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आनंद शर्मा का बड़ा बयान, बंगाल चुनाव में पीरजादा की पार्टी से गठबंधन पर अपनी ही पार्टी पर उठाए सवाल

उन्‍होंने कहा कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 09:48 PM (IST)
आनंद शर्मा का बड़ा बयान, बंगाल चुनाव में पीरजादा की पार्टी से गठबंधन पर अपनी ही पार्टी पर उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी के गठबंधन पर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बीच ही कांग्रेस का अंदरूनी घमासान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी के असंतुष्ट गुट ने बंगाल चुनाव में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर सवाल उठाते हुए अब पार्टी हाईकमान को धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर घेरा है। असंतुष्ट नेताओं में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आइएसएफ के साथ गठबंधन को गांधी-नेहरू की विचाराधारा के खिलाफ बताया है। उन्होंने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि चुनिंदा रुख अपनाकर कांग्रेस सांप्रदायिकता का मुकाबला नहीं कर सकती।

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नेतृत्व के फैसले पर गंभीर सवाल खड़ा किया

जाहिर है कि असम में कट्टरपंथी एआइयूडीएफ के साथ कांग्रेस का समझौता भी निशाने पर आ गया है। यानी अब तक भाजपा जिस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती थी, अब पार्टी के अंदर से भी वही सवाल उठ खड़ा हुआ है। बंगाल में अल्पसंख्यक वर्ग की राजनीति करने वाले आइएसएफ के साथ गठबंधन पर खुली आपत्ति उठा कर असंतुष्ट गुट ने सीधे तौर पर नेतृत्व के फैसले पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस कार्यसमिति में इस तरह का गठबंधन करने से पहले चर्चा नहीं किए जाने पर भी नेतृत्व को घेरा।

आनंद शर्मा ने आइएसएफ से बंगाल में गठबंधन को गांधी-नेहरू की विचारधारा के खिलाफ बताया

पांच राज्यों के चुनाव अभियान के दौरान असंतुष्ट नेताओं का यह रुख कांग्रेस की मुसीबतें और बढ़ाएगा ही। साथ ही भाजपा को गांधी परिवार के नेतृत्व पर हमले के लिए अस्त्र-शस्त्र मुहैया कराएगा। आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, आइएसएफ और ऐसे अन्य दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचाराधारा-गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्यसमिति में चर्चा होनी चाहिए थी।सांप्रदायिकता के खिलाफ पार्टी नेतृत्व के नजरिये के विरोधाभासी रुख पर भी आनंद शर्मा ने सवाल उठाया।

उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस चयनात्मक रवैया नहीं अपना सकती है। पार्टी को सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। आइएसएफ के साथ गठबंधन की खुली पैरोकारी करने के लिए बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी शर्मा ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आइएसएफ से गठबंधन के मौके पर अधीर की उपस्थिति और उनका समर्थन करना शर्मनाक है। इस बारे में अधीर को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।

जम्मू में खुले मंच से पार्टी की मौजूदा हालत को लेकर नेतृत्व पर सीधे निशाना साधा

मालूम हो कि कांग्रेस की कमजोर होती राजनीतिक जमीन का सवाल उठाते हुए 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह ने पिछले हफ्ते जम्मू में पहली बार खुले मंच से पार्टी की मौजूदा हालत को लेकर नेतृत्व पर सीधे निशाना साधा था। इसके बाद असंतुष्ट खेमे की ओर से किसी न किसी बहाने कांग्रेस संगठन की मौजूदा रीति-नीति के संचालन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा असंतुष्ट खेमे के दूसरे सबसे अहम नेता हैं और खास बात यह है कि अपने राजनीतिक करियर के दौरान शर्मा की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती रही थी।

आइएसएफ से सीटों के बंटवारे पर सीधे तौर पर नहीं हुई है कोई बातचीत : अधीर

इसका जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्‍यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि हम राज्य के प्रभारी हैं। बिना किसी भी अनुमति के अपने दम पर कोई फैसला नहीं लेते हैं। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आइएसएफ के साथ सीटों के बंटवारे पर अब तक उनकी पार्टी की सीधे तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, हमारे एक नेता ने आइएसएफ से बातचीत की है। वामदलों के साथ हमारी बातचीत चल रही है। हम उसके साथ सीटों के बंटवारे के मामले को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं। कांग्रेस किसी की धमकियों के आधार पर फैसले नहीं लेगी। वामदलों के साथ हमारा औपचारिक गठबंधन है। पहले हमें वामदलों के साथ सीट बंटवारे की तस्वीर स्पष्ट करने दीजिए। उधर, अब्बास मालदा और मुर्शिदाबाद में कांग्रेस की सीटें चाहते हैं, जबकि अधीर रंजन ने साफ कर दिया है कि वह मुर्शिदाबाद में आइएफएस को एक भी सीट नहीं देंगे।


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