आज होगा रवि चोपड़ा का अंतिम संस्कार, जानिए उनका सिनेमा का सफर
मशहूर फिल्म निर्देशक रवि चोपड़ा का कल निधन हो गया था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक आज सुबह तकरीबन 11 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा। फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त रवि चोपड़ा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे।
मुंबई। मशहूर फिल्म निर्देशक रवि चोपड़ा का कल निधन हो गया था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक आज सुबह तकरीबन 11 बजे उनका अंतिम संस्कार विले पार्ले के पवन हंस में किया जाएगा और इस मौके पर कई फिल्मी हस्तियां मौजूद रहेंगी। फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त रवि चोपड़ा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे।
68 वर्षीय चोपड़ा के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। रवि चोपड़ा बॉलीवुड के एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता बी.आर. चोपड़ा निर्देशक और निर्माता थे और वो यश चोपड़ा के भतीजे थे।
फिल्म बागबान का निर्देशन कर चुके रवि चोपड़ा पिछले कुछ सालों से फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे थे। उन्हें 6 नवंबर को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रवि चोपड़ा 1975 में आई फिल्म 'जमीर' से बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने 'द बर्निंग ट्रेन (1980)', 'मजदूर (1983)', 'दहलीज (1986)', 'बागबान (2003)' और 'बाबुल (2006)' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
बी.आर. चोपड़ा के निधन के बाद रवि ने अमिताभ बच्चन के साथ दो सफल फिल्में 'भूतनाथ' और 'भूतनाथ रि टर्न्स' बनाई।
उनका सबसे पहला टीवी शो महाभारत दर्शकों के बीच बेहद पसंद किया गया और इस धारावाहिक ने भारतीय टेलीविजन इतिहास में बुलंदियों के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। इसके बाद उन्होंने विष्णु पुराण और मां शक्ति जैसी पौराणिक गाथाओं पर शो बनाए।
रवि चोपड़ा के निधन पर पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है। निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा, 'उनके निधन की खबर से दुखी हूं'। फराह खान ने कहा, 'वो फिल्म इंडस्ट्री के सबसे शालीन, दयालु और बड़े हृदय वाले लोगों में से एक थे।'
अभिनेत्री और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने चोपड़ा के करीबियों को संवेदना जाहिर करते हुए कहा, 'उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला था।'
दिव्या दत्ता ने कहा, 'मुझे खबर मिली। ये वाकई बहुत खबर है और इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। वो जोश से भरपूर इंसान थे। फिल्म बागबान में उनके साथ काम करना मेरे लिए पिकनिक जैसा था। वो कभी किसी बात से उदास या परेशान नहीं होते थे।'