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आशा ने भी संघर्ष किया है..

हां, तो मैंने पिछली बार बात की थी कुछ फिल्मों के गीतों की और आशा भोसले से गीत जरूर गवाता था..। अब आगे की बात.., तो मैं आशा भोसले से फिल्मों के लिए इसलिए गीत गवाता था कि मुझे अपने परेशानियों के दिन हमेशा याद रहते थे। जैसे मैंने संघर्ष किया था, आशा ने भी वैसे दा

By Edited By: Published: Fri, 28 Dec 2012 05:17 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2012 05:44 PM (IST)

नई दिल्ली। हां, तो मैंने पिछली बार बात की थी कुछ फिल्मों के गीतों की और आशा भोसले से गीत जरूर गवाता था..। अब आगे की बात.., तो मैं आशा भोसले से फिल्मों के लिए इसलिए गीत गवाता था कि मुझे अपने परेशानियों के दिन हमेशा याद रहते थे। जैसे मैंने संघर्ष किया था, आशा ने भी वैसे दौर को देखा था। वे तब ऐसे ही दौर से गुजर रही थीं। उनकी भी अपनी कहानी थी। उस बारे में आगे बताऊंगा। इन सबसे अलग उनकी आवाज कमाल की थी। फिल्म 'दुर्गेश नंदिनी' में भी आशा के गाये दो गीत थे।

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फिल्म तो बड़ी हिट हुई ही, इसके गीत भी खूब बजे। इस फिल्म के बाद आई बी आर चोपड़ा निर्देशित 'एक ही रास्ता'। यह चोपड़ा साहब के साथ मेरी पहली फिल्म थी। मैं बेशक हेमंत दा का सहयोगी था, लेकिन कई बार इसके संगीत पर काम करने के दौरान मुझे बी आर चोपड़ा के साथ भी बैठना पड़ा था और मैंने उनकी बातचीत से महसूस किया कि वे संगीत की अच्छी समझ रखते हैं। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी के साथ इसी फिल्म के काम होने के दौरान मैं करीब आया। मैं उन्हें जानता था, लेकिन कभी साथ नहीं मिला था। वे बड़े गीतकार थे। अशोक कुमार, सुनील दत्त, मीना कुमारी और जीवन अभिनीत 'एक ही रास्ता' बी आर फिल्म्स की सामाजिक फिल्म थी और अपने विषय को लेकर तब यह चर्चा में रही थी। इसके गीत भी अलग बोल वाले थे, खासकर 'बड़े भैया लाए हैं लंदन से छोरी..' को आशा भोसले ने कोरस के साथ कमाल का गाया था। लता मंगेशकर की आवाज में 'उड़ाते हैं मेरे गम की..' गीत था। 'चमका बनकर अमन का तारा..' और 'सांवले सलोने आये दिन बहार के..' में आवाज थी लता मंगेशकर के साथ हेमंत दा की और एक गीत, जो खूब सुना गया और यह आज भी सुना जाता है 'चली गोरी पी से मिलन को चली..' को गाया था हेमंत दा ने।

फिर 1957 में आई सत्येन बोस की 'बंदी'। यह ऐसी फिल्म थी, जिसमें अशोक कुमार, किशोर कुमार और अनूप कुमार तीनों भाई ने पहली बार साथ काम किया था। इसमें बीना राय, नंदा, श्यामा, कम्मो, कन्हैयालाल आदि भी थे। इसमें राजेंद्र कृष्ण का लिखा गीत 'चुप हो जा अमीरों की ये सोने की घड़ी है..' और 'घर की रौनक है घरवाली..' के साथ प्रेम धवन का लिखा गीत 'ये मस्त नजर शोख अदा किसके लिए है..' को खूब पसंद किया गया। गीत 'चुप हो जा अमीरों..' को गाया था किशोर कुमार ने। 'घर की रौनक है घरवाली..' में आवाज किशोर कुमार के साथ गीता दत्त की थी और 'ये मस्त नजर शोख अदा..' को गाया था गीता दत्त के साथ हेमंत दा ने।

क्रमश:

इस अंक के सहयोगी : मुंबई से अजय ब्रह्मात्मज, अमित कर्ण, दुर्गेश सिंह, दिल्ली से रतन, स्मिता, पंजाब से वंदना वालिया बाली, पटना से संजीव कुमार आलोक

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