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Rajasthan Result 2018: 99 के फेर में उलझी कांग्रेस, विपक्ष से मिलेगी ऐसी चुनौती

जीत कर आने वाले विधायकों में भी इस बार कुछ ऐसे नेता हैं, जो विधानसभा के कामकाज के हिसाब से काफी अनुभवी हैं और कई बार जीत कर आ चुके हैं।

By Sonal SharmaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 02:14 PM (IST)
Rajasthan Result 2018: 99 के फेर में उलझी कांग्रेस, विपक्ष से मिलेगी ऐसी चुनौती
Rajasthan Result 2018: 99 के फेर में उलझी कांग्रेस, विपक्ष से मिलेगी ऐसी चुनौती

जयपुर (मनीष गोधा)। राजस्थान में इस बार के चुनाव परिणाम ने विधानसभा में पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच रोचक मुकाबले और बहस होना तय कर दिया है। इस बार की विधानसभा की पिछली बार की तरह एकतरफा नहीं रहेगी। जीत कर आने वाले नेताओं में भी कई ऐसे नेता हैं, जो तर्कसंगत और करारी बहस के लिए जाने जाते है।

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राजस्थान में पिछले चुनाव में भाजपा ने 200 में से 163 और सीटें जीती थी और कांग्रेस 21 पर सिमट गई थी। अन्य दलों और निर्दलियों को मिला कर सिर्फ 16 सीटें मिली थी। इन 16 में से भी आधे भाजपा के समर्थन में थे, ऐसे में विधानसभा बहुत हद तक एकतरफा हो गई थी।

कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में रामेश्वर डूडी को जिम्मेदारी दी थी जो पहली बार विधानसभा में आए थे। अन्य नेताओं में भी गोविंद सिंह डोटासरा, रमेश मीणा, धीरज गुर्जर जैसे दो-तीन ही थे जो विपक्ष की ओर से मोर्चा सम्भालते थे। वरिष्ठ नेताओं में अशोक गहलोत सदन में किसी भी मुददे पर नहीं बोले, वहीं नारायण सिंह, विश्वेन्द्र सिंह, भंवरलाल शर्मा आदि ने भी चुप्पी ही साधे रखी। यही कारण रहा कि संख्या बल ही नहीं नेताओं की कमजोरी के कारण भी भाजपा को विधानसभा में ज्यादा बड़ी चुनौती नहीं मिल पाई और सरकार बड़े आराम से न सिर्फ सारे विधेयक पारित करा पाई, बल्कि अपने हिसाब से ही सदन भी चलाया। सरकार को चुनौती मिली तो अपने ही विधायकों या घनश्याम तिवाड़ी जैसे बागी विधायकों से।

इस बार तस्वीर बहुत अलग दिख रही है। कांग्रेस सत्ता में आई तो है, लेकिन इसके पास खुद के 99 ही विधायक है। गठबंधन की एक सीट मिला कर इसके सौ विधायक हुए है। हालांकि बसपा और निर्दलियों में से कुछ का समर्थन कांग्रेस को मिल चुका है, ऐसे में संख्या बल के हिसाब से तो ज्यादा समस्या नहीं है, लेकिन भाजपा के 73 सदस्य जीत कर आए है, जो सदन में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाते दिखेंगे। इनके अलावा बसपा के छह और सात-आठ निर्दलियों को भी सरकार के समर्थन में गिन लिया जाए तो भी करीब 13 विधायक विपक्ष की भूमिका में दिखेंगे। यानी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संख्या बल के हिसाब से ज्यादा अंतर नहीं रहेगा।

जीत कर आने वाले विधायकों में भी इस बार कुछ ऐसे नेता हैं जो विधानसभा के कामकाज के हिसाब से काफी अनुभवी है और कई बार जीत कर आ चुके है। इनमें निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा के ही गुलाब चंद कटारिया, राजेन्द्र राठौड़, सूर्यकांत व्यास, कैलाश मेघवाल, कालीचरण सराफ, वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, किरण माहेश्वरी जो औसतन तीन से चार बार चुनाव जीत चुके है और अच्छे डिबेटर माने जाते है। निर्दलियों में संयम लोढा और अपनी पार्टी बना कर आए हनुमान बेनीवाल सहित माकपा के भी दो विधायक हैं।

उधर सत्ता पक्ष की बात करें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सी.पी.जोशी, शांति धारीवाल, महेश जोशी, रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियावास, बी.डी.कल्ला, राजेन्द्र पारीक, गोविंद सिंह डोटासरा जैसे नेता हैं, जो अनुभवी भी हैं और विपक्ष का डट कर मुकाबला कर सकते है। यही कारण है कि इस बार विधानसभा खासी हंगामेदार और मुकाबले वाली होने की सम्भावना बताई जा रही है।


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