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खुद को आजमा रहा हूं: अर्जुन कपूर

विवाधपूर्ण किरदार निभाने की चाहत में किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं अर्जुन कपूर। अपनी अगली फिल्म में वह नजर आएंगे अपनी स्मार्ट इमेज से बिल्कुल अलग अंदाज में कॅरियर के शुरुआती दौर में ही अर्जुन कपूर ने निभाए हैं विविधतापूर्ण किरदार। उनके लिए अपनी स्मार्ट इमेज से ज्यादा म

By Edited By: Published: Thu, 11 Sep 2014 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 11 Sep 2014 09:59 AM (IST)
खुद को आजमा रहा हूं: अर्जुन कपूर

मुंबई। विवाधपूर्ण किरदार निभाने की चाहत में किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं अर्जुन कपूर। अपनी अगली फिल्म में वह नजर आएंगे अपनी स्मार्ट इमेज से बिल्कुल अलग अंदाज में

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कॅरियर के शुरुआती दौर में ही अर्जुन कपूर ने निभाए हैं विविधतापूर्ण किरदार। उनके लिए अपनी स्मार्ट इमेज से ज्यादा मायने रखता है किरदार। अपनी फिल्म 'फाइंडिंग फैनी' में वह निभा रहे हैं स्थूल काया वाले शख्स सैवियो का किरदार। सैवियो नकारात्मक सोच का इंसान है।

अर्जुन कहते हैं, 'मैं सैवियो जैसा नहीं हूं, पर यह किरदार निभा रहा हूं, क्योंकि मैं अपने कंफर्ट जोन से लगातार बाहर काम करते रहना चाहता हूं। लोगों को मैं परमा और बाला के अवतार में पसंद आ चुका था। फिर मैंने उनसे बिल्कुल अलग कृष मल्होत्रा की भूमिका स्वीकार की। अब मैं सैवियो की भूमिका में नजर आऊंगा। इसके बाद 'तेवर' में लोग मुझे कबड्डी खिलाड़ी के रूप में देखेंगे, जो मथुरा और आगरा का रहने वाला है। यानी अभी हर किस्म की फिल्में कर मैं खुद को आजमा रहा हूं कि लोग मुझे किस अवतार में देखना पसंद करेंगे। जब एक दशक बीत जाएगा, तब मैं डिसाइड कर सकूंगा कि मुझे खास तरह की इमेज वाली फिल्में करनी हैं। अभी तो पहले पांव जमा लूं।

होमी अदजानिया जैसे ही इस फिल्म का ऑफर लेकर मेरे पास आए, मैं झट मान गया। इसे स्वीकारने की एक और वजह यह भी थी कि मुझे पंकज कपूर, डिंपल कपाड़िया और नसीर सर जैसे दिग्गजों के संग काम करने का मौका मिला। वैसी शख्सियतों के संग काम करने का एक लाभ यह होता है कि आप खुद में आमूल-चूल परिवर्तन लाते हैं। काम को लेकर काफी सजग रहते हैं।

'फाइंडिंग फैनी' डेढ़ घंटे की पांच किरदारों की प्यारी जर्नी है। इसके बावजूद सैवियो के किरदार में फिट होने के लिए मुझे वजन बढ़ाना पड़ा। मुझे स्थूल काया अक्वायर करनी पड़ी। सैवियो एक ऐसा शख्स है, जिसे जिंदगी ने काफी गम दिए हैं, इसलिए वह चिड़चिड़ा किस्म का हो चुका है। वह हर गड़बड़ी के लिए कभी दुनिया को तो कभी दोस्तों को कसूरवार ठहराता रहता है। कभी खुद के भीतर झांक कर उसने नहीं देखा कि उसमें क्या कमी है? फिल्म शुरू होने के बाद धीरे-धीरे आप को पता लगने लगेगा कि सैवियो के चिड़चिड़ा होने की वजहें क्या है?

होमी ने इस किरदार को सजाने-संवारने में मेरी शख्सियत की ढेर सारी बातों का सहारा लिया है। मुझमें जो अतिसंवेदनशीलता है। मुझमें जो बेचैनी है या जिंदगी के जिन दौर से गुजरा हूं, होमी ने उसे बड़ी खूबसूरती से सैवियो के लिए इस्तेमाल किया है।

फिल्म 'रामलखन' का हिस्सा बनने की चर्चाओं पर अर्जुन कपूर कहते हैं, 'टीनएज में मैं 'राम लखन' कई बार देख चुका हूं। रोहित शेट्टी और सुभाष घई सर ने अगर उसकी रीमेक बनाने की सोची है तो कुछ बात तो होगी ही। रोहित शेट्टी कमाल के फिल्मकार हैं। वे ग्रैंड लेवल की फिल्में बनाते हैं, मगर इस बारे में मैं अभी बात नहीं करना चाहूंगा। यह इस पेशे के एथिक्स के खिलाफ होगा।'

(अमित कर्ण)

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