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जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में अर्जुन रामपाल और सोनू सूद ने खोले कुछ दिलचस्प राज़

सोनू कहते हैं कि पल्टन मिलने के बाद जब वो अपनी मां की दी हुई किताबें देख रहे थे तो उन्हें उसमें एक लाइन मिली और बाद में जेपी दत्ता से उन्होंने वो लाइन शेयर की जो...

By Hirendra JEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 11:17 AM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 11:17 AM (IST)
जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में अर्जुन रामपाल और सोनू सूद ने खोले कुछ दिलचस्प राज़
जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में अर्जुन रामपाल और सोनू सूद ने खोले कुछ दिलचस्प राज़

मुंबई। अभिनेता अर्जुन रामपाल इन दिनों अपनी आने वाली फ़िल्म 'पल्टन' के लिए चर्चा में हैं। जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी यह फ़िल्म 7 सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। बहरहाल, जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में पहुंचे अर्जुन रामपाल और सोनू सूद ने 'पल्टन' के बारे में ही नहीं अन्य पहलुओं पर भी काफी दिलचस्प बातें बतायीं।

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बता दें कि 'पल्टन' में इंडियन आर्मी का एक मजबूत पक्ष देखने को मिलेगा। भारत चीन युद्ध के दौरान के हालातों पर बनी इस फ़िल्म पर जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में जागरण डॉट कॉम के मनोरंजन संपादक पराग छापेकर से बात करते हुए अर्जुन रामपाल ने कहा कि उनके नाना ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह इंडियन आर्मी से जुड़े रहे हैं। अर्जुन ने बताया कि उनके नाना ने ही आज़ादी के बाद पहली बार फौज के लिए आर्टिलरी गन बनाया था। उनमें से एक गन का इस्तेमाल आज भी हो रहा है।

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अर्जुन रामपाल ने कहा कि भारत चीन 1962 वार की बात होती है, 1971 वार की भी बात होती है लेकिन, 1967 के उस कहानी का ज़िक्र नहीं होता जब हमने सिक्किम को चीन से लेकर भारत का हिस्सा बनाया। यह एक अहम पड़ाव है जो आज की पीढ़ी को मालूम होनी चाहिए जो इस फ़िल्म के जरिये दिखाया गया है। अर्जुन रामपाल ने यह भी बताया कि फ़िल्म के लिए ट्रेनिंग लेते समय उनके कांधे पर दो भारी बंदूक (वज़ूका) बांध दिया जाता था और वो उसे लादे दौड़ लगाया करते थे। कुल मिलाकर उनके लिए 'पल्टन' का अनुभव काफी समृद्ध करने वाला रहा।

सोनू सूद भी पल्टन में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। फ़िल्म से जुड़ी उन्होंने एक दिलचस्प बात यह भी बताई कि उनकी मां प्रोफेसर थीं और उनके पास ढेरों किताबें थीं। उनके निधन के बाद भी उन्होंने उनकी सारी किताबें संभाल कर रखी हैं। सोनू के मुताबिक जब भी वो कोई फ़िल्म करते हैं तो अपनी मां की बनाई लाइब्रेरी में रखी किताबों को देखते हैं। उनमें उन्हें कुछ न कुछ ऐसा मिल जाता है जो उनके किरदार के लिए भी अहम होता है।

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सोनू आगे कहते हैं कि 'पल्टन' मिलने के बाद जब वो अपनी मां की दी हुई किताबें देख रहे थे तो उन्हें उसमें एक लाइन मिली और बाद में जेपी दत्ता से उन्होंने वो लाइन शेयर की जो इस फ़िल्म का हिस्सा भी बना। सोनू के मुताबिक वो लाइन थी- 'एक आम ज़िंदगी में बेटा अपने बाप को अग्नि देता है तो वहीं फौज की ज़िंदगी में एक बाप अपने बेटे को अग्नि देता है'। दर्शकों ने भी इस पूरी बातचीत का पूरे मन और उत्साह से आनंद उठाया।


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