'राजस्थान गौरव यात्रा', वसुंधरा ने 232 करोड़ की योजनाओं की दी सौगात
वसुंधरा राजे ने अपनी राजस्थन गौरव यात्रा में 232 करोड़ रूपए की विभिन्न योजनाओं की सौगात दी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी "राजस्थन गौरव यात्रा" के दूसरे दिन रविवार को राजसमंद,उदयपुर और डूंगरपुर जिलों में 232 करोड़ रूपए की विभिन्न योजनाओं की सौगात दी। वसुंधरा राजे ने कुछ योजनाओं का उद्धाटन किया और कुछ का शिलान्यास किया।
रविवार को सुबह वसुंधरा राजे ने नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद अपनी यात्रा शुरू की और फिर हल्दीघाटी होते हुए गोगूंदा,झाड़ोल और खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्रों में पहुंची। इस दौरान एक दर्जन से अधिक स्थानों पर वसुंधरा राजे ने छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित किया। गोगूंदा में बड़ी आमसभा को संबोधित करते हुए वसुंधरा राजे ने राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस आज हमारी सरकार से साढ़े चार साल का हिसाब मांग रही है,लेकिन उन्होंने 40 साल में देश को बर्बाद किया।
राजस्थान में कोई बड़ी योजना कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नहीं बन सकी। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि प्रदेश के सम्पूर्ण विकास के लिए पांच साल का समय काफी कम है,अब जनता पांच साल का समय भाजपा को एक बार फिर देती है तो विकास के लिहाज से देश में सबसे आगे होगा।
आदिवासियों ने की मुख्य धारा से जोड़ने की मांग
वसुंधरा राजे की यात्रा रविवार शाम को गुजरात से सटे आदिवासी क्षेत्र झाड़ोल पहुंची। यहां वसुंधरा राजे ने आमसभा को संबोधित करने के साथ ही आदिवासियों के साथ सीधा संवाद भी किया। संवाद के दौरान आदिवासियों ने खुद को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की मांग की।
आदिवासियों ने सीएम से कहा,ना तो उन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि उनके बीच आते है। उल्लेखनीय है कि आदिवासी क्षेत्र का भील समाज उन योद्धाओं का वंशज माना जाता है जिन्होंने मुगलों के खिलाफ महाराणा प्रताप के साथ कदम से कदम मिलाकर युद्ध किया था। मुगलों के खिलाफ युद्ध करते समय महाराणा प्रताप ने इन्ही भील आदिवासियों के साथ लंबा समय गुजारा था।
लोक कथाओं के अनुसार यह वही इलाका है जहां महाराणा प्रताप ने भील आदिवासियों के साथ घास की रोटी खाकर समय व्यतीत किया था ।