लोकसभा चुनाव 2019 : पूर्वांचल के शिक्षा मंदिरों से निकले राजनीति के चमकते सितारे
शिक्षण संस्थानों को राजनीति की नर्सरी के रूप में जाना जाता रहा है विवि और कालेज की छात्र राजनीति करने वालों को लोगों ने जनप्रतिनिधि के रूप में भी स्वीकारा।
वाराणसी [अशोक सिंह]। शिक्षण संस्थानों को राजनीति की नर्सरी के रूप में जाना जाता रहा है। विश्वविद्यालय और कालेज की छात्र राजनीति करने वालों को लोगों ने जनप्रतिनिधि के रूप में भी स्वीकारा। इसमें तो कई अपनी नेतृत्व क्षमता की वजह से प्रदेश ही नहीं केंद्र सरकार में विभिन्न पदों को सुशोभित करते रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर पूर्वांचल की धरती पर स्थित कालेजों से ही मुखर हुए। जौनपुर स्थित टीडी कालेज व आजमगढ़ के शिब्ली कालेज आदि से निकले छात्रों ने अपनी पहचान बनाई।
पूर्वांचल की धरती छात्र राजनीति के लिए काफी उर्वर रही है। कई नेता देश और प्रदेश में अपना झंडा गाड़ चुके हैं। इसमें कई तो ऐसे भी हैं जो छात्र जीवन में ही पार्टियों के पदाधिकारी बन गए। छात्रसंघ में निर्वाचित होने के बाद फिर रुके नहीं। आजमगढ़ के छात्रनेता डा. संतोष सिंह ने तो 1984 में पूर्व मुख्यमंत्री रामनेरश यादव को हरा दिया। मऊ की धरती ने कई नेता तो दिया लेकिन उनकी शिक्षा-दीक्षा जनपद से बाहर हुई। किसी छात्र का सांसद, विधायक व मंत्री बनना न केवल कालेज बल्कि जिले के लिए गौरव का विषय है। इसी कारण जब भी जनप्रतिनिधियों का नाम व शिक्षा का जिक्र आता है तो कालेजों को भी याद किया जाता है।
मीरजापुर : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का जन्म वाराणसी (अब चंदौली) के एक छोटे से ग्राम भाभोरा में हुआ। राजनाथ ने वर्ष 1969 में केबीपीजी कालेज से बीएससी, 1971 में गोरखपुर से एमएससी किया। उसके बाद केबी कालेज में अध्यापन कार्य शुरू किया। लगभग 28 वर्ष कालेज में सेवा के दौरान एमएलसी बने। इसके बाद जेपी आंदोलन के बाद विधायक बने। 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शासन में कृषि मंत्री रहे। राजनाथ सिंह यहीं नहीं रुके और 2005 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित सरकार में 26 मई, 2014 को केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली।
जौनपुर : छात्र राजनीति के लिए जौनपुर भी काफी मुफीद रहा है। टीडी कालेज से निकलने वाले कई छात्रनेता विधायक, सांसद व मंत्री बने। इसमें से भी कुछ ने जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाई। इसमें टीडी कालेज की छात्र राजनीति से निकल कर सांसद के रूप में अर्जुन सिंह यादव, विद्यासागर सोनकर, धनंजय सिंह और केपी सिंह (वर्तमान) ने संसद में स्थान बनाया। इसी प्रकार शचींद्र त्रिपाठी, सुरेंद्र सिंह, तेज बहादुर सिंह, लालता यादव विधायक बने। वहीं वर्तमान में नगर विकास राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव भी छात्र राजनीति की पौध रहे। राज कालेज से निकले जगदीश नारायण राय तीन बार विधायक व बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। पूर्व राज्यमंत्री शैलेंद्र यादव ललई भी गन्ना कृषक महाविद्यालय शाहगंज के छात्र रहते हुए छात्र राजनीति में सक्रिय रहे।
बलिया : इस जनपद में सतीश चंद्र डिग्री कालेज ने तो प्रधानमंत्री के रूप में चंद्रशेखर को दिया जो यहां छात्रों के मुद्दे पर ऐसे मुखर हुए कि राजनीति में एक मुकाम हासिल किया। यहीं से निकले आनंद स्वरूप शुक्ला वर्तमान में भाजपा से सदर विधायक हैं। पूर्व मंत्री राम गोविंद चाौधरी, गौरी भइया, नारद राय, घूरा राम जिले के मुरली मनोहर टाउन डिग्री कालेज के छात्र रहे।
