विधानसभा चुनाव 2017: इन छह सीटों पर आसान नहीं भाजपा की राह
भाजपा ग्रामीण इलाकों में अच्छा प्रदर्शन पिछले चुनाव में नहीं कर पाई। अब देखना यह है कि भाजपा इस चुनाव में दूसरी पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाकर कितना कामयाब हो पाती है।
जागरण संवाददाता, बरेली। भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद अब पूरी तरह चुनावी बिसात बिछ गई है। दंगल में उतरे खिलाड़ियों ने बैटिंग शुरू कर दी लेकिन इस बार ट्रॉफी तक पहुंचना आसान नहीं होगा। इस राह में कई रोड़े हैं, जिन्हें पार करना आसान नहीं होगा।
भाजपा ने पांच सीटों से हारे हुए खिलाड़ी उतारे हैं। इसमें से मीरगंज, बहेड़ी व भोजीपुरा में मुस्लिम वोटर अधिक हैं। यह वोट सपा व बसपा अपना मानती है। इसी तरह नवाबगंज में कुर्मी वोटर सर्वाधिक हैं लेकिन यहां से तीनों प्रमुख पार्टियों के खिलाड़ी इसी बिरादरी से हैं। ऐसे में वोटों का जमकर बंटवारा होगा। यहां भी मुस्लिम मतदाता ही जीत का आधार बनेगा। कारण, वह दूसरे नंबर पर आते हैं। फरीदपुर में यादव वोटरों की संख्या अधिक है। इन्हें सपा अपना बेस वोट मानती है। ऐसे में भाजपा यहां से अन्य वोटों को बटोरने की तैयारी में है। बिथरी चैनपुर में भी मुस्लिम वोटर अधिक हैं। ऐसे में अधिकांश सीटों पर भाजपा के बेस वोट कम दिखते हैं। यही कारण था कि भाजपा ग्रामीण इलाकों में अच्छा प्रदर्शन पिछले चुनाव में नहीं कर पाई। अब देखना यह है कि भाजपा इस चुनाव में दूसरी पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाकर कितना कामयाब हो पाती है।
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भोजीपुरा का हाल
यहां से 1.15 लाख से अधिक वोटर मुस्लिम हैं। दूसरे नंबर पर 55 हजार से अधिक कुर्मी हैं। मौर्य 26 हजार, कश्यप 18 हजार, साहू व राठौर 12 हजार, सवर्ण 22 हजार, यादव दस हजार, प्रजापति आठ हजार से अधिक हैं। मौर्य वोटरों पर अच्छी पकड़ रखने वाले पूर्व प्रत्याशी बहोरन लाल मौर्य को यहां से मैदान में उतारा है। लेकिन मुस्लिमों के पार्टी से दूर होने पर यहां दिक्कत हो सकती है। सपा से यहां शहजिल इस्लाम मैदान में हैं। वह दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने यहां जीत को सुलेमान बेग को उतारा है। यदि यहां से मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होता है तो भाजपा की राह आसान हो सकती है।
नवाबगंज का हाल
नवाबगंज में सर्वाधिक 80 हजार वोटर कुर्मी बिरादरी से हैं। दूसरे नंबर पर लगभग 70 हजार मुस्लिम माने जा रहे हैं। जाटव 21 हजार, कश्यप 18 हजार, मौर्य 14 हजार, धोबी समाज 11 हजार, यादव आठ हजार, राठौर, सात हजार, किसान आठ हजार, बढ़ई, प्रजापति आठ हजार व सवर्ण लगभग सात हजार हैं। कुर्मी वोटर यहां जीत का आधार बनते हैं। उन पर अब तक सपा विधायक भगवत सरन गंगवार की पकड़ थी लेकिन भाजपा ने उनकी काट को यहां से कुर्मी प्रत्याशी केसर सिंह को मैदान में उतारा है। इसी तरह बसपा ने वीरेंद्र सिंह पर दांव खेला है। वह भी कुर्मी हैं। ऐसे में एक ही बिरादरी के वोटों का बंटवारा होगा। यदि भाजपा यहां मुस्लिम व ओबीसी के वोटरों को अपने पाले में लाने में सफल रहती है तो ताज तक पहुंचना आसान हो सकता है लेकिन ओबीसी वोटर को सपा अपना मानती है। बसपा के बेस वोट यहां 30 हजार से अधिक हैं। ऐसे में यह वोट एक तरफा हुए तो अन्य प्रत्याशियों पसीने छूट सकते हैं।
