Loksabha Election 2019 : सोनांचल में लाल टमाटर किसानों को कर रहे लाल-पीला
सोनांचल का वह टमाटर जो कभी बांग्लादेश से लेकर नेपाल तक की मंडियों में पहुंचकर शोभा बढ़ाता था विदेशियों की थाली में सलाद का रूप लेकर उनके जायके को मजेदार बनाता था।
सोनभद्र [आनंद चतुर्वेदी]। सोनांचल का वह टमाटर जो कभी बांग्लादेश से लेकर नेपाल तक की मंडियों में पहुंचकर शोभा बढ़ाता था, विदेशियों की थाली में सलाद का रूप लेकर उनके जायके को मजेदार बनाता था। वह अब संसाधन के साथ ही खराब बाजार व्यवस्था का दंश झेल रहा है। इससे जुड़े हजारों किसान ऊपज बेचकर लागत निकालने के लिए दर-दर भटकते हैं। ऐसे में जरूरत है कि इस टमाटर की खेती को चुनावी मुद्दा बनाया जाए। इससे जुड़े उद्योग स्थापित कराकर हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ा जाए।
करीब दो लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि वाले जनपद की प्रमुख फसल वैसे तो धान, गेहूं और मोटा अनाज है, लेकिन बीते एक दशक से बाहरी व्यापारियों की चहलकदमी ने कैश क्रॉप वाली खेती को भी बढ़ावा दे दिया। यहां हजारों हेक्टेयर में मिर्च और टमाटर की खेती होने लगी। इसका इतना क्रेज बढ़ा कि धान और गेहूं की खेती छोड़ किसान टमाटर और मिर्च की खेती की ओर बढऩे लगे। इससे उन्हें बगैर इंतजार किए अच्छा मुनाफा भी प्राप्त होने लगा, लेकिन बीते कुछ सालों में न तो बाहर से व्यापारी ही आए और न ही उन्हें वाजिब मूल्य ही मिला। सही बाजार और संसाधन की उपलब्धता न होने के कारण किसानों की ऊपज औने-पौने दामों पर बिकने लगी। इसको लेकर किसान ङ्क्षचतित हैं। इस बार चुनाव में इसे मुद्दा बनाने की आवाज उठा रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर सही बाजार और संसाधन मिले तो हमारा टमाटर एक बार फिर से चमक उठेगा।
उद्योग स्थापित होने से मिल सकता है बढ़ावा : जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान मानते हैं कि केवल टमाटर की तोड़ाई कराकर बाहर भेजने से उतना लाभ नहीं होगा। अत्यधिक लाभ के लिए जिले में टमाटर से जुड़े उद्योग स्थापित कराने की जरूरत है। अगर यहां इससे टमाटर का सॉस बनाने का काम शुरू हो जाए तो एक तो जिले में उद्योग बढ़ेगा, रोजगार मिलेगा और टमाटर की पूछ भी शुरू हो जाएगी। बाकी अगर वाराणसी और इलाहाबाद जैसे शहरों के लिए जाने का आसान रास्ता बने तो भी बात बन सकती है। इसके साथ ही कोल्ड स्टोरेज का भी इंतजाम कराने की जरूरत है।
किसानों का होता है भारी नुकसान : टमाटर की खेती के लिए प्रसिद्ध करमा क्षेत्र के किसानों के लिए ठंड का दिन कई बार बेहद कष्टकारी साबित होता है। यहां के किसानों की मुख्य फसल टमाटर है। इस क्षेत्र में हजारों एकड़ टमाटर की खेती होती हैं। जुड़वरिया के किसान अंगद पटेल ने बताया कि उन्होंने 12 बीघा टमाटर की खेती किया था। इस बार उन्हें लागत भी नहीं मिली। इसी तरह धौरहरा के रामबली, किशनदेव पटेल, पीपरा के महेंद्र पटेल, समेत अन्य किसानों ने भी फसल नुकसान होने की बात कही।
टमाटर की खेती को मिलेगा और बढ़ावा : टमाटर की खेती को बढ़ावा देने व उससे जुड़े किसानों को लाभ देने के लिए लगातार पहल हो रही है। यहां टमाटर का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे में इससे जुड़े उद्योग को लगाने के लिए पत्राचार किया गया है। जल्द ही सार्थक परिणाम सामने आएगा। इसके साथ ही टमाटर के निर्यात की भी व्यवस्था होगी। -पीयूष राय, जिला कृषि अधिकारी।