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यूपी चुनाव 2017: रामलहर से बड़ी मोदी की आंधी

लोकसभा चुनाव में उठी मोदी लहर ने भाजपा के लिए नया कीर्तिमान लिख दिया और 2017 में भी उसी लहर ने भाजपा का 14 वर्षों का वनवास खत्म कर सूबे में सत्ता की वापसी कर दी ।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 12 Mar 2017 10:02 AM (IST)Updated: Sun, 12 Mar 2017 10:19 AM (IST)
यूपी चुनाव 2017: रामलहर से बड़ी मोदी की आंधी
यूपी चुनाव 2017: रामलहर से बड़ी मोदी की आंधी
लखनऊ [आनन्द राय)] राम लहर में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। उसके बाद वोट जरूर बढ़े थे लेकिन, पराभव का सिलसिला निरंतर जारी रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उठी मोदी लहर ने भाजपा के लिए नया कीर्तिमान लिख दिया और अब 2017 में भी उसी लहर ने भाजपा का 14 वर्षों का वनवास खत्म कर न केवल सूबे में सत्ता की वापसी कर दी बल्कि राम लहर से भी बड़ी एक लकीर खींच दी है।  
प्रदेश में 1991 के बाद भाजपा की सत्ता रोकने का काम समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने किया था। आंकड़े गवाह हैं कि सपा व बसपा मिलकर भी 1993 में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनने से रोक नहीं पाये थे। 1980 में स्थापना के बाद से 1993 तक भाजपा के वोट हर चुनाव में बढ़ते गये थे लेकिन, 1996 के चुनाव में मतों का ग्राफ गिरना शुरू हुआ तो 2012 तक यह सिलसिला रुक नहीं सका। देखा जाए तो 1996 में सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा ने जिस तरह दागियों, बाहुबलियों और दलबदलुओं से नाता तोड़ा उससे अलग छवि की पार्टी के वजूद पर ही सवाल खड़े हो गये। 
तभी से भाजपा के न केवल वोट कम होते गये बल्कि अपनी जमानत जब्त कराने वाले इनके उम्मीदवारों की संख्या भी बढ़ती गई। 2012 में एक उम्मीद बन रही थी लेकिन, ऐन चुनाव के पहले एनआरएचएम घोटाले के दागी बाबू सिंह कुशवाहा को भाजपा ने पार्टी में शामिल कराकर किरकिरी करा ली। फिर तो भाजपा 47 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। 
जीत का श्रेय मोदी को 
2017 में भाजपा को मिली ऐतिहासिक सफलता का सबसे बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को है। इसे भाजपा के शीर्ष नेता तो मान ही रहे हैं, आमजन की भी यही दलील है। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद मोदी ने सूबे की 22 रैलियों को संबोधित किया और तीन दिनों तक बनारस में प्रवास कर जनता दर्शन कार्यक्रम के जरिए लोगों के दिलों में उतर गये। मेरठ की रैली से शुरू हुआ सिलसिला काशी तक मतों की संख्या में इजाफा करता रहा। रैलियों में उमड़ी भीड़ वोट में बदलती रही और हर चरण में भाजपा की किस्मत के द्वार खुलते गये। मोदी का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला। भाजपा ने बसपा-सपा के 15 वर्षों की सरकार के कुशासन को मुद्दा बनाया था। इस कुशासन की खामियों को आमजन के दिमाग तक ले जाने का काम भी सबसे ज्यादा मोदी ने ही किया। इसके पहले भी मई 2016 में जब मोदी ने बलिया से उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया तब से लेकर चुनाव अधिसूचना तक उत्तर प्रदेश में उन्होंने दर्जन भर रैलियां की।
उम्मीदवार कोई, लड़े कार्यकर्ता 
भाजपा ने टिकट भले देर से बांटे लेकिन बूथ प्रबंधन पर विशेष जोर दिया। चक्रव्यूह का द्वार तोडऩे के लिए बूथ प्रबंधन का फार्मूला अमित शाह ने इजाद किया था। वन बूथ-टेन यूथ के नारे के साथ प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर और संगठन महामंत्री सुनील बंसल से लेकर सभी प्रमुख पदाधिकारियों ने बूथों की संरचना और क्षेत्रवार बूथ सम्मेलन किये। फिर परिवर्तन यात्रा, परिवर्तन रैली, महिला, युवा और पिछड़ा सम्मेलन के साथ ही विधानसभावार सम्मेलन ने गांव-शहर में भाजपा का माहौल बना दिया। उम्मीदवार कोई बना, चुनाव कार्यकर्ता लड़े। अमित शाह ने अपनी रैलियों और सभाओं में नव सृजित कार्यकर्ताओं को विशेष तरजीह दी।

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