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बहेड़ी का हाल
यहां सर्वाधिक वोटर मुस्लिम हैं। उनकी संख्या सवा लाख के आसपास है। कुर्मी वोटर दूसरे स्थान पर 70 हजार के करीब हैं। कश्यप 30 हजार, मौर्य 20 हजार, जाटव 30 हजार, सवर्ण 20 हजार, यादव तीन हजार वोटर हैं। यहां से भाजपा ने पूर्व विधायक छत्रपाल गंगवार पर दांव खेला है जो पिछले चुनाव में सपा के प्रत्याशी अताउर्रहमान से 18 वोट से हारे थे। बसपा से यहां नसीम अहमद मैदान में हैं। ऐसे में दो मुस्लिम प्रत्याशी होने से यदि मुस्लिम वोट बंटते हैं तो भाजपा को फायदा हो सकता है लेकिन यहां बसपा का बेस वोट 30 हजार व सपा का ओबीसी वोट अधिक है। ऐसे में भाजपा को पसीना छूट सकता है।
मीरगंज का हाल
मीरगंज में भी एक लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं जो किसी भी प्रत्याशी की तकदीर लिखने के लिए काफी हैं। दूसरे नंबर पर लोधी राजपूत 50 हजार, कुर्मी 42 हजार, मौर्य 15 हजार, सवर्ण 30 हजार, यादव चार हजार, जाटव 26 हजार व कश्यप 15 हजार के करीब हैं। अन्य बिरादरी भी यहां हैं। यहां से भाजपा ने फिर डॉ. डीसी वर्मा पर दांव खेला है। भाजपा का यहां बेस वोट अधिक नहीं माना जा रहा है लेकिन बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाई गई तो लाभ मिल सकता है। साथ ही ओबीसी वर्ग पर पकड़ होना भी जरूरी होगा। यहां से सपा के शराफत यार खां व बसपा से सुल्तान बेग मैदान में हैं। दोनों खिलाड़ी जमे हुए हैं।
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बिथरी चैनपुर का हाल
बिथरी चैनपुर में भी मुस्लिम वोटरों की संख्या 85 हजार से अधिक है। कश्यप, मौर्या व लोधी बिरादरी के वोटों की संख्या 90 हजार के पार है। सवर्ण वोटों की संख्या यहां दस हजार के पार है। भाजपा ने यहां से राजेश मिश्र उर्फ पप्पू को मैदान में उतारा है। यहां बसपा के विधायक वीरेंद्र सिंह पुराने खिलाड़ी हैं। ऐसे में उनका किला ढहाना आसान नहीं। कारण, यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से उनके कब्जे में लंबे समय से है लेकिन यदि भाजपा यहां से ओबीसी वोट पाने में सफल होती है तो ऊपर के पायदान की तरफ जा सकती है लेकिन यहां सपा से प्रत्याशी वीरपाल सिंह यादव हैं जिनकी अलग पकड़ है।
फरीदपुर का हाल
फरीदपुर सुरक्षित सीट है। यहां अनुसूचित जाति व जनजाति के वोटरों की संख्या कुल वोटरों की संख्या में से 40 फीसद है। इसके बाद मुस्लिम व यादव वोटर हैं। इसी तरह अन्य बिरादरी के वोट भी यहां से हैं। भाजपा ने यहां से डा. श्याम बिहारी लाल को दोबारा मैदान में उतारा है। हालांकि उनकी बिरादरी के वोट कम हैं लेकिन इस बार भाजपा की धम्म यात्र के जरिए एससी व एसटी वोटों को अपनी ओर खींचने के पूरे प्रयास हुए हैं। यदि यात्र का असर हुआ तो भाजपा की राह आसान हो सकती है लेकिन यहां से सपा के विधायक सियाराम सागर की वोटरों में पकड़ है। इसी तरह बसपा से विजय पाल सिंह भी पीछे नहीं हैं। मुस्लिम और एससी वोटर यहां जीत का आधार बनेंगे।