राजस्थान में भाजपा के लिए गले की फांस बने मौजूदा विधायक और रिश्तेदार!
राजस्थान में वर्तमान विधायकों के टिकटों पर पार्टी नेतृत्व की रणनीति पर सीएम की अलग राय के चलते दावेदारों के पैनल पर फिर से विचार किया जा रहा है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में भाजपा ने 2013 में 200 में से 163 सीट जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था। अब 160 वर्तमान विधायक और नेताओं के रिश्तेदार पार्टी के गले की फांस बन गए हैं। सभी वर्तमान विधायक फिर टिकट चाहते हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व इनमें से 65 से 70 के टिकट काटना चाहता है। हालांकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अधिक विधायकों के टिकट काटने के पक्ष में नहीं है।
सीएम चाहती हैं कि अधिकांश वर्तमान विधायकों को फिर से चुनाव लड़ने का मौका मिले और यदि किसी का टिकट काटा भी जाता है तो उसके रिश्तेदार को प्रत्याशी बनाया जाए। पार्टी नेतृत्व रिश्तेदारों को भी टिकट देने के पक्ष में नहीं है।
उधर, रविवार को सीएम खेमे के नेताओं ने अलग-अलग बैठक कर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की रणनीति बनाई। संघ के निकट माने जाने वाले सीएम के खास नेता आरएसएस पदाधिकारियों से भी मिले हैं। रविवार को सीएम समर्थक नेता दिल्ली में सक्रिय रहे।
पार्टी नेतृत्व और सीएम की राय अलग-अलग
वर्तमान विधायकों के टिकटों पर बड़े पैमाने पर काटने की पार्टी नेतृत्व की रणनीति पर सीएम वसुंधरा राजे की अलग राय के चलते दावेदारों के पैनल पर फिलहाल फिर से विचार किया जा रहा है। प्रदेश में चुनाव का काम देख रहे एक केंद्रीय मंत्री ने नाम नहीं छापने की शर्त पर "दैनिक जागरण "को बताया कि टिकट तो अधिक से अधिक कटेंगे। एक राष्ट्रीय पदाधिकारी का दावा है कि आलाकमान की सर्वे रिपोर्ट, आरएसएस की फीडबैक रिपोर्ट और विस्तारकों की राय अधिकांश वर्तमान विधायकों के पक्ष में नहीं है।
सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए इन्हीं रिपोर्ट का हवाला देकर पार्टी नेतृत्व अधिक से अधिक टिकट काटना चाहता है। हालांकि सीएम खेमे ने भी अपने सर्वे और फीडबैक रिपोर्ट के आधार पर अधिकांश वर्तमान विधायकों को फिर से प्रत्याशी बनाने की वकालत की है। सीएम खेमे का कहना है कि इन विधायकों की फील्ड में भी पकड़ है। अगर टिकट अधिक संख्या में काटे गए तो बगावत हो सकती है। वैसे मौजूदा विधायकों के टिकट काटने का फार्मूला भाजपा गुजरात में आजमा चुकी है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि अगर राजस्थान में भी इसी फॉर्मूले से नए चेहेरों को मैदान में उतारें तो एंटी इनकमबेंसी पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।
कई दिग्गज चाहते हैं रिश्तेदारों को चुनाव लड़ाना
राज्य के कैबिनेट मंत्री नंदलाल मीणा, वरिष्ठ विधायक सुंदरलाल और नवनीत लाल नीनामा सहित कई वरिष्ठ नेता अपने बेटे-बेटियों को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। ये विधायक खुद के खिलाफ एंटीइंकंबेंसी फैक्टर और अधिक उम्र की बात तो स्वीकारते हैं, लेकिन टिकट अपने घर में ही रखना चाहते हैं। हालांकि आलाकमान का तर्क है कि यदि वर्तमान विधायकों के खिलाफ एंटीइंकंबेंसी है तो फिर रिश्तेदार इससे कैसे दूर रह सकते हैं, इसलिए इन्हें टिकट नहीं देना चाहिए।