Rajasthan Election 2018: पिछली सरकार की बड़ी योजनाओं पर लटकी तलवार
Rajasthan Election 2018: जानिए वसुंधरा राजे सरकार की उन योजनाओं के बारे में जिन्हें कांग्रेस की सरकार बनने पर खत्म किया जा सकता है।
मनीष गोधा.जयपुर। राजस्थान में पांच साल में ही फिर सत्ता परिवर्तन से एक बार फिर पिछली सरकार की योजनाओं पर तलवार लटक गई है। पिछली सरकार की भामाशाह कार्ड योजना, राशन की दुकानों पर पाॅइंट आॅफ सेल (पोस) मशीनों का उपयोग, अन्नपूर्णा योजना, जयपुर की द्रव्यवती नदी परियोजना, स्कूलों में पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षाएं कराने जैसी कई योजनाएं और निर्णय ऐसे हैं जिन्हें मौजूदा सरकार बदल सकती है।
राजस्थान में कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में सामाजिक पेंशन योजना, निःशुल्क दवा, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच और कुछ अन्य योजनाओं को भाजपा सरकार ने हालांकि बंद नहीं किया था, लेकिन इन्हें बेहद खर्चीला मानते हुए इनकी समीक्षा कराई थी और इन्हें जारी रखते हुए साथ ही कुछ नई योजनाएं लागू कर दी थी।
जैसे - स्वास्थ्य के क्षेत्र में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई थी। इसके अलावा भामाशाह कार्ड योजना लागू की गई थी, जिसके तहत लाभार्थियों का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जा रहा था। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा योजना में भी राशन की दुकानों पर पोस मशीनों की अनिवार्यता लागू कर दी गई थी।
कांग्रेस सरकार के समय बाडमेर में जिस रिफाइनरी का शिलान्यास किया गया था, उसका काम रोक दिया गया था और उसके समझौते की समीक्षा में करीब चार साल का समय लगाने के बाद उस पर दिसम्बर 2017 में काम शुरू किया गया था। इसके अलावा पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए। पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा कराते हुए फेल नहीं किए जाने का नियम बदला गया।
अब सरकार बदलने के बाद इन योजनाओं में एक बार फिर बदलाव की सम्भावना जताई जा रही है। भामाशाह कार्ड को लेकर तो कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार के दौरान सावर्जनिक रूप से इसे बदलने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा राशन की दुकानों पर पोस मशीनों की अनिवार्यता भी समाप्त की जा सकती है, क्योंकि इसे लेकर सामाजिक संगठन काफी विरोध कर चुके हैं और इनमें से ज्यादातर वे संगठन हैं जो कांग्रेस विचारधारा के नजदीक माने जाते हैं।
इसके साथ ही जयपुर की द्रव्यवती नदी परियेाजना भी खटाई में पड़ सकती है। इसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का ड्रीम प्रोजेक्ट माना गया था, लेकिन कांग्रेस के नेताओ का इसका काफी विरोध किया था और इसे फिजुलखर्ची बताया था।
इसके अलावा पाठ्यक्रम में एक बार फिर बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि भाजपा के राज में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को हटा कर संघ विचाराधारा के नेताओं को जगह दी गई थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव का कहना है कि हम सिर्फ इसलिए योजनाओं को बंद नहीं करेंगे कि इन्हें पिछली सरकार ने लागू किया था। हर योजना की समीक्षा की जाएगी और अच्छे या बुरे के आधार पर फैसला किया जाएगा। जरूरत होगी तो जारी रखेंगे और बदलाव जरूरी लगा तो बदलाव किया जाएगा।