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UP Election 2017: यूपी के परिणाम से मायावती के समीकरण को झटका

भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के साथ ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के समीकरण को भी तगड़ा झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी को 403 में से सिर्फ 19 सीट मिली हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 11 Mar 2017 07:42 PM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 07:46 PM (IST)
UP Election 2017: यूपी के परिणाम से मायावती के समीकरण को झटका
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा चुनाव के नतीजे में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के साथ ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के समीकरण को भी तगड़ा झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी को 403 में से सिर्फ 19 सीट मिली हैं। जनता ने भारतीय जनता पार्टी को 325 सीट के साथ प्रचंड बहुमत दिया है। सूबे की समाजवादी पार्टी को मात्र 54 सीटें मिली हैं।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन बहुजन समाज पार्टी का रहा। पार्टी को सिर्फ 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। पार्टी के इस प्रदर्शन से मुखिया मायावती के समीकरण को भी तगड़ा झटका लगा है। चुनाव की शुरुआत से ही बसपा सुप्रीमो मायावती बसपा के बहुमत में आने की बात कह रही थीं। कई राजनीतिक पंडितों का भी मानना था, बसपा अपने दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण समीकरण के सहारे सरकार बनाने की दावेदार है।
समीकरण के सहारे बनती थी सरकार
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2002 में सत्ता से बुरी तरह बाहर होने के बाद इसी समीकरण के सहारे सत्ता पायी थी। बात 2012 की करें तो बसपा को सपा के बहुमत के बावजूद करीब 80 सीटें मिली थीं। इसके साथ ही 2017 के चुनाव में बसपा सुप्रीमो का प्रदर्शन 2012 से भी खराब रहा। विधानसभा चुनाव में बसपा को मात्र 19 सीटें मिली हैं।
समीकरण में लगा गलत फार्मूला
बसपा इस विधानसभा चुनाव में 2007 के समीकरण के साथ जीत दर्ज करना चाहती थी, लेकिन लगता है बसपा के समीकरण में कहीं कोई फार्मूला गलत लग गया। जिसके बाद बहुमत का सपना मात्र 19 सीटों पर आकर सिमट गया। बसपा सुप्रीमो मायावती इस बार के चुनाव में 2007 की तर्ज पर दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण के समीकरण के साथ आई थीं, लेकिन यह समीकरण बुरी तरह फ्लॉप रहा।
बसपा ने यूपी चुनाव के लिए करीब 100 के आस-पास मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ऐसा किया था, लेकिन मायावती के इस पैंतरे को भी बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सभी सीटों पर समीकरणों को देखते हुए उनसे सम्बंधित नेताओं की जनसभाएं करायी थी। जिसका कुछ खास फायदा भी बसपा को नहीं हुआ।
बसपा को करने होंगे बदलाव
यूपी चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जिसका काफी हद तक श्रेय बसपा के पुराने हो चुके जातीय समीकरणों को भी जाता हैं। एक ओर जहाँ सभी दल मौजूदा समय में जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर बसपा की सक्रियता लगभग न के बराबर है।ï इसके साथ ही जनता से सीधे जुडऩे वाले संवाद भी बसपा के नेताओं के लिखे-लिखाये और रटे-रटाये होते हैं। यूपी चुनाव के परिणामों को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि, बसपा को अपनी चुनावी रणनीति के पुराने तरीकों को बदल लेना चाहिए।

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