Rajasthan Chunav: धौलपुर सियासत में मात खा गया था बीहड़ का 'टाइगर'
खून का बदला खून से लेकर बीहड़ में कूदने वाले दस्यु जगन गुर्जर ने भी सियासत का सपना संजोया था। धौलपुर विधानसभा उपचुनाव में पत्नी को मैदान में उतारा।
धौलपुर, राजेश मिश्रा। खून का बदला खून से लेकर बीहड़ में कूदने वाले दस्यु जगन गुर्जर ने भी सियासत का सपना संजोया था। धौलपुर विधानसभा उपचुनाव में अपनी पत्नी को मैदान में उतारा था। मगर, करारी मात मिली थी।
धौलपुर जिला तीन ओर से बीहड़ से घिरा है। डकैतों की ताबड़तोड़ फायरिंग से बीहड़ हमेशा थर्राता रहा है। धौलपुर जिले के डांग (करीब डेढ़ सौ गांवों का व्यापक दायरा) भी दस्युओं का पनाहगाह रहा है। बाड़ी क्षेत्र के भवूतीपुर का जगन गुर्जर भी इन्हीं दस्युओं में से एक है। जगन को लोग टाइगर नाम से भी पुकारते हैं। करीब 15 लाख के इनामी रह चुके जगन गुर्जर ने भी सियासत में पैर रखने की मंशा पाली।
वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी बीएल कुशवाह निर्वाचित हुए थे। एक मामले में उनके जेल जाने पर उन्हें विधायकी छोडऩी पड़ी। करीब डेढ़ वर्ष पहले हुए उपचुनाव में जगन गुर्जर ने अपनी पत्नी को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारा था।
हालांकि उसकी पत्नी की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव में प्रशासन की धड़कन तेज बनी रही थी। जगन की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए पुख्ता चौकसी की गई थी। तीन-तीन एसडीएम हर वक्त उसके इर्द-गिर्द रहते थे। सुरक्षा बल के जवान भी हर पल चौकन्ने रहते थे।
फरार और फिर समर्पण
उपचुनाव के बाद जगन ने कुछ वारदातें कर दीं और फरार हो गया। करीब दो महीने पहले उसने भरतपुर में आइजी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। तब से वो जेल में है।
राजे के महल को उड़ाने का किया था एलान
राजस्थान में वर्ष 2008 के दौरान गुर्जर आंदोलन हिंसक हालात में पहुंच गया था। इसमें कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान तब जगन गुर्जर ने वसुंधरा राजे के धौलपुर स्थिति महल को उड़ाने का एलान किया था। सुरक्षा बलों के तेवर भांप जगन फरार हो गया था। कुछ समय बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने उसके समर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
निर्विरोध चुने गए उप सरपंच
धौलपुर जिले के सरमथुरा क्षेत्र के गांव खरौली के रहने वाले दस्यु दयाराम गुर्जर को भी राजनीति का शौक लगा। उन्हें निर्विरोध उप सरपंच चुना गया। बसई डांग निवासी रामबाबू गुर्जर बंदूक छोडऩे के बाद देवी का भक्त बन गया।