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10th Jagran Film Festival: सिनेमा के जरिए सिस्टम से सवाल पूछना चुनौतीपूर्ण नहीं - किरीट खुराना

10th Jagran Film Festival जेएफएफ के तीसरे दिन फिल्म टी फॉर ताजमहल का हुआ इंडिया प्रीमियर।

By Rahul soniEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 07:58 PM (IST)
10th Jagran Film Festival: सिनेमा के जरिए सिस्टम से सवाल पूछना चुनौतीपूर्ण नहीं - किरीट खुराना
10th Jagran Film Festival: सिनेमा के जरिए सिस्टम से सवाल पूछना चुनौतीपूर्ण नहीं - किरीट खुराना

हंस राज, नई दिल्ली। 10वां जागरण फिल्म फेस्टिवल नई दिल्ली में चल रहा है। हर दिन फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ इंटरेक्टिव सेशन हो रहे हैं जिसमें बढ़ चढ़कर दर्शक हिस्सा ले रहे हैं। तीसरे दिन फिल्म टी फॉर ताजमहल की स्क्रीनिंग हुई। मोहब्बत का शहर आगरा। दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल की भव्यता देश-दुनिया के लोगों को खींच लाती है। उसी शहर से महज 60 किलोमीटर दूर का गांव बज्जर, जहां के स्कूल की बदहाल स्थिति पर बनी फिल्म ‘टी फॉर ताजमहल’ दर्शकों के सामने देश के शिक्षा व्यवस्था की तस्वीरें उकेरती है।

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ऑडिटोरियम तीन में प्रदर्शित फिल्म की सधी हुई कहानी जहां दर्शकों को एक पल के लिए भी स्क्रीन से नजरें हटाने का मौका नहीं दे रही थी वहीं, बाल कलाकारों से लेकर स्थापित अभिनेताओं का अभिनय भी भरपूर सराहना बटोर रहा था। ईट एंड टीच के कांसेप्ट पर बनी पौने दो घंटे की फिल्म निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए सिस्टम से कई सवाल पूछ रही थीं। वहीं फिल्म समाप्ति के बाद दर्शकों को भी अपने सवालों के जवाब निर्देशक किरीट खुराना से मिले। देश में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती फिल्म के निर्माण और चुनौतियों से जुड़े एक सवाल के जवाब में निर्देशक किरीट खुराना ने कहा कि अगर फिल्म निर्माण से जुड़े लोग देश की समस्याएं पर ईमानदारी से फिल्म बनाए तो फिल्म बनाना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा। इस तरह की फिल्म बनाने के लिए कहानी और लोकेशन पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ती है। टी फॉर ताजमहल का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने इस फिल्म के लिए करीब छह महीने तक उत्तर भारत के 70 गांव का भ्रमण किया और स्क्रिप्ट के लिए उपयुक्त लोकेशन तलाश किया। इसके अलावा किरदारों की तलाश में गांव के ही 150 बच्चों को डेढ़ महीने तक प्रशिक्षण देकर फिल्म के लिए तैयार किया।‘

किरीट खुराना ने आगे कहा कि ‘जागरण फिल्म फेस्टिवल में जो भी फिल्में आती हैं उन्हें देश-दुनिया के दर्शक मिल जाते हैं। फिल्म फेस्टिवल के घुमंतू प्रवृत्ति ही इसे दूसरों से अलग बनाती है क्योंकि यहां दिखाई जाने वाली फिल्में मुंबई, दिल्ली और कोलकाता सरीखे मेट्रो सिटी में ही नहीं बल्कि कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, जमशेदपुर और आगरा जैसे शहरों तक भी आसानी से पहुंच जाती है।‘

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