चंदौली : गृहमंत्री राजनाथ सिंह भले ही उच्च शिक्षा मीरजापुर से प्राप्त कर राजनीति में आए लेकिन अपनी शिक्षा आदित्य नारायण राजकीय इंटर कालेज चकिया से शुरू की। जनपद में इसके अलावा धीना के अलमखातोपुर निवासी स्व. रामजन्म सिंह शहीद गांव स्थित अमर शहीद विद्या मंदिर इंटर कालेज से निकलकर धानापुर से 1980 व 1985 में कांग्रेस के विधायक रहे। एलबीएस डिग्री कालेज के छात्र रहे रामकिशुन यादव सांसद और विधायक चुने गए। वाल्मीकि इंटर कालेज बलुआ व सकलडीहा पीजी कालेज से निकले प्रभुनारायण सिंह सपा विधायक बने।
आजमगढ़ : एमएलसी यशवंत सिंह ने वर्ष 1975 में वेस्ली इंटर कालेज से छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति की शुरुआत की। छात्र रहते 1977 में इमरजेंसी के समय जेल गए। 1989 व 1996 में विधायक हुए। प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने 1985 में दयानंद महाविद्यालय से छात्रसंघ चुनाव से ही राजनीति की शुरुआत की। 2005 में बसपा से राज्यसभा सदस्य, 2009 में घोसी से बसपा सांसद निर्वाचित हुए। दयानंद महाविद्यालय के छात्रसंघ उपाध्यक्ष डा. संतोष सिंह ने 1984 में कांग्रेस पार्टी से आजमगढ़ लोकसभा चुनाव लड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव को पराजित कर निर्वाचित हुए। तभी से वे कांग्रेस पार्टी के विभिन्न पदों पर बने हुए हैं। शिब्ली कालेज के अध्यक्ष रहे श्याम बहादुर यादव सपा के विधायक बने। यहीं से छात्रसंघ अध्यक्ष बने रामदर्शन यादव छात्र जीवन में ही सपा के प्रदेश महासचिव हुए। 1993 में मुबारकपुर क्षेत्र से विधानसभा पहुंचे। पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रजीत यादव ने 1942 में एसकेपी इंटर कालेज से छात्र जीवन काल में ही राजनीति की शुरुआत की। वह 1957, 62 में घोसी क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक बने। 1971 से 77 तक वे केंद्र सरकार में इस्पात खान मंत्री भी रहे। पूर्व मंत्री वसीम अहमद ने वर्ष 1976 से शिब्ली कालेज में छात्रसंघ चुनाव के समय ही राजनीति शुरू कर दी। चार बार सपा से गोपालपुर के विधायक और सपा सरकार में मंत्री रहे।
सोनभद्र : ओबरा पीजी कालेज की भूमि छात्र राजनीति के लिए काफी उर्वरा रही है। कालेज के छात्र कल्याण परिषद से निकले नरेंद्र कुशवाहा मीरजापुर के सांसद बने। श्री कुशवाहा ने छात्र राजनीति के दौरान कालेज के विकास के लिए मुहिम छेड़ी थी। राबट्र्सगंज सदर विधायक भूपेश चौबे भी ओबरा पीजी कालेज के चमकते सितारे हैं। महुली निवासी सीएम प्रसाद जीआइसी दुद्धी से निकलकर 2007 में विधायक बने। विधायक रमेश चंद्र दुबे सोनभद्र से ही सामाजिक जीवन में आ गए। पूर्व राज्यमंत्री सूबेदार प्रसाद ने प्रारंभिक शिक्षा सोनभद्र व मीरजापुर से पूरी करने के बाद काशी हिंदू विश्व विद्यालय से डबल एमए व एलएलबी किए।
गाजीपुर : पीजी कालेज गाजीपुर के छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष निर्वाचित होने वालीं संगीता बलवंत उसके बाद भाजपा से जुड़ीं और वर्तमान में गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं।
चंद्रशेखर |
प्रधानमंत्री |
राजनाथ सिंह | गृहमंत्री |
चंद्रजीत यादव | केंद्रीय मंत्री |
राम गोविंद चौधरी | पूर्व मंत्री |
दारा सिंह चौहान | मंत्री |
केपी सिंह- | सांसद |
विद्यासागर सोनकर | पूर्व सांसद |
डा. संतोष सिंह | पूर्व सांसद |