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यूपी इलेक्शन: लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले मोदी के मंत्री का साख दांव पर

वीके सिंह को 7 लाख 58 हजार 482 मत प्राप्त हुए थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजबब्बर को मात्र एक लाख 91 हजार 222 मत ही मिले थे।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 13 Jan 2017 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jan 2017 01:11 PM (IST)
यूपी इलेक्शन: लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले मोदी के मंत्री का साख दांव पर
यूपी इलेक्शन: लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले मोदी के मंत्री का साख दांव पर

गाजियाबाद (राज कौशिक)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हार-जीत चाहे जिस प्रत्याशी की हो, मगर अग्निपरीक्षा स्थानीय सांसद व विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह की होगी। लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद के इन्हीं मतदाताओं ने जनरल सिंह को रिकार्ड पांच लाख 67 हजार 260 मतों से जिताया था।

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अपने सांसद के रूप में वीके सिंह को लोगों ने कितना पसंद या नापसंद किया है, इस पर मतदाताओं का रुख काफी हद तक निर्भर करेगा। गाजियाबाद जिले के मतदाता करीब ढाई साल पहले तक किस हद तक भाजपा के रंग में रंगे थे, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सिने स्टार व कांग्रेस प्रत्याशी राजबब्बर तक की जमानत उन्होंने जब्त करा करा दी थी।

यह देश में भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। सबसे ज्यादा मतों के अंतर से बड़ोदरा से नरेंद्र मोदी जीते थे मगर वह सीट उन्होंने छोड़ दी थी, इसलिए लोकसभा में सर्वाधिक मतों से जीत का रिकार्ड वीके सिंह के नाम ही है।

वीके सिंह को 7 लाख 58 हजार 482 मत प्राप्त हुए थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजबब्बर को मात्र एक लाख 91 हजार 222 मत ही मिले थे। बसपा और सपा को मतदाताओं ने बुरी तरह नकार दिया था। बसपा के मुकुल उपाध्याय एक लाख 73 हजार 85 मत पाकर तीसरे और एसपी के सुधन रावत एक लाख 6 हजार 984 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे थे।

अरविंद केजरीवाल के शोर के बावजूद आप की उम्मीदवार शाजिया इल्मी को मात्र 89 हजार 147 मत मिले थे। कुल 13 लाख 42 हजार 471 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

खास बात ये है कि 2009 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह को गाजियाबाद से कुल 43.44 फीसद मत मिले थे और 2014 में वीके सिंह ने इससे भी ज्यादा 56 फीसद मत प्राप्त कर लिए थे। रिकार्ड मतों से जीत के बावजूद वीके सिंह का अपने संसदीय क्षेत्र में बहुत कम आना हमेशा चर्चा में रहा है।

वह राजनगर में दो कोठियां बदल चुके हैं मगर आम लोगों के लिए न के बराबर ही उपलब्ध रहे हैं। उनसे मिलने के लिए उनके क्षेत्र के लोग दिल्ली जाने के लिए ज्यादा मजबूर हैं।


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