इस अमेरिकी चुनाव में भारतीय-अमेरिकी महिलाओं ने छोड़ी छाप
क्लिंटन का चुनाव अभियान दो शीर्ष पदों पर बैठीं भारतीय मूल के अमेरिकी महिलाओं द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
वाशिंगटन, पीटीआई। भारतीय मूल के अमेरिकी महिला राजनेताओं ने इस बार चुनाव में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।एक प्रमुख राजनीतिक दल की पहली महिला उम्मीदवार बनने वाली हिलेरी क्लिंटन को उनके चुनाव अभियान में उनका साथ देने वाली भारतीय मूल की अमेरिकी महिला हो या फिर दो बार राजनीतिक सफलता हासिल करने वाली दक्षिण कैरोलिना के गवर्नर निक्की हेली, जिन्होंने पहली भारतीय-अमेरिकी महिला गवर्नर के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभाव बना दिया है।
भारतीय मूल की महिलाओं के हाथ में है चुनाव अभियान की कमान
क्लिंटन का चुनाव अभियान दो शीर्ष पदों पर बैठीं भारतीय मूल के अमेरिकी महिलाओं द्वारा आयोजित किया जा रहा है। पहली है नीरा टंडन जो अमेरिकी थिंक टैंक केंद्र के प्रमुख है। मिनी तिम्माराजू जिन्होंने कांग्रेसी अमी बेरा के स्टाफ के प्रमुख के रूप में सेवा की है, वो हिलेरी के लिए अमेरिका में महिलाओं की वोट निदेशक है। इसके अलावा माया हैरिस क्लिंटन अभियान के लिए प्रमुख नीतिगत सलाहकारों में से एक है। वहीं शेफाली राजदान दुग्गल क्लिंटन की राष्ट्रीय वित्तीय टीम की महत्वपूर्ण सदस्य हैं। वह डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय समिति के राष्ट्रीय वित्त समिति और डीएनसी महिला नेतृत्व मंच के लिए एक सह अध्यक्ष है।
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इतिहास बनाने की दिशा में हैं कमला हैरिस और प्रमिला जयापाल
इसके अलावा दो डेमोक्रेटिक नेताओं कमला हैरिस और प्रमिला जयापाल इस साल इतिहास बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।51 साल की कमला कैलिफोर्निया से पहले भारतीय अमेरिकी सीनेटर के रूप में निर्वाचित हुई हैं। जबकि प्रमिला वाशिंगटन के सभी राज्य से प्रतिनिधि तौर पर अमेरिकी सदन में प्रवेश करने के लिए रास्ते तय कर दिए गए है।
रिपब्लिकन पार्टी भी नहीं है पीछे
भारतीय-अमेरिकी महिलाओं में रिपब्लिकन पार्टी भी पीछे नहीं रही है। कैलिफोर्निया में हरमीत ढिल्लों रिपब्लिकन राष्ट्रीय समिति में राष्ट्रीय समिति से जुड़ी हुई हैं । वह कैलिफोर्निया से रिपब्लिकन पार्टी के इतिहास में पहली उपाध्यक्ष थी। इसके अलावा मैरी थॉमस, जो वर्तमान में फ्लोरिडा में बड़ी मामलों के विभाग में जनरल परामर्शदाता के रूप में कार्य करती है, जिन्होंने इस साल राज्य में रिपब्लिकन कांग्रेस की प्राथमिक को खो दिया है लेकिन थॉमस की आंख भविष्य के राजनीतिक पदों पर टिकी हुई हैं। इसी तरह 30 साल की केशा राम वरमोंट हाउस में एक युवा विधायिका प्रतिनिधि है।
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