एक अभिनेता जो बूढ़ा ही पैदा हुआ, जानिये ए के हंगल का रोचक सफ़र
उनका निधन 26 अगस्त 2012 को हुआ लेकिन, आज भी वो अपने निभाए किरदारों से हम सबके बीच बने हुए हैं!
मुंबई। चरित्र अभिनेता के रूप में सर्वाधिक चर्चा पाने वाले कलाकार थे ए के हंगल। 26 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि होती है। उन्होंने अपने पूरे फिल्मी करियर में वैसे तो लगभग सवा दो सौ फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से कुछ भूमिकाएं तो पूरी फिल्म में छाई हुई थीं, लेकिन फिल्म शोले में निभाई उनकी नेत्रहीन इमाम साहब की छोटी भूमिका ने लोगों में उनकी बहुत बड़ी पहचान बनाई।
पंजाब राज्य के सियालकोट में जन्में बॉलीवुड अभिनेता का नाम पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। एके हंगल ने सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1930-47 के बीच स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने देश को आजाद कराने में विशेष भूमिका निभाई। जिसके लिए इन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। अपने अभिनय के दम पर एक गहरी छाप छोड़ने वाले एके हंगल ने 1966 में हिंदी सिनेमा की दुनिया में पूरी तरह से कदम रखा। इस समय इनकी उम्र 50 से अधिक थी। इसके पहले वह नाटक सस्थाओं से जुड़े थे। इस उम्र में फिल्म 'तीसरी कसम' से डेब्यू करने की वजह से ही उनके बारे में कहा जाता है कि एक एक्टर जो बूढ़ा ही पैदा हुआ।
शोले के अलावा तमाम ऐसी फिल्में हैं, जिनमें ए के हंगल ने कमाल का या यह कहें कि यादगार अभिनय किया। उनकी शौकीन की भूमिका, जो रंगीन तबीयत के उम्रदराज इंदर सेन की थी, जिसे फिल्म में उसके दोस्त बने अशोक कुमार और उत्पल दत्त एंडरसन कहते हैं, को भला कौन भुला सकता है? इसमें तीनों एक युवा लड़की से दिल लगा बैठते हैं। फिर चितचोर के पितांबर चौधरी, खलनायक के शौकत भाई, मेरी जंग के वकील गुप्ता, राम तेरी गंगा मैली के बृजकिशोर, कमला के काका साब, अवतार के रशीद अहमद, खुद्दार के रहीम चाचा, नरम गरम के मास्टरजी, हम पांच के पंडित, जुदाई के नारायण सिंह, सत्यम शिवम सुंदरम के बंसी चाचा, बिदाई के रामशरण, कोरा कागज के प्रिंसिपल गुप्ता, मेरे अपने और जवानी दीवानी के प्रिंसिपल, नमक हराम के बिपिन लाल पांडे, अभिमान के सदानंद, हीरा पन्ना के दीवान करण सिंह, बावर्ची के रामनाथ शर्मा, गुड्डी में गुड्डी के पिता की भूमिका को लोग कैसे भुला सकते हैं?
इतने बड़े कालाकार होने के बाद एके हंगल को मुफलिसी का जीवन जीना पड़ा। पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय पर आश्रित थ्ो। ऐसे में 2011 में अचानक से उनके आजीविका के लिए संघर्ष करने की स्थिति सबके सामने आई। जिसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर जैसे फिल्म उद्योग के बड़े चेहरे उनकी मदद को आगे आए थे।
हंगल साहब का अभिनय सफर फिल्म हमसे है जहां (2008) तक जरूर चला, लेकिन उन्होंने फिल्मों में नियमित रूप से काम करना 2000 में ही बंद कर दिया था। इस बीच उनकी लगान, हरिओम, पहेली आदि फिल्में आई। फिर वे अधिक बीमार रहने लगे। वे लंबे समय से फेफड़े में सूजन की समस्या से पीडि़त थे। अधिक उम्र होने की वजह से उन्हें दूसरी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी थीं। अपने अंतिम दिनों में वे किसी व्यक्ति का साथ पाने के लिए लालायित रहते थे। उनका निधन 26 अगस्त 2012 को हुआ लेकिन, आज भी वो अपने निभाए किरदारों से हम सबके बीच बने हुए हैं!