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जन्मदिन विशेष: रॉक म्यूजिक के 'बादशाह' हैं बप्पी दा

सादगी भरे गानों के बाद हिंदी सिनेमा में एक ऐसा समय भी आया जब लोगों के पैर रॉक और डिस्को वाले गानों पर भी थिरकने लगे और वह समय लाने वाले कोई और नहीं बल्कि मशहूर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी थे। बप्पी दा ऐसे गीतकार हैं जिन्होंने हिंदी गानों को डिस्को म्यूजिक के राग में पिरोया है। आज भी उनकी धुन बजते ही किसी भी उम्र के लोग थिरकने लगते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 27 Nov 2013 11:41 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2013 11:51 AM (IST)
जन्मदिन विशेष: रॉक म्यूजिक के 'बादशाह' हैं बप्पी दा

मुंबई। सादगी भरे गानों के बाद हिंदी सिनेमा में एक ऐसा समय भी आया जब लोगों के पैर रॉक और डिस्को वाले गानों पर भी थिरकने लगे और वह समय लाने वाले कोई और नहीं बल्कि मशहूर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी थे। बप्पी दा ऐसे गीतकार हैं जिन्होंने हिंदी गानों को डिस्को म्यूजिक के राग में पिरोया है। आज भी उनकी धुन बजते ही किसी भी उम्र के लोग थिरकने लगते हैं।

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हमेशा गहनों और सोने से लदे रहने वाले बप्पी दा का जन्म 1952 में कोलकाता में हुआ था। अपनी अलग स्टाइल और इमेज से बप्पी दा ने संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान बनाई।

लाहिड़ी का निजी जीवन

27 नवंबर, 1952 को बप्पी लाहिड़ी का जन्म कोलकाता में हुआ है। संगीत घराने से ताल्लुक रखने वाले बप्पी दा के पिता अपरेश लाहिड़ी भी प्रसिद्ध बंगाली गायक थे। उनकी माता बांसरी लाहिड़ी भी बांग्ला संगीतकार थीं। लेकिन बप्पी दा ने हिंदी गानों में महारथ हासिल की। तीन साल की उम्र में तबला सीखने के साथ-साथ उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की। संगीतकार किशोर कुमार और एस मुखर्जी उनके रिश्तेदार थे। उन्होंने संगीत का मंत्र अपने माता पिता से ही लिया और 19 साल की उम्र में पहली बार बंगाली फिल्म में गाना गाया।

लाहिड़ी का व्यक्तित्व

बप्पी लाहिड़ी का व्यक्तित्व और उनका स्टाइल सबसे अलग है। उनकी सोच भी सबसे जुदा है। सोने के खूब गहने पहनने वाले बप्पी लाहिड़ी हमेशा रॉकस्टार की लुक में नजर आते हैं। बातचीत के ढंग से भी वह एक ऐसा मिश्रण लगते हैं जिसमें भारतीय रंग रूप के साथ अधिक मात्रा में विदेशी फैशन दिखाई पड़ता है।

हिंदी फिल्मों में करियर

बप्पी लाहिड़ी 19 साल की उम्र में ही बॉलीवुड में नाम कमाने के लिए मुंबई चले गए। साल 1973 में उन्हें हिंदी फिल्म 'नन्हा शिकारी' में गाना गाने का मौका मिल गया। हालांकि उन्हें बॉलीवुड में असली पहचान 1975 की फिल्म 'जख्मी' से मिली। इस फिल्म में उन्होंने मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे महान गायकों के साथ गाना गाया। इसके बाद से बप्पी दा के गाने सबकी जुबान पर छाने लगे। इसके बाद दौर आया बप्पी लाहिड़ी और मिथुन चक्रवर्ती की जोड़ी का। इन दोनों की जोड़ी ने बॉलीवुड में ऐसी धूम मचाई कि सब डांस और डिस्को म्यूजिक के दीवाने हो गए। उन्होंने मिलकर डिस्को डांसर, डांस डांस, कसम पैदा करने वाले की' जैसी फिल्मों को अपने गानों से ही हिट बना दिया।

हिंदी सिनेमा में बिना हिंदी से छेड़छाड़ किए बप्पी दा ने संगीत को नई दिशा दी। उन्होंने अपने एलबमों में अशोक कुमार और आशा भोंसले की आवाज का बखूबी इस्तेमाल किया। अलिशा चिनॉय और ऊषा उत्थुप के साथ मिलकर उन्होंने कई हिट नंबर दिए। हालांकि उन पर कई बार विदेशी धुनों को भी चुराने का आरोप लगा पर उन्होंने आगे बढ़ने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। काफी समय तक संगीत से दूर रहने के बाद फिर से उन्होंने उसी जोश और जुनून के साथ वापसी की। फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' का सुपरहिट गाना 'ऊ ला ला ऊ ला ला.' गाया। उन्होंने लोगों को करारा जवाब दिया जिन्होंने कहा था कि बप्पी दा का वक्त खत्म हो गया है।

बप्पी दा के कुछ खास गाने

उनके हिट गानों में से कुछ खास गाने

-'याद आ रहा है तेरा प्यार.फिल्म (डिस्को डांसर) के इस गाने ने बप्पी दा को एक नई पहचान दी।

-'बॉम्बे से आया मेरा दोस्त..' फिल्म (आप की खातिर)

- 'ऐसे जीना भी क्या जीना है' (कसम पैदा करने वाले की)

-'प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए' (मनोकामना)

-'रात बाकी' (नमक हलाल)

-'यार बिना चैन कहां रे' (साहब),

-'कभी अलविदा न कहना' (चलते चलते)

-'पग घुंघरु बांध मीरा नाची थी'. (नमक हलाल)

- 'ऊ ला ला ऊ ला ला' (द डर्टी पिक्चर)

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