निखिल आडवाणी से कैसे जुड़ना हुआ?
जवाब : निखिल से मेरी मुलाकात एक शख्स के जरिए हुई जिसका नाम निखिल गोंसालविस है। वह उस समय एसोसिएट डायरेक्टर हुआ करते थे। उन्होंने मुझे निखिल के साथ ‘पटियाला हाउस’ में काम करने का मौका दिया था। वहीं से निखिल आडवाणी से जुड़ा। फिर उनके साथ बतौर एसोसिएट डायरेक्टर मैंने ‘डी डे’ समेत तीन फिल्में
की। ‘डी डे’ मेरी पसंदीदा फिल्म है।
सवाल : ‘बेल बॉटम’ की शूटिंग के दौरान का कोई यादगार वाकया?
जवाब : बहुत सारी यादें हैं। सबसे बड़ी बात तो अक्षय सर को डायरेक्ट करना है। यह यादगार अनुभव है। एयर इंडिया की फ्लाइट लैंड होते शूट करना भी दिलचस्प रहा। हमेशा हम अंग्रेजी फिल्मों में देखते हैं, प्लेन लैंडिंग, चेंज के दृश्य, जो वीएफएक्स के बिना रियल प्लेन के साथ होते हैं। वासु जी ने हवाई जहाज शूटिंग के लिए अरेंज किया। एयरपोर्ट पर शूटिंग की अनुमति ली। एयरपोर्ट पर पांच कैमरे के साथ शूट करने का जो मौका मिला वह ताउम्र याद रहेगा।
सवाल : लारा दत्ता के पिता दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी पायलट थे। आपको यह जानकारी थी?
जवाब : नहीं, इसकी बिल्कुल जानकरी नहीं थी। लारा के पिता पायलट थे यह बात बहुत बाद में पता चली। लारा ने एक दिन बातों-बातों में कहा कि यह कैसा संयोग है कि मुझे वह किरदार करने का मौका मिला जिनके पायलट मेरे पिता थे।
सवाल : अपनी अगली फिल्म ‘मिशन सिंड्रेला ‘की शूटिंग आप लंदन में करने वाले हैं। लंदन से खास लगाव है?
जवाब : अभी तो सारी एनर्जी ‘बेल बॉटम’ में लगी है। दर्शकों की प्रतिक्रिया से उत्साहित हूं।