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राजस्थान भाजपा के कई नेता जुटे अपने बेटे-पोतों के टिकट के जुगाड़ में

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के कई नेता, मौजूदा विधायक और कुछ मंत्री भी अपने बेटे, पोतों या रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के जुगाड़ में हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 02:22 PM (IST)
राजस्थान भाजपा के कई नेता जुटे अपने बेटे-पोतों के टिकट के जुगाड़ में
राजस्थान भाजपा के कई नेता जुटे अपने बेटे-पोतों के टिकट के जुगाड़ में

जयपुर, जेएनएन। भाजपा राजनीति में भले ही वंशवाद का विरोध करती है, लेकिन इसके नेता इससे अछूते नहीं है। दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के कई नेता, मौजूदा विधायक और कुछ मंत्री भी अपने बेटे, पोतों या रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के जुगाड़ में है, हालांकि इनकी संख्या उम्मीद से कम है।

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राजस्थान में भाजपा ने अभी तक टिकट के लिए कोई मापदंड घोषित नहीं किया है और पार्टी के टिकट तय करने वाले नेता यही कह रहे हैं कि हमारे लिए उम्मीदवार का सिर्फ जिताऊ होना अहमियत रखता है। रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने के मामले मे भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी कह चुके हैं कि पार्टी ने ऐसा कोई नियम बनाया ही नहीं जिसमें परिवार के अन्य सदस्य को टिकट ना दिया जाए।

उन्होंने कहा कि जो जिताऊ होगा उसे ही पार्टी टिकट देगी, फिर चाहे वह किसी राजनेता का बेटा या ही क्यों ना हो वहीं कोर कमेटी के सदस्य राजेन्द्र राठौड ने कहा था कि यदि कोई लम्बे समय से राजनीति में सक्रिय है तो पार्टी उसे अपना कार्यकर्ता ही मानती है, भले वह किसी भी नेता का रिश्तेदार हो, यानी एक तरह से पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि उसे नेता रिश्तेदारों को टिकट देेने से परहेज नहीं है। हालांकि एक बात यह भी देखने में आ रही है कि पार्टी चूंकि सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, इसलिए ज्यादातर वे नेता और विधायक ही बेटे पोतों को आगे कर रहे है, जिन्हें लगता है कि उम्र अधिक होने के कारण उनका टिकट कट सकता है।

अन्यथा सत्ता विरोधी लहर के कारण अपने दादा पिता के साथ सक्रिय दिखने वाले पार्टी के ज्यादातर नेता पुत्र और पोते इस बार टिकट की दौड़ से दूर ही दिख रहे है। यही कारण है कि टिकट की दौड़ में दिख रहे नेता रिश्तेदारो की संख्या बहुत ज्यादा नहीं हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी ठीक स्थिति में दिखती तो यह संख्या काफी बढ़ सकती थी, क्योंकि पिछले पांच वर्ष में कई मंत्रियों के बेटे पोते राजनीति में सक्रिय हुए हैं।

अपने बेटे पोतों के टिकट के जुगाड़ में लगे नेता

- गोपाल जोशी (विधायक,बीकानेर ईस्ट)- विजय मोहन जोशी(पोता)

- किशनाराम नाई(विधायक ,डूंगरगढ़)- नितिन नाई(पोता)

- गुरजंट सिंह(विधायक,सादुलशहर)- गुरुवीर सिंह(पोता)

- माणकचंद सुराणा(इरच समर्थित उसं, लूणकरणसर)- सिद्धार्थ सुराणा(पोता)

- सुंदर लाल काका (विधायक,पिलानी)- कैलाश मेघवाल(बेटा)

- नंदलाल मीणा (मंत्री व उसं,प्रतापगढ़)- हेमंत मीणा(पुत्र)

- अमराराम चैधरी (मंत्री व उसं, पचपदरा)-अरुण चैधरी(बेटा)

- जसवंत यादव (मंत्री व उसं, बहरोड़)- मोहित यादव(बेटा)

- लादूराम विश्नोई (विधायक,गुड़ामालानी)- अपने पुत्र और पौत्र दोनों के लिए

- नरपत सिंह राजवी ( विद्याधरनगर)- अभिमन्यु राजवी(बेटा) दांतारामगढ़ व चित्तौड़ से

- रासासिंह रावत (पूर्व सांसद)-तिलक रावत(बेटा)पुष्कर व ब्यावर से

- देवीसिंह भाटी (पूर्व विधायक,कोलायत)- पूनम कंवर(पुत्रवधु) ।